झारखंड उपचुनाव के गठबंधन प्रत्याशी
- दुमका में झामुमो प्रत्याशी बसंत सोरेन की 6440 मतों से जीत -(कुल मत – 79964, भाजपा -73524)
- बेरमो में कांग्रेस प्रत्याशी कुमार जय मंगलम की 14223 मतों से जीत (कुल मत – 92751, भाजपा -78528)
झारखंड उपचुनाव में झामुमो गठबंधन को मिली जीत ने एक बार फिर साबित किया है कि राज्य के लोगों को अब भाजपा पर बिलकुल भरोसा नहीं रहा। गाजे-बाजे के साथ एनडीए प्रत्याशी लुइस मरांडी के जीत के लिए रणभूमि में बीजेपी ने कई कद्दावर नेताओं को उतारने के बावजूद उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा है। झारखंड की जनता ने भाजपा शासन के भ्रम की राजनीति को पूरी तरह से नकार दिया है।
पूरे प्रकरण में मजेदार पहलु यह रहा कि 10 सालों तक भाजपा पर पानी पी-पी कर आरोप लगाने वाले बाबूलाल मरांडी व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के मैदान में रहने के बावजूद भी भाजपा जीत नहीं पायी।साथ ही झारखंडियों ने भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को एक बार फिर सीख दी है कि झारखंड में अपशब्दों का प्रयोग व तानाशाही के लिए बिकुल जगह नहीं है। ख़ैर भाजपा तो अपने संभावित हार से पहले ही बौखलायी हुई थी। जनता ने उनके बौखलाहट को सच साबित करते हुए उन्हें मैदान से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
मसलन, हेमंत सरकार द्वारा कोरोना काल से लेकर अब तक के झारखंड में किये कार्यों को जनता द्वारा तबज्जो दिया माना जा सकता है। ज्ञात हो कि कोरोना महामारी में राज्य के मजदूर भी बड़ी बड़ी मात्र में देश के अन्य मजदूरों की भांति, भाजपा द्वारा आकस्मिक बेप्लानिग किये गए लॉकडाउन में जहाँ-तहां फंस गयी थी। हेमंत सोरेन पूरे राज्य के मजदूरों को बिना भेद-भाव किये आगे बढ़कर मदद की। मुख्यमंत्री ने मजदूरों को त्रासदी से निकालने के लिए एयरलिफ्ट तक कराया। साथ ही मजदूरों के बेरोजगार हो जाने की स्थिति में रोजगार भी मुहैया करवाए थे। शायद यही ईमानदारी झारखंडी जनता को भा गयी और झारखंड उपचुनाव के दोनों ही सीटों पर गठबंधन को जीत की टोकन दी है।