झारखण्ड : राज्य के तमाम वर्गों के हितैषी सीएम हेमन्त सोरेन पहले ही कह चुके हैं कि हिडेन एजेंडे के तहत आदिवासी–दलितों व सभी वर्गों के मूलवासियों को कुचलने का केंद्र सरकार द्वारा हो रहा प्रयास… केंद्र की स्वामित्व योजना पर राज्य में लगी रोक.
झारखण्ड सरकार ने केंद्र की स्वामित्व योजना पर फिलहाल लगायी रोक
रांची : 25 सितम्बर 2021, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में स्वामित्व योजना की चर्चा की गयी. लेकिन झारखण्ड राज्य में केंद्र की स्वामित्व योजना विवादों में फंस गयी है. राज्य के आदिवासियों वर्ग का पक्ष है कि केंद्र सरकार का स्वामित्व योजना उसी लैंड बैंक योजना की तरह है, जिसमें अक्स में आदिवासियों-दलित व तमाम वर्कीगों के मूलवासियों की जमीन लुट की साजिश भाजपा द्वारा रची गई थी. आज फिर एक बार केंद्र सरकार सुविधा देने के बहाने जमीन लूट के एजेंडे को आगे बढ़ाया है. और ऐसे गंभीर मुद्दे में बाबूलाल मरांडी की चुप्पी आश्चर्यजनक है.
आदिवासियों वर्ग में इसके कड़े विरोध देखते हुए तमाम वर्गीय हितैषी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा स्वामित्व योजना पर राज्य में फिलहाल रोक लगा दिया गया है. केंद्र की इस नीति को लेकर 10 अक्टूबर 2020 को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने दिवंगत स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी पर कहा था कि केंद्र सरकार फिर एक हिडेन एजेंडे के तहत संवैधानिक संस्था का इस्तेमाल कर आदिवासी-दलित समेत तामाम वर्ग के मूलवासियों को कुचलने का प्रयास कर रही है.
योजना भूमि के मानचित्रण कार्य से जुड़ा है स्वामित्व योजना
ज्ञात हो, केंद्र की स्वामित्व योजना भूमि के मानचित्रण कार्य से जुड़ा है. योजना की शुरूआत 24 अप्रैल 2020 को प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन के बीच में ही राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर की थी. इस योजना के तहत ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर देश के 36 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के 662162 लाख गांव की ग्रामीण आबादी क्षेत्र में भूमि खंडों का सर्वेक्षण किया जाना है. यह सर्वेक्षण कार्य चार चरणों में चार साल (2020-2024) की अवधि में चरणबद्ध तरीके से पूरा होगा. पहले चरण के बाद झारखण्ड को दूसरे चरण में चुना गया. खूंटी में इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया गया. लेकिन फिर जनजातीय समाज के द्वारा इसका विरोध शुरू हो गया.
पेसा क्षेत्र में अचानक इस तरह की योजनाओं को लादा नहीं जा सकता
खूंटी में पिछले कई दिनों से स्वामित्व योजना के खिलाफ जनजातीय सहित स्थानीय समुदाय के लोग गोलबंद होकर विरोध कर रहे हैं. आंदोलन आदिवासी-मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच, आदिवासी एकता मंच, मुंडारी खूंटकटी परिषद समेत एक दर्जन संगठन के बैनर तले हो रहा है. इन संगठनों का सीधा कहना है कि जिस तरह रघुवर सरकार में राज्य के लाखों आदिवासी जमीनों को लैंड बैंक के नाम पर लूटा गया. उसी तरह एक बार फिर केंद्र सरकार हमारी जमीनों को लूटने पर आमदा है.
आंदोलनकारियों का कहना है कि पेसा क्षेत्र में अचानक इस तरह की योजनाओं को लादा नहीं जा सकता है. जल, जंगल, जमीन पर गांव का अधिकार है. इन जंगली और पहाड़ी जमीनों को हम आदिवासी व सभी वर्गों के मूलवासियों ने रहने लायक बनाया है. रैयतों के पास पट्टा है. सरकार टैक्स जुटाने के लिए यह सबकुछ कर रही है. ग्रामीण इलाके में सुविधा देने के बहाने आदिवासी-दलित व सभी वर्गों के मूलवासियों की जमीन पर नजर है.
विधानसभा में मुख्यमंत्री ने स्वामित्व योजना को रोकने की बात
ज्ञात हो, झारखण्ड विधानसभा के बजट सत्र में विधायक विनोद सिंह के पूछे सवाल पर राज्य सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री ने स्वामित्व योजना पर अपना स्टैंड क्लीयर किया. विनोद सिंह ने सरकार ने पूछा था कि स्वामित्व योजना के तहत खूंटी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति और भूमि का डिजिटल सर्वे हो रहा है. इस क्षेत्र के पेसा अनुसूचित क्षेत्र होने पर भी ग्रामसभा की सहमति नहीं ली गयी है. इससे ग्रामीणों में असंतोष व संशय व्याप्त है. जवाब में मुख्यमंत्री द्वारा कहा गया कि फिलहाल झारखण्ड में इस योजना पर रोक लगाया गया है. उन्होंने कहा कि पहले सरकार इस योजना की समीक्षा करेगी, उसके बाद ही कोई फैसला लेगी.
भाजपा डबल इंजन सरकार – रघुवर कार्यकाल में बना था लैंड बैंक
ज्ञात हो, रघुवर दास की सरकार में लैंड बैंक बनाने का फैसला लिया गया था. झारखण्ड में पांच जनवरी 2016 को लैंड बैंक बनाने की शुरूआत की गयी थी. लैंड बैंक के माध्यम से राज्य में निवेश करने वाले निवेशकों को जमीन देना मकसद था. लैंड बैंक में 11.56 लाख एकड़ जमीन को शामिल किया गया था. दावा किया गया था कि पूंजी निवेश के आमंत्रण की राह इससे आसान होगी. रघुवर सरकार पर आरोप लगा था कि बड़े पैमाने पर गैरमजरूआ जमीन का लैंड बैंक बनाया गया और उसे भाजपा के करीबी पूंजीपतियों को बेच दिया गया.