हेमन्त सरकार में पहली बार जेपीएससी नियमावली बनी और परीक्षा भी हुई 

झारखण्ड में पहली बार मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व मे जेपीएससी की नियमावली बनी. 19 सितम्बर 2021 को सफलता पूर्वक परीक्षा संपन्न हुई. पहली बार एक साथ चार जेपीएससी की परीक्षा ली गई

अलग राज्य गठन के बाद झारखण्ड की त्रासदी रही है कि यहाँ 21 सालों में केवल 6 जेपीएससी (JPSC) की ही परीक्षा ली गई. जो हुई भी वह अधिकाँश विवादों में घिरी रही. जाहिर है इसके जिम्मेदार पूर्व की सरकारें ही रही. यह महज इत्तेफाक भी नहीं हो सकता क्योंकि झारखण्ड राज्य की अधिकाँश, लगभग 14 वर्ष का शासनकाल भाजपा की रही है. ऐसे में जेपीएससी की परीक्षाओं को लगातार संपन्न न हो पाना उस भाजपा सरकार के विचारधारा पर संदेहास्पद सवाल उठाना जायज माना जा सकता है. क्योंकि पांच सालों का पूर्ण कार्यकाल पूरा करनेवाली भाजपा की डबल इंजन की सरकार द्वारा ज्यादा निराश किया जाना सवालों को पुख्ता करती है.

उस भाजपा सत्ता के पास राज्य की स्थिति को संवारने का मौका था. बहुमत तो थी ही केंद्र का समर्थन भी था. लेकिन उस रघुवर सरकार में राज्य और युवाओं के हित में काम करने की नीयत नहीं थी. उनका सारा ध्यान केंद्र को खुश करने में बीता. केंद्र की नीतियों के आसरे झारखण्ड लूट को अंजाम दिया जाता रहा और इधर युवा डिप्रेशन के शिकार हो आत्महत्या करने लगे. जो थोड़ी बहुत नियुक्तियां निकली, उसे भी बाहरियों को लुटाया जाना, उस सत्ता के मंशे को समझने के लिए पर्याप्त हो सकता है. मसलन, रघुवर काल में जेपीएससी की नियमावली पर काम नहीं हुआ और उल-जुलूल नीतियों के आसरे केवल युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता रहा. 

पूर्व की भाजपा सरकार के विपरित हेमन्त सरकार युवाओं के रोजगार के प्रति गंभीर 

इसके ठीक विपरीत, सत्ता में आते ही मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन द्वारा युवाओं के रोजगार पर ध्यान दिया जाने लगा. कोरोना काल होने के बावजूद उन्होंने न सिर्फ 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया बल्कि प्राथमिकता के आधार पर इस दिशा में महत्वपूर्ण काम किए गए. मिसाल के तौर पर राज्य में –

  • पहली बार जेपीएससी के परीक्षा संचालन को लेकर नियमावली का गठन किया गया. 
  • जेपीएससी की चार सालों की लंबित परीक्षा पहली बार 19 सितम्बर 2021 को एक साथ ली गई. इनमें सातवीं जेपीएससी की परीक्षा (2017), आठवीं (2018) नौंवी (2019) और दसवीं (2020) की परीक्षा शामिल है.
  • मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन की सरकार में जेपीएससी की नियमावली बनाने में ध्यान रखा गया कि पूर्व की विसंगतियों को खत्म किया जाये जिससे विवाद होता रहा है. 
  • हेमन्त सरकार द्वारा परीक्षा फीस 600 रुपए  में भरी कटौती करते हुए मात्र 100 रुपए ली गई. 

बहारहाल, हेमन्त सरकार में राज्य बनने के बाद पहली बार है जब जेपीएससी की परीक्षा एक सुदृढ़ नियमावली के तहत ली गई. राज्य के युवाओं में हर्ष व राहत का माहौल दिखा. सरकार को अपने वादे को लेकर गंभीरता देख युवाओं में ख़ुशी दिखी. नयी नियुक्तियों की दिशा में हेमन्त सरकार का गंभीरता से आगे बढ़ना, झारखण्ड के सुखद भविष्य को मील का पत्थर साबित होगा. जिससे सरकार के प्रति न सिर्फ युवाओं में बल्कि जन-जन में विश्वास की मजबूत नीव रख रही है. मसलन, हेमन्त सरकार की पहल से रिक्त पदों पर राज्य को नये युवा अधिकारी व पदाधिकारी मिलेंगे, जो झारखण्ड में विकास की पटकथा अवश्य लिखेंगे.

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