सीएम हेमन्त का ‘सारथी योजना’ सामंती मंशा का उठाएगा अर्थी

सामन्ती मंशा के द्वारा गरीब व आरक्षित वर्ग को विस्थापन व संसाधन विहीन कर झारखण्ड को गठन काल से ही अनस्किल्ड बनाया गया है. सीएम हेमन्त का ‘सारथी योजना’ राज्य में ऐसे दुष्ट सामंती मंशा का उठाएगा अर्थी. 

रांची : झारखण्ड के नीव में राज्य के महापुरुषों का कठिन संघर्ष, शहादत व उसके बच्चों के भविष्य निछवर का आखिरी सच है. लेकिन, अशिक्षा के अक्स में दुर्भाग्य रहा कि झारखण्ड गठन के बाद राज्य में सामन्ती सत्ता लोकतंत्र के चोला ओढ़ लगातार 18-20 वर्षों तक प्रभावी रहा. नतीजतन, गरीब, अरक्षित समेत मूलवासियों का तमाम वर्ग विस्थापन व साधनहीनता का शिकार हुआ. और आत्मनिर्भर मूल झारखंडी मजबूरन सामन्ती मंशा के लिए सस्ता चाकर बनने को विवश हुआ. 

सीएम हेमन्त का ‘सारथी योजना’ सामंती मंशा का उठाएगा अर्थी

राज्य के मूलवासियों की स्थिति यह हो चली थी कि विस्थापन के अक्स में वह स्किल्ड खेतीहर से अनस्किल्ड श्रमिक बन गए. न वह प्रमाणपत्र बना पते हैं और ना ही गरीबी, ससांधन व बैंक अनदेखी के अक्स में बदलते तकनीकी युग से खुद को जोड़ ही पाते हैं. लेकिन, एक झारखन्डी आदिवासी सीएम ने पहली बार राज्य के मूलवासियों की इस त्रासदी को मानवीय स्तर पर समझने का प्रयास किया है. और निवारण की दिशा में ‘मुख्यमंत्री सारथी योजना’ के रूप ठोस विकल्प दिया है.

ज्ञात हो, 22 जुलाई 2023, झारखण्ड में सीएम हेमन्त सोरेन के द्वारा ‘मुख्यमंत्री सारथी योजना’ के तहत गरीबों के लिए बिरसा योजना, रोजगार प्रोत्साहन भत्ता तथा परिवहन भत्ता वितरण का शुभारंभ राज्य के गरीब व वंचित युवाओं के खतों में ऑनलाइन राशि हस्तांरित कर किया गया. राज्य के मूलवासियों के सभी वर्गों में इस कदम को लेकर ना केवल आपार खुशी दिखी, आत्मविश्वास का उभार भी उनके चेहरे पर स्पष्ट तौर पर दिखा. वह खुद को झारखंडी बोल इतराते दिखे.

गरीब समाज के लिए रोजगार प्रोत्साहन और परिवहन भत्ता सशक्तिकरण की आस 

ज्ञात हो, सामन्तवाद के ऐसे त्रासदी मकड़जाल से गरीब व वंचित समाज को बाहर निकाल उसे सशक्त बनाने के दिशा में रोजगार प्रोत्साहन भत्ता और परिवहन भत्ता जैसी कल्याणकारी योजनायें एक अहम विकल्प है. यह योजना युवा वर्ग को रोजगार के अवसरों में सहायता प्रदान करेगा. और यह उन्हें अपने व अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी उपलब्ध कराने में पर्याप्त सहायता उपलब्ध कराएगा.

रोजगार प्रोत्साहन और परिवहन भत्ता के राज्य को मिलने वाले मुख्य फायदे –

  • वर्तमान केन्द्रीय नीतियों के अक्स में युवा वर्ग में बढ़ती बेरोजगारी का सामना करना मुश्किल हो गया है. ऐसे में रोजगार प्रोत्साहन भत्ता उन्हें नौकरी या उद्यमिता के लिए सामर्थ्यवान बनाएगा. युवाओं को रोजगार के अवसरों के नए स्रोत प्रदान करने में भूमिका निभाएगा. 
  • इससे कदम से राज्य के युवा वर्ग आर्थिक रूप से स्वयंसहायता प्राप्त कर सकेंगे और बिना अनिश्चितता के अपने व अपने परिवार की आर्थिक समस्या दूर कर पायेंगे. और भारत भर के सामाजिक असामाजिक वर्ग के बीच गरीब-वंचित को समान अवसर प्रदान करेगा.
  • रोजगार प्रोत्साहन भत्ता राज्य के कामकाजी युवाओं को कौशल विकास के लिए प्रोत्साहित करेगा. यह विकल्प उन्हें नौकरी में अधिक समर्थवान बनने का मौका देगा जिससे वह अधिक उच्च भुगतान वाली नौकरियों में आसानी से प्रवेश पा सकेंगे.
  • रोजगार प्रोत्साहन व परिवहन भत्ता राज्य के युवाओं को सार्थक सम्बन्ध बनाने और समाज के में सक्रिय भागीदार बनने में मदद करेगा. जिससे उनमें स्वावलंबन की भावना विकसित होगी और वह समाज के विकास में अपना योगदान देने के लिए तत्पर रहेंगे.
  • यह भत्ता विशेष कर ग्रामीण युवाओं को फायदे पहुंचाएगा. चूँकि भारत के गांवों में रोजगार के अवसर सीमित होते हैं ऐसे में हेमन्त सरकार की यह भत्ता सुविधा उन्हें शहरी क्षेत्रों के रोजगार के अवसरों तक पहुंचने में मदद करेगा जिससे झारखण्ड के गाँव विकसित भी विकसित होंगे.

मसलन, सीएम हेमन्त व उनकी सरकार की रोजगार प्रोत्साहन भत्ता तथा परिवहन भत्ता की मानवीय पहल झारखन्डी युवा वर्ग को सामन्ती मकड़जाल से बाहर निकालने के लिए सारथी का किरदार अदा करने के दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. जिससे सामन्ती मंशा परास्त होगा और झारखण्ड राज्य आर्थिक व सामाजिक रूप से सशक्त बन सकेगा. साथ ही भारत के पितृसत्ता समाज जाति आधारित समाज के रूढ़ी समझ को लोकतांत्रिक बनने को प्रोत्साहित करेगा.

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