सरकारी नौकरियों में एसटी, एससी, ओबीसी की संख्या 15 गुना बढ़ी

सरकारी नौकरियों में एसटी-एससी व ओबीसी की संख्या 15 गुना बढाने के लिए प्राप्तांक से आठ फीसदी नीचे जाने की कट ऑफ शर्त को समाप्त कर दिया गया

अलग झारखंड के 14 वर्षों के भाजपा शासन में यदि वह परिस्थिति बने, जहाँ उड़ान के सपने पाले युवा को मंजील नहीं, आत्महत्या करे। 20 वर्षों में 20 से लेकर 35 साल के युवा राजनीति व्यवस्था के अक्स तले डिप्रेशन में चली जाए। इक्का-दुक्का नहीं ऐसी घटनाओं की बाढ़-सी आ जाए। और उनके आका बेरोगार युवाओं को पकौड़े तलने की सलाह निर्लज्जता से दे। तो निश्चित रूप से ऐसी मानसिकता वाली राजनीति को तिलांजलि दे देनी चाहिए। और नए सिरे से भविष्य संजोने की ओर बढ़ जाना चाहिए। झारखंड ने एक वर्ष पहले कुछ ऐसा ही किया। जहाँ उनकी चुनी हुई सत्ता लोकतंत्र के दायरे में व्यवस्था की नयी लेकिन बड़ी लकीर खींची है।    

जनता की चुनी उस नयी सत्ता के मुखिया हेमंत सोरेन ने राज्य के सरकारी रिक्त पदों को भरने के मातहत नयी पहल की है। मुख्यमंत्री ने न केवल युवाओं के ज़ख्मों के मवाद को साफ़ किया, बल्कि 20 सालों के नासूर जख्मों के कारण को पता करते हुए इलाज़ भी ढूढ निकाला। हेमंत सत्ता ने ऐतिहासिक पहल कर झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के विवादों का जड़ से इलाज़ के मद्देनजर कंबाइंड सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन रूल 2021 को प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी। ज्ञात हो कि सरकार के इस कदम से एसटी, एससी, ओबीसी समेत तमाम वर्गों के युवाओं की चिंताओं को सुकून मिलेगा।

जेपीएससी के 1951 के बाद पहली बार बनी नई नियमावली की मुख्य विशेषता

  • नया नियम, एसटी, एससी, ओबीसी आदि जैसे रिजर्व कैटेगरी को जहाँ अनरिजर्व्ड कैटेगरी में जाने की छुट देगी, वहीं मनपसंद सेवा न मिलने पर उन्हें अनरिजर्व्ड कैटेगरी से रिजर्व कैटेगरी में लौटने का मौका देगी। मसलन वे अब इस नये नियम के तहत अपनी मनपसंद सेवा बिना बंदिशों के पा सकेंगे।
  • ‘झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विसेज परीक्षा रूल्स-2021’ कई पहलुओं को स्पष्ट करती है। कैंडिडेट की न्यूनतम उम्र सीमा 21 वर्ष और शैक्षणिक योग्यता स्नातक निर्धारित की गयी है। 
  • झारखंड राज्य सिविल सेवा परीक्षा नियमावली 2021 में संशोधन- उम्र सीमा में चार साल सात महीने की वृद्धि। । 
  • सरकारी नौकरियों में एसटी-एससी व ओबीसी की संख्या 15 गुना बढाने के लिए प्राप्तांक से आठ फीसदी नीचे जाने की कट ऑफ शर्त को समाप्त कर दिया गया है।
  • इंटरव्यू के लिए कुल सीटों के ढाई गुना उम्मीदवारों को बुलाया जाएगा।
  • पहले केवल 13 अनुसूचित जिलों में स्थानीय निवासियों को सरकारी नौकरियों में तृतीय व चतुर्थवर्गीय पदों पर 10 साल तक आरक्षण देने की नीति लागू थी अब 11 गैर अनुसूचित जिलों में भी के स्थानीय निवासियों को भी यह सुविधा दी गयी है।
  • जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की उम्र सीमा में चार साल सात महीने की छूट दी है। सिविल सेवा परीक्षा में अधिकतम उम्र सीमा की कट ऑफ एक अगस्त 2016 और न्यूनतम की एक मार्च 2021 होगी।
  •  भाषा की परीक्षा में मिले अंक को मेरिट लिस्ट में नहीं जोड़ा जायेगा।

पुनर्वास नीति के नियमावली में आंशिक संशोधन

पुनर्वास नीति के तहत जल संसाधन विभाग में वर्ग तीन के कर्मचारियों की नियुक्ति नियमावली में आंशिक संशोधन किया गया है। इसके तहत विस्थापितों को नौकरी देने के लिए उम्र सीमा में तीन वर्ष की छूट दी गयी है। साथ ही अधिग्रहित के तौर पर जमीन के अनुपात में नंबर देने का फैसला किया गया है। जिसकी जमीन दो एकड़ से कम है, उसे दो अंक, दो से तीन एकड़ तक में चार अंक, तीन से चार एकड़ तक में छह अंक, चार से पांच एकड़ तक में आठ अंक, पांच एकड़ से अधिक के लिए 10 अंक दिये जायेंगे। इन अंकों को परीक्षा में मिले अंकों से जोड़ कर उम्मीदवारों की मेरिट लिस्ट बनायी जायेगी।

नोट :  यह फैसला हाइकोर्ट द्वारा दिये गये फैसले के आलोक में लिया गया है। फैसले से कई नियुक्ति प्रक्रिया होगी प्रभावित हो सकती है। सरकार ने अब तक मामले को सिरे से खारिज नहीं किया है। सूत्र बताते हैं कि मामले के हल की दिशा में सकारात्मक फैसले ले सकती है।

   
मसलन, 2016 में जेपीएससी की आखिरी परीक्षा आयोजित हुई थी। जिससे राज्य के युवाओं में त्रासदी जैसे हालात बने। यह नयी व्यवस्था नए दौर का आरम्भ है। जहाँ युवा अपने सुनहरे भविष्य फिर से लिख पायेंगे। अब अधिक से अधिक पढ़े-लिखे नौजवानों को लाभ मिलेगा। यह नियुक्तियों के दौर का भी आरम्भ है।

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