सोरेन परिवार पर नीजि हमला करने वाले बीजेपी नेताओं को झारखंडी जनता ने पढ़ाया राजनीति का पाठ
रांची। बेरमो और दुमका सीट के नतीजे आने के बाद राज्य में खुशी का माहौल साफ़ तौर झलक रहा है। झारखंड की जनता ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के 10 माह के जमीनी स्तर के कार्यों को न केवल शिद्दत से स्वीकारा है, सराहा भी है। यही कारण है कि झारखंड विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन के दोनों प्रत्याशियों ने प्रचंड व ऐतिहासिक जीत दर्ज की है।
इस जीत के पीछे का एक सच यह भी हो सकता है कि पूरे कोरोना काल के त्रासदी में झारखंडी हक और अधिकारों को केंद्र द्वारा छिनने के प्रयास के बावजूद हेमन्त सोरेन ने जिस तरह से झारखंडियत की रक्षा की निश्चित रूप से वह काबिले तारीफ़ है। उसी काबिलियत को लोकतांत्रिक तरीके से जनता ने ऐतिहासिक जीत दे कर हेमंत सरकार को सराहा है। साथ ही जनता ने भाजपा नेताओं को यह भी पाठ पढ़ाया कि राज्य में झूठ व अहंकार की राजनीति नहीं चल सकती। ज्ञात हो कि पूरे चुनाव प्रचार में भाजपा नेताओ ने अमर्यादित भाषा के साथ झूठ परोस कर झारखंडियों को अपमानित करने का प्रयास किया। मसलन, झारखंडी जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से जवाब देने का बढ़िया रास्ता इख्तियार कर देश के समक्ष नया उदाहरण पेश किया है।
सोरेन परिवार पर निजी तौर पर हमला बोलने वाले तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को जनता ने सिरे से नकारा
दोनों सीटों पर मिली प्रचंड जीत साबित करता है कि झारखंडी जनता ने बीजेपी के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियो के बातों को सिरे से खारिज कर दिया है। ज्ञात हो कि पूरे दुमका क्षेत्र में अपने चुनावी प्रचार के दौरान पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी और रघुवर दास के साथ पूर्व सीएम सह केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा तक ने केवल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निजी हमला ही किया था। इस क्रम में वे सभी भूल गये थे कि स्वस्थ राजनीति में चुनावी जीत के लिए कभी निजी हमला नहीं होना चाहिए। जिसे दुमका और बेरमो की जनता ने भली भांति उन्हें याद दिला दिया। और गलतियों को न बख़्शते हुए दोनों ही क्षेत्रों की जनता ने ऐतिहासिक वोटों के माध्यम से गठबंधन प्रत्याशियों को जीत दिलायी।
बीजेपी खऱीद-फरोख्त की संस्कृति झारखंड में फैलाना चाहती थी, लेकिन झारखंडी जनता ने नहीं दिया मौका
झारखंड की जनता ने चुनाव के नतीजों के रूप में इसके भी संकेत दे दिए हैं कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व पर उन्हें भरोसा है। बता दें कि पूरे कोरोना काल में जिस तरह से केंद्र ने एक तरफ झारखंडी जनता को मझधार में अकेला छोड़ा और दूसरी तरफ संकट के दौर में DVC के आड़ में 1400 करोड़ रुपये भी काटते हुए झारखंडी जनता का अधिकार छिना। साथ ही उपचुनाव के लिए प्रदेश जदयू से समर्थन मांगने के क्रम में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश का लोकतंत्र के मर्यादा का हनन करते हुए कहना कि चुनाव के 2 माह में हेमंत सरकार गिर जाएगा, दर्शाता है कि वह गलत तरीके के सत्ता को अस्थिर करने के प्रयास में रही है।
दरअसल, प्रदेश बीजेपी ने ऐसा कर यह संकेत दे दिया कि अगर दोनों सीट पार्टी जीतती है, तो अन्य राज्यों में जिस तरह बीजेपी ने खऱीद-फरोख्त कर सरकार बनायी है। ठीक वैसा ही कुकर्म वह झारखंड में भी करने वाली है। लेकिन, झारखंडी जनता परिपक्वता का परिचय देते हुए इस उपचुनाव के नतीजे के माध्यम से बता दिया कि वह भाजपा की उस कु-संस्कृति को झारखंड में बर्दास्त नहीं करेगी। नतीजतन अन्य राज्यों की तरह यहाँ की जनता बीजेपी के झांसे में न आते हुए परिपक्वता के साथ लोकतंत्र को बचाने का उदाहरण दिया।
उपचुनाव के बाद हेमंत सरकार और मजबूत होकर उभरी
मसलन, इस उपचुनाव के नतीजे के साथ एक बार फिर हेमंत सरकार और मजबूती के साथ उभरी है। इन दोनों सीटों को जीतने के बाद हेमंत सरकार ने विधानसभा में और मजबूती के साथ दस्तक दी है। जिसका असर झारखंड के हित में ठोस नीतिगत फैसले के रूप में दिखेगा, क्योंकि विधानसभा में अब महागठबंधन के कुल 48 विधायक हो गये है। जेएमएम के 29 (हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद), कांग्रेस के 18 (प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को मिलाकर) और आरजेडी के 1 विधायक शामिल हैं।