गुजरात लॉबी के समक्ष ‘INDIA’ लोकतांत्रिक समझ के साथ अडिग खड़ा

भारत त्रासदी के कारक मोदी शासन की नीतियों ने गुजरात लॉबी का सामन्ती चेहरा सामने ला दिया है. लोकतंत्र के नायक ‘INDIA’ बन खड़े. जन सहमती से स्पष्ट है सामन्तवाद भारत की पहचान नहीं.

रांची : सामंतवाद हमेशा ही लोकतंत्र का घोर विरोधी रहा है. क्योंकि लोकतंत्र जहां किसी देश या समाज की सामूहिक विकास व प्रगति का वकालत करता है, तो सामन्तवाद शक्ति, संसाधन और समृद्धि केवल कुछ विशेष वर्गों के हाथ में एकाधिकार के रूप में सौपने को लालायित होता है. और सस्ते चाकरी के अक्स में वह आम व गरीब-आरक्षित जनता के शिक्षा, हक-अधिकार, अभिव्यक्ति, मूलभूत सुविधा और स्वतंत्रता की सीमा में कटौती के सारे संसाधन जुटाता है.

गुजरात लॉबी के समक्ष ‘INDIA’ लोकतांत्रिक समझ के साथ अडिग खड़ा

ज्ञात हो, 15 अगस्त 1947, भारत देश जहाँ एक जुट हो अंग्रेजों के शोषण को परास्त कर लोकतांत्रिक संविधान के आसरे विकास पथ पर आगे बढ़ रहा था. तो वहीं जाति आधारित सामंतवाद का संगठित गिरोह भारत के लोकतांत्रिक प्रणाली को ढहाने की मंशा लिए अस्तित्व में आ रहा था. देश धीरे-धीरे ही सही लेकिन शील चक्र के आसरे विकास पथ पर बढ़ चला था. तभी सामंवाद का बाबरी मस्जिद प्रकरण के रूप में देश के लोकतांत्रिक नीव पर हिडन एजेंडे के तहत मजबूत हमला हुआ. 

देश विकास से दूर अंतर्कलह के मुहाने पर आ खड़ा 

इस हिन्दू-मुस्लिम तनाव के अक्स में आरक्षित, गरीब व अल्पसंख्यक वर्ग के सपने ज़मींदोज हुए और देश में शिक्षा, चिकित्सा, हक-अधिकार जैसे सभी आयामों में बढ़ते कदम लडखडाये. अब तक देश में आरएसएस ने अटल बिहारी के रूप में पहला पीएम दे चुका था. इसी दौर में आरएसएस व बीजेपी में गुजरात लॉबी का तानाशाही घुसपैंठ देखा गया. गोधरा काण्ड में पूर्व पीएम अटल बिहारी के द्वारा गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को दिया गया नशीहत इसका स्पष्ट दर्पण है.

वर्तमान में गुजरात लॉबी का प्रभावशाली घुसपैंठ न केवल आरएसएस व बीजेपी में, बल्कि देश के लोकतांत्रिक प्रणाली में है. जिसके अक्स में न केवल पूर्व बीजेपी के साथी, देश के संघीय ढांचा के तहत खड़ी तमाम गैर बीजेपी सरकारें, आरक्षित जातियां, गरीब व अल्पसंख्यक तक त्रस्त है. और बीजेपी भ्रष्टाचारियों, बलात्कारियों और संगीन अपराध आरोपी की पार्टी के रूप में सतह पर है. नतीजतन, देश विकास से दूर अंतर्कलह के मुहाने पर खड़ा है. मणिपुर त्रासदी उदाहरण भर है. 

गुजरात लॉबी के नीतियों के अक्स में सामन्तवाद व लोकतांत्रिक भारत आमने-सामने 

भारत त्रासदी के मुख्य कारक ने आरएसएस, बीजेपी, मोदी शासन व उसके पूंजीपतियों के वर्तमान तानशाही नीतियों ने गुजरात लॉबी का सामन्ती चेहरा सामने ला दिया है. जिसके अक्स लोकतांत्रिक भारत सामने आ खड़ा हुआ है. लोकतंत्र के नायकों को एका गठबंधन का नाम ही ‘INDIA’ ( Indian National Developmental Inclusive Alliance) रखना पड़ा है. और इस समझ पर जनता की सहमती ने स्पष्ट कर दिया है कि सामन्तवाद कभी भारत की पहचान नहीं हो सकता है.

जनता व लोकतांत्रिक पार्टियों को इस निर्णायक संघर्ष में समझना होगा कि सामंतवाद एक प्रबलीकरण सोच है. इसके नेता सत्ता सुनिश्चित करने के लिए चुनावी प्रणाली, मिडिया, संचार, टेक्नोलॉजी, धन, जैसे आयामों का  दुरुपयोग करने से नहीं चुकते. चूँकि सामंतवाद लोकतांत्रिक समाज के विकास, समृद्धि व समानता को अवृद्ध कर शक्तिशाली हाथों में शोषण के हथियार थमाता है, इसलिए इसे इनका सहयोग मिलता है. मसलन, लोकतांत्रिक भारत का संघर्ष आसान नहीं है.

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