कोरोना काल से कोविडशिल्ड तक के सफर में हेमन्त ने पेश की जन नेतृत्व की मिसाल

कोरोना काल से कोविडशिल्ड तक के सफर में हेमन्त सोरेन की प्नबंधन ने पार की संवेदनशीलता की पराकाष्ठा, पेश की जन नेतृत्व की मिसाल 

रांची। झारखंड की पिछली रघुवर सरकार की विकास की नयी आर्थिक लकीर ने राज्य से महानगरों की ओर लोगों का पलायन ही नहीं करवाया, बल्कि लोकतंत्र का भी पलायन हुआ। ऐसे पलायन का अर्थ तानाशाही तंत्र के मद्देनजर लोकतंत्र का घुटने टेकना। वातावरण ऐसा जहाँ आरोपी को ही साबित करना था कि वह दोषी नहीं है। झारखंड के उस लोकतंत्र की नयी परिभाषा में संविधान को बाज़ार के साथ जोड़ दिया गया।जिसके आगे मानवाधिकार ने दम तोड़ दिया।

भुक्तभोगियों की त्रासदी का सच कोरोना संकट में तब उभारा, जब उसी सत्ता ने प्रवासियों को घर वापसी पर मजबूर किया। गनीमत थी कि झारखंड की सत्ता में इस बार मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन की मौजूदगी थी। राजनैतिक आरोप-प्रत्यारोप से परे की सत्यता यह रही कि, जनहित कार्य मद्देनजर झारखण्ड वासियों ने एक परिपक्व, कुशल व संवेदनशील पहरुवे का हाथ अपने कंधे पर बखूबी महसूस किया।

मसलन, कोरोना संक्रमणकाल हो या कोविडशील्ड टीकाकरण, पूरे सफर में, संवेदनशील मुख्यमंत्री ने राजनीति दलगत भावना से ऊपर उठकर आखरी पायदान पर कड़ी झारखंडियत की सेवा की। जाति, धर्म, समुदाय की सुरक्षा व बेहतरी के लिए बिना रुके ईमानदार कदम बढ़ाया। जिसका लोहा दबी स्वर में ही सही लेकिन केंद्र ने भी माना है। 

झारखंड में कोविडशिल्ड टीकाकरण का पहला दिन

एक तरफ सोशल मीडिया से देश भर में कोविड टीकाकरण को लेकर संसय बना हुआ था। जहाँ  भाजपा कार्यकर्त्ता तक ने भी टीकाकरण को लेकर पाँव पीछे खिंच लिए। वहीं झारखंड में हेमंत सरकार की प्रबंधन में टीकाकरण के पहले ही दिन सुरक्षित रूप से 48 केंद्रों में 3119 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों ने स्वेच्छा से टीकाकरण करवाए। राज्य के किसी कोने से टीकाकरण प्रक्रिया में परेशानी की ख़बरें नहीं आयी। एक तरफ केंद्र के निर्देशों का राज्य सरकार ने हू-ब-हू पालन किया और भाजपा नेताओं ने रघुकुल रीत निभाते हुए केवल ही गाल बाजायी।

हेमन्त के कार्यो को केन्द्र भी माना लोहा

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की कार्यशैली ने पूरे आपदा प्रकरण में साबित किया कि आपात स्थितियों में वे राज्यवासियों की सुरक्षा वह कितने गंभीर हैं। इससे विपक्ष भी इनकार नहीं कर सकते कि हेमंत प्रबंधन ने स्वास्थ्य क्षेत्र के मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से ही जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई। प्रवासियों समेत तमाम राज्यवासियों की रोजगार से लेकर खानपान तक की उपलब्धता में अपनी नेतृत्व का लोहा मनवाया।

झारखण्ड वासियों की वापसी के लिए टस रणनीति बांयी और विशेष ट्रेन से लेकर हवाई जहाज तक की सुविधा उपलब्ध कराई। इस साहसी सरकार ने केवल कोरोना को खुली चुनौती दी बल्कि कई जनहित योजना का शुरुआत कर मनेरगा में 8.90 करोड़ मानव दिवस सृजित कर इतिहास रचा। सोशल मिडिया का प्रयोग संकट मोचन के रूप में किया। जबकि राज्य के भाजपा नेता का सरकार को सुझाव था कि प्रवासियों की वापसी पर लगाया जाए, इससे राज्य में कोरोना आएगा। लेकिन मुख्यमंत्री ने कोरोना काल से कोविडशिल्ड तक के सफर में हर मोर्चे पर कमाल कर दिखाया है। 

मसलन, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बकायदा एक रिर्पोट जारी कर दुनिया को बताया कि कोरोना को हराने की दिशा में झारखण्ड का स्थान टाॅप टेन सूची में शामिल है।

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