जेएमएम का पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ने का एलान, ममता साथ आयी तो भाजपा को मिलेगी पटकनी

हेमंत सोरेन ने कहा कि पश्चिम बंगाल में जेएमएम चुनाव लड़ता रहा है। इस बार भी लड़ेगा, इसमें संशय नहीं 

बिहार में जेएमएम को आरजेडी का नजरअंदाज करना पड़ा भारी, नतीजा जगजाहिर है  

रांची। साल 2021 के विधानसभा चुनाव कई सियासी दलों की किस्मत का फैसला करेगा। ज्ञात हो देश के 5 राज्यों (पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी) में विधानसभा चुनाव होने हैं। जाहिर है  राजनीतिक पार्टियां जीत के मद्देनजर चुनावी मैदान में उतरेगी। भाजपा के चुनावी रणनीत के दृष्टिकोण ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को काफी अहम बना दिया है। रवीन्द्रनाथ टैगोर की नक़ल में प्रधानमंत्री मोदी का बढ़ती दाढ़ी का कद इसका स्पष्ट उदाहरण हो सकता है।

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता लगातार भाजपा का दामन थाम रहे हैं। कमजोर होने की स्थिति में, टीएमसी ने वाम मोर्चे और कांग्रेस से सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ साथ देने की अपील की है। ज्ञात हो भाजपा की राजनीतिक षडयंत्र को पटकनी देने में झारखंड के  हेमंत सोरेन का मौजूदा दौर में कोई सानी नहीं है। और झारखंड मुक्ति मोर्चा पश्चिम बंगाल में चुनाव लडती आयी है। ऐसे में कई दृष्टिकोण से झारखंड मुक्ति मोर्चा ममता बनर्जी को चुनाव में मदद कर सकता है।

हालांकि, हेमंत सोरेन कह चुके हैं कि गठबंधन को लेकर संगठन के नेता रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। उनके तरफ से गठबंधन को लेकर हरी-झंडी के ही संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में यदि ममता बनर्जी गठबंधन धर्म को निभाते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा को साथ ले चुनाव लडती है तो भाजपा जंगली इलाकों में चुनाव जीतना मुश्किल हो सकता है। 

बिहार चुनाव के नतीजों से ममता को सीख लेनी चाहिए। तेजस्वी के जिद्द ने भाजपा का किया राह आसान

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एलान कर दिया है कि पश्चिम बंगाल में झामुमो चुनाव लड़ती आयी है,  इस बार लड़ेंगी। ज्ञात हो कि झारखंड में भाजपा के हर हथकंडे का बखूबी जवाब देते हुए, युवा हेमंत हमेशा भारी रहे रहे हैं। ऐसे में ममता बनर्जी अगर गठबंधन धर्म के मातहत आपसी सहमति से सीटों का बंटवारा कर राज्य में चुनाव लड़ती है, तो निः संदेह भाजपा चारों खाने चित हो सकती है।

मसलन, पश्चिम बंगाल की जनता के हित में यह महत्त्वपूर्ण निर्णय ममता बनर्जी को लेने चूक नहीं करने चाहिए। और बिहार की चुनाव नतीजों का भी आकलन करना चाहिए। बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने जेएमएम के साथ सीट बंटवारे को तबज्जो नहीं दिया था। नतीजतन, अति आत्मविश्वास में उन्हें हाथ आयी सत्ता से बेदखल होना पड़ा। 

2016 के चुनाव में भले ही पार्टी ने सीटें नहीं जीती, लेकिन मजबूत उपस्थिति जरूर दर्ज कराई

20 दिसम्बर 2020, पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में स्थित तारापीठ मंदिर में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सपरिवार पूजा-अर्चना करने पहुंचे थे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी पार्टी का रूख स्पष्ट किया था। उन्होंने अपने ऐलान कहा था कि पश्चिम बंगाल चुनाव में जेएमएम न सिर्फ प्रत्याशी खडा करेगी, बल्कि पूरे दमखम से चुनाव भी लड़ेगी। 

बताया जा रहा कि बंगाल में जीएमएम का टारगेट 25 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का है। पार्टी की नजर राज्य से सटे हुए पुरुलिया, बांकुड़ा और मिदनापुर जैसे बंगाल के आदिवासी इलाके की विधानसभा सीटों पर हैं। 2016 के विधानसभा चुनाव में जेएमएम बंगाल में झामुमो इन इलाकों में चुनाव लड़ चुका है। जेएमएम 20 सीटों पर चुनाव लड़ी, हालांकि पार्टी को सीट नहीं मिली, लेकिन अपनी मजबूत उपस्थिति जरूर दर्ज करायी थी। 

अनुसूचित जनजातियों के हित में जेएमएम लड़ेगी चुनाव 

हेमंत के तारापीठ दर्शन के दौरान उनकी उपस्थिति में जेएमएम की एक बैठक कोलकाता के बड़ा बाजार में संपन्न हुई थी। जिसमे निर्णय लिया गया है कि पार्टी बहुत जल्द ही, संभवतः झारग्राम में रैली कर विधानसभा चुनाव प्रचार का आगाज करेगी। पार्टी के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य का कहना है कि जेएमएम बंगाल में अनुसूचित जनजाति के हितों के लिए चुनाव लड़ेगा।

उनका कहना है कि उनकी पार्टी बंगाल में पेसा एक्ट को लागू कराने के लिए आंदोलन तेज करगी। अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को लागू कराने को लेकर झामुमो पहल करेगी। सूत्रों की माने तो, पार्टी पश्चिम बंगाल की एससी/एसटी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। पार्टी फिलहाल भाजपा के खिलाफ अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। ऐसे में यदि ममता बनर्जी गठबंधन का हाथ बढ़ाती है तो टीएमसी की राह आसान हो सकती है।

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