पश्चिम बंगाल घटनाक्रम विपक्षी एकता को तोड़ने हेतु भाजपा का प्रायोजित कदम

पश्चिम बंगाल का पूरी पटकथा प्रायोजित 

हर राज्य में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे बदले गए तो मन मुताबिक मुख्यमंत्री भी राज्यों में लाये गए, संघ की शाखाओं से जिसका वास्ता रहा है या फिर एवीबीपी के जरीये जिसने राजनीति का ककहरा पढ़ा है, उसे ही नंबर एक और नंबर दो के तहत महत्व दिया गया। इतना सब किये जाने के बावजूद क्षेत्रीय दल भाजपा पर मजबूत होते गए और ये पीटते गए। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम में भाजपा और संघ की विचारधारा को मुंह की खानी पड़ी। इतना ही नहीं ये क्षेत्रीय दल मजबूत गठबंधन की राह पर अग्रसर हैं। जाहिर है इससे संघ और बीजेपी की नींद हराम होनी ही थी।

शायद इन्हीं वजहों से कहा जा सकता है पश्चिम बंगाल का पूरा घटनाक्रम विपक्षी एकता को तोड़ने की दिशा में निश्चित रूप से भाजपा का सुनियोजित और प्रायोजित कदम है। साथ ही भारत की तमाम संस्थाओं पर भाजपा-मतलब मोदी-शाह के द्वारा निरंतर किये जा रहे हमलों का हिस्सा है। ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश में मायावती ओर अखिलेश यादव के बीच बनते संबंध को तोड़ने के लिए उठया गया। इतना ही नहीं झारखंड में भी भाजपा ठीक ऐसी ही पटकथा लिख रही तथा लिखने की तैयारी में है।

हालांकि, कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल ममता बनर्जी के समर्थन में उतर आए हैं। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, तेजस्वी यादव समेत कई विपक्षी नेताओं ने ममता बनर्जी से बात कर इस लड़ाई में उनके साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया है।

मसलन, इतिहास के पन्ने हमेशा गवाह रहे हैं कि क्षेत्रीय दल का जन्म राष्ट्रीय दलों के द्वारा किये गए जुलमातों के खिलाफ उठे आवाज से होती है। इसी वजह से क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय दलों के शीने में एक चुभती शूल के सामान होती है। इसलिए सभी राष्ट्रीय दल हर कीमत पर इन क्षेत्रीय दलों को निस्तेनाबुत करने पर आमादा रहती है। ताकि उनके द्वारा राज्यों के जनता के साथ किये जाने वाले मनमानी के खिलाफ कोई आवाज उठाने वाला न बचे।

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