झारखण्ड : राज भवन से कब पास होगा मॉब लिंचिंग बिल. बीजेपी की चुप्पी दर्शात है – क्या रुपेश पांडे जैसे मूलवासी को भाजपा नहीं दिलाना चाहती न्याय. महामहिम राज्यपाल व राज्य की हेमन्त सरकार पर मॉब लिंचिंग बिल पारित करने हेतु क्यों नहीं बना रहे दबाव?
रांची : झारखण्ड सरकार द्वारा पिछले विधानसभा सत्र में ‘द झारखण्ड (प्रिवेंशन ऑफ लिंचिंग) बिल 2021’ पारित किया गया था. पहली बार झारखण्ड की जनता में आस जगी थी कि मॉब लिंचिंग जैसी घटना में दोषियों को सजा मिलेगी. निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि राज्य में मॉब लिंचिंग घटना को रोकने में यह क़ानून झारखण्ड सरकार को मदद कर सकती है. और राज्य सरकार झारखण्ड के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा कर सकती है.
द झारखण्ड (प्रिवेंशन ऑफ लिंचिंग) बिल 2021 क़ानून में दोषियों के विरुद्ध 3 तरह के सजा के प्रावधान
ज्ञात हो, द झारखण्ड (प्रिवेंशन ऑफ लिंचिंग) बिल 2021 क़ानून में दोषियों के विरुद्ध 3 तरह के सजा के प्रावधान है. लिंचिंग की घटना में मौत होने पर दोषी के लिए मृत्यु दंड तक का प्रावधान है. ताकि हिंसक भीड़ गैर कानूनी ढंग से तोड़-फोड़, मारपीट की घटना में क्षति पहुंचाने या हत्या जैसा दुस्साहस न हो.
- गंभीर चोट में दोषी को उम्रकैद तक की सजा के प्रावधान.
- साजिशकर्ता-उकसाने वालों के लिए सजा के प्रावधान है.
- मोबलिंचिंग का माहौल बनाने पर भी सजा के प्रावधान है.
लेकिन, वर्तमान में द झारखण्ड (प्रिवेंशन ऑफ लिंचिंग) बिल 2021, राज भवन में महामिम राज्यपाल महोदय के स्वीकृति का बाट जोह रहा है. इस दौरान राज्य में हजारीबाग-बरही के एक निर्दोष युवा रुपेश पांडे की हत्या भीड़ ने कर दी. ज्ञात हों बजट सत्र के दौरान मृतक रुपेश पांडे के परिजन मुख्यमंत्री से मिलकर न्याय की मांग कर चुके हैं. और विडंबना है कि मामले में बीजेपी विधायक/नेता राज्यपाल से मिले लेकिन लिंचिंग कानून की स्वीकृति के सम्बन्ध में कोई बात नहीं कही.
झामुमो के गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार द्वारा भाजपा की सांप्रदायिक नीति के विरुद्ध सदन में उठाया गया था मुद्दा
ज्ञात हो, रुपेश पांडे हत्याकांड प्रकरण में गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार भी डेलिगेशन टीम का हिस्सा थे. उन्होंने सामाजिक क्षति को नजदीक से समझा. ऐसे में सवाल है क्या उनके द्वारा भाजपा सांप्रदायिक नीति पर सदन में उठाया गया सवाल सटीक हैं? उन्होंने कहा कि रुपेश पांडे हत्याकांड प्रकरण से प्रदेश सहित सरकार भी मर्माहत रही. सरकार ने पहले राज्य को जलने से बचाया फिर अपना प्रतिनिधिमंडल रुपेश पांडे के माता-पिता से मिलने, मदद पहुंचाने भेजी. लेकिन भाजपा ने मामले में सांप्रदायिक माहौल बनाने का प्रयास किया.
भाजपा चाहती तो, तो भविष्य में ऐसी घटना रोकने हेतु महामहिम राज्यपाल से लिंचिंग बिल का मांग कर सकती थी. लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. बल्कि दिल्ली के कुखियात अपराधी व भाजपा नेता कपिल मिश्रा को झारखण्ड बुलाने से नहीं चूकना दर्शाता है कि भाजपा राज्य में सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का प्रयास जारी रखना चाहती है.
मसलन, क्या मॉबलिंचिंग कानून में सरकार के साथ खड़े होने के बजाय भाजपा द्वारा सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का प्रयास जारी रखा गया है? क्या सांप्रदायिकता, दंगा भड़काने जैसा साज़िश भाजपा राजनीति का हिस्सा है? ऐसे में महामहिम राज्यपाल को इस विकट परिस्थिति में शीघ्र विचार करना चाहिए. और राज्य के जनहित में फैसला लेते हुए जल्द द झारखण्ड (प्रिवेंशन ऑफ लिंचिंग) बिल 2021 पर मोहर लगाना चाहिए. साथ ही सरकार को अपनी गतिविधि तेजा करनी चाहिए. ताकि फिर किसी रुपेश पांडे जैसे मूलवासी की हत्या न हो और रुपेश पांडे को शीघ्र न्याय मिले. और भाजपा तमाम आरोपों से खुद को अलग मानती है तो उसे लिंचिन क़ानून को जल्द लागू करने हेतु विपक्षीय रूप के साथ आगे आना चाहिए.