JMM विधायकों की कार्यशैली देते हैं संकेत – आंगनबाड़ी सेविका व पोषण सखी के कल्याण हेतु सरकार गंभीर

झारखण्ड : JMM विधायक सुदिव्य कुमार, दीपक बिरूआ, जोबा मांझी, जगरनाथ महतो समेत तमाम विधायकों ने नेतृत्व से मांग की है कि पारा शिक्षकों की तरह आंगनबाड़ी सेविका व पोषण सखी की समस्याओं का  हो समाधान. जल्द धरातल पर दिखेगी नियमावल. सभी जिलों में पोषण सखी की नियुक्ति पर हो रहा विचार…

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कोरोना संकट काल में सीएम हेमन्त सोरेन ने राज्य की महिला शक्ति पर जताया भरोसा – आंगनबाड़ी सेविकाओं समेत तामाम महिलाओं ने दिखाया माँ अन्नपूर्ण का रूप 

रांची : झारखण्ड विधानसभा बजट सत्र में जेएमएम विधायकों द्वारा महिला सशक्तिकरण जैसे मानवीय मुद्दे को मजबूती से उठाया गया है. सदन में आंगनबाड़ी सेविकाओं के मानदेय और उनके कल्याण का मुद्दा सत्तारूढ़ जेएमएम विधायकों द्वारा जोर-शोर से उठाया गया. तमाम पहलू साफ़ संकेत देते हैं कि सीएम हेमन्त सोरेन की पूरी टीम राज्य के इस महिला समस्या का स्थाई हल निकालने को लेकर बेहद गंभीर है. ज्ञात हो, पूर्व की सरकारों ने आंगनबाड़ी बहनों को केवल छला है. और महिला सशक्तिकरण के रूप में जब इन बहनों की मजबूत अभिव्यक्ति उभरी तो पूर्व की भाजपा सरकार ने इनके अभिव्यक्ति को तानाशाह रूप दिखाया.

हक-अधिकार के मद्देनजर महिला सशक्तिकरण के रूप में उभरी मजबूत अभिव्यक्ति को बीजेपी के रघुवर सरकार द्वारा लाठी के बल पर कुचलने का कुत्सित प्रयास हुआ. क्या किसी सरकार की पुरुषवादी मानसिकता का इससे भयवाह रूप हो सकता है? यकीनन नहीं… और तब विपक्ष में रही झामुमो सत्ता में आने के बाद, मौजूदा दौर में उसके तमाम विधायक महिला सशक्तिकरण, महिला सम्मान में उसके अधिकार को सदन में ताक़त से उभारे, महिलाओं की आवाज बन गूंजे तो राज्य में महिला वर्ग के लिए राहत भरी खबर है.

शिक्षा बजट के अनुदान मांग पर चर्चा करते हुए जेएमएम विधायक दीपक बिरूआ ने कहा – आंगनबाड़ी सेविकाओं का मानदेय बहुत कम

विधानसभा सदन में शिक्षा बजट के अनुदान मांग पर चर्चा करते हुए जेएमएम विधायक दीपक बिरूआ ने मजबूती से कहा कि राज्य में आंगनबाड़ी सेविकाओं का मानदेय बहुत कम है. ऐसे में सरकार में इनके कल्याण हेतु एक वेलफेयर फंड का गठन किया जाना चाहिए. दीपक बिरूआ ने स्पष्ट तौर पर हेमन्त सरकार से केरल के तर्ज पर झारखण्ड के आगनबाडी बहनों के लिए 800 रुपये पेंशन सुनिश्चित करने और आंध्र प्रदेश की तर्ज पर मेडिकल व अन्य सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की.

  • जेएमएम विधायक सह सूबे की महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग मंत्री जोबा मांझी ने स्पष्ट किया है कि सरकार मार्च माह के अंत तक पोषण सखियों के सभी तरह के बकाया मानदेय का भुगतान कर देगी. 
  • जेएमएम विधायक सुदीव्य कुमार आंगनबाड़ी सेविकाओं और सरकार के बीच मध्यस्थता कर रहे हैं. आंगनबाड़ी सेविकाओं के साथ वह कई दौर की बैठक कर चुके हैं.ज्ञात हो,  बैठक में हुई चर्चा के आधार पर विधायक सुदीव्य कुमार ने मुख्यमंत्री को एक रिपोर्ट सौंपें चुके हैं.
  • स्वंय मुख्यमंत्री कोरोना से लड़ाई में ग्राम स्तर पर शुरू “सर्वे एवं रैपिड एंटीजन जांच कार्यक्रम” की सफलता के लिए आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका पर भरोसा जता चुके हैं. 

पारा शिक्षकों की तरह हो आंगनबाड़ी सेविकाओं की समस्याओं का अंत हो – इसी दिशा में बन रही है  नियमावली

सत्तारूढ़ जेएमएम विधायकों की मांग है कि जिसतरह से चुनावी वादों के तहत मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने पारा शिक्षकों की समस्याओं का स्थाई हल निकाला है, उसी तरह आंगनबाड़ी सेविकाओं की भी समस्याओं का अंत करें. बता दें कि राज्य में करीब 36,000 आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिका कार्यरत हैं. लेकिन इनके लिए अब तक न कोई नियमावली बनी और न ही कोई निर्धारित मानदेय. नतीजतन, मजबूरन आंगनबाड़ी सेविका आंदोलन की राह पकड़ती हैं. ज्ञात हो, इनके कल्याण में हेमन्त सरकार एक नियमावली बना रही है जो अपने अंतिम पायदान पर है. 

नियमावली बनने से आंगबाड़ी सेविकाओं को होगा फायदा और राज्य में महिला सशक्तिकरण को मिलेगी मजबूती 

आंगनबाड़ी सेविकाओं के लिए जल्द ही नियमावली धरातल पर दिखेगी. इस नये नियमावली में आंगनबाड़ी सेविकाओं के लिए सेवा शर्त तय होगा. नियमावली के अनुरूप-

  1. आंगनबाड़ी सेविका की नियुक्ति होगी और मानदेय निर्धारित होगा. 
  2. इन्हें महंगाई भत्ता, अन्य भत्ता व स्वीकृत अवकाश मिलेगा. 
  3. आंगनबाड़ी सेविका, लघु सेविका और सहायिका की सेवा काल में मृत्यु होने पर आश्रित को अनुकंपा का लाभ मिलेगा. 
  4. चर्चा है कि लगभग 13 हजार रुपये मासिक मानदेय निर्धारित करने पर सहमती बन रही है.

केंद्र ने केवल छह जिलों में नियुक्ति किया पोषण सखी, मानदेय भी किया बंद, लेकिन हेमन्त सरकार सभी जिलों में करना चाहती है पोषण सखी की नियुक्ति 

ज्ञात हो, राज्य में पोषण सखी का भी मामला गंभीर है. राज्य में केंद्र द्वारा केवल छह जिलों में ही पोषण सखी नियुक्ति किया गया है. और अब उसके द्वारा मानदेय भी बंद कर दिया गया है. केंद्र ने ऐसे महिला समस्या हाथ उठाते हुए राज्य सरकार से कहा है कि यदि वह चाहे तो अपने संसाधन पर इसे योजना को चला सकते हैं. ऐसे में हेमन्त सोरेन सरकार मज्बोत इच्छा शक्ति का परिचय देते हुए राज्य के सभी जिलों में पोषण सखी को नियुक्त करने पर विचार कर, राज्य में महिला सशक्तिकरण का ठोस आधार रखने की दिशा में आगे बढ़ चली है. 

केंद्र सरकार का स्टैंड क्लीयर करते हुए विभागीय मंत्री जोबा मांझी ने साफ़ कहा है कि हमारी सरकार पूरे राज्य में पोषण सखी की नियुक्ति पर विचार कर रही हैं. और इनके लंबित मानदेय का भुगतान मार्च माह के अंत तक हो जाएगा. बता दें कि अनुपूरक बजट में हेमन्त सरकार में पोषण सखियों के मानदेय के लिए 38 करोड़ का प्रावधान किया है.

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