क्या गुजरात मॉडल के वकील नेताओं ने ‘डॉयचे बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री की रिपोर्ट’ पढ़ी?

डॉयचे बैंक इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री की रिपोर्ट में झारखण्ड गुजरात से बेहतर. कैग रिपोर्ट में भी झारखण्ड बेहतर. पहले 5 में 4 गैर भाजपा शासित राज्य. महाराष्ट्र की हकीकत से देश वाकिफ.

भाजपा के पूर्व के रघुवर दास सरकार ने झारखण्ड हित के आड़ में शिविर के आसरे चिंतन कर अपनाया था गुजरात मॉडल – नतीजा खाली खजाना और कर्ज के रूप में आया था सबके सामने.

रांची: मौजूदा केन्द्रीय बीजेपी सत्ता का अक्स ‘चौपट अर्थव्यवस्था’. बीजेपी शाषित राज्यों का अक्स ‘चौपट अर्थव्यवस्था’. गुजरात मॉडल का अक्स ‘कॉर्पोरेट लूट के अक्स में मिश्रित अर्थव्यवस्था चौपट करना’. वह भी तब जब देश में भाजपा राष्ट्रीय नेताओं से लेकर झारखण्ड से लेकर गोदी मीडिया तक का सच गुजरात मॉडल के कसीदे पढ़ना हो. और एक आदिवासी सीएम की कुशलता बीजेपी सत्ता को अर्थशास्त्र का पाठ पढ़ा जाए. तो अमृतकाल में जनता के बीच गुजरात मॉडल की समीक्षा जरुरी.

क्या गुजरात मॉडल के वकील नेताओं ने 'डॉयचे बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री की रिपोर्ट' पढ़ी?

वर्तमान मोदी काल में भाजपा के नेताओं के द्वारा गुजरात को एक मॉडल स्टेट के रूप में देश में प्रस्तुत किया गया है. राजनीति शास्त्र के विद्यार्थियों को गुजरात के विकास मॉडल का अध्ययन करने की सलाह देने से भी नहीं चूके. लेकिन झारखण्ड सरकार के एक आदिवासी सीएम के आर्थिक नीतियों ने गुजरात मोडल को पछाड़ दिया. डॉयचे बैंक इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री की देश के 17 प्रमुख राज्यों में राजकोषीय स्थिति फाइनेशियल हेल्थ पर जारी रिपोर्ट में झारखण्ड के स्थिति गुजरात से बेहतर है.

दरअसल झारखण्ड अर्थव्यस्था के उभार को दिखाती यह दूसरी रिपोर्ट है जिसमें हेमन्त सरकार की आर्थिक नीतियों ने न केवल लोहा मनवाया तारीफे भी लूटी है. ज्ञात हो, झारखण्ड विधानसभा के मानसून सत्र 2023 के आखिरी दिन आर्थिक नीतियों पर जारी कैग रिपोर्ट में भी हेमन्त सरकार की सराहना हुई है. डॉयचे बैंक इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री की रिपोर्ट में पहले पांच स्थानों में से चार गैर भाजपा शासित राज्यों को जगह मिली है. और महाराष्ट्र की मौजूदा सच्चाई से देश वाकिफ़ है.

डॉयचे बैंक इंडिया की रिपोर्ट -टॉप 5 राज्यों में 4 गैर-भाजपा शासित राज्य 

देश के राज्यों की राजकोषीय स्थिति के मामले में डॉयचे बैंक इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री की रिपोर्ट स्पष्ट तौर पर बताती है कि झारखण्ड के उभरते अर्थव्यवस्था ने गुजरात की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ दिया है. देश के 17 प्रमुख राज्यों में झारखण्ड राजकोषीय स्थिति फाइनेशियल हेल्थ के मामले में पांचवें पायदान पर है, जबकि गुजरात इस सूची में दो पायदान नीचे खिसक कर सातवें स्थान पर पहुँच गया है. ज्ञात हो, एक वर्ष पूर्व के रिपोर्ट में गुजरात देश भर में पांचवें स्थान पर था.

यह रिपोर्ट वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित बजट अनुमानों के आधार पर तैयार की गई है. रिपोर्ट बताती है कि हेमन्त सरकार में झारखण्ड की वित्तीय स्थिति में अप्रत्याशित सुधार हुआ है. और झारखण्ड पहले पांच स्थान में अपनी मजबूत जगह बनाने में कामयाब हुआ है. पहला स्थान महाराष्ट्र को मिला है. महाराष्ट्र आर्थिक राजधानी है और बीजेपी द्वारा पूर्व की ठाकरे सरकार की उपलब्धि को हाइजैक करने का सच लिए है. वहीं, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना और झारखण्ड का क्रमांक है.

कैग की रिपोर्ट ने भी हेमन्त सरकार की आर्थिक नीतियों को बताया गया बेहतर 

हेमन्त सरकार की बेहतर नीतियों पर मुहर लगाती दूसरी रिपोर्ट भी सामने है. नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की वित्तीय ऑडिट रिपोर्ट 2022 का भी कहना है कि झारखण्ड में 2022-2023 में राजस्व में बढ़ोतरी हुई है. इस वर्ष राजस्व सरप्लस स्टेट के रूप में देखा जा रहा है. इस वर्ष झारखण्ड को राजस्व के रूप में 6944 करोड़ मिले हैं, जो पिछले वर्ष 2021-22 से बेहतर है. वहीं राजकोषीय घाटा की बात करें तो इस वर्ष 2604 करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष से काफी कम है. 

झारखण्ड हित के आड़ में रघुवर सरकार ने अपनाया था गुजरात मॉडल, नतीजा खाली खजान और कर्ज 

झारखण्ड में, पूर्व की भाजपा रघुवर दास सरकार के द्वारा चिंतन शिविर के आसरे गुजरात मॉडल के अक्स को झारखण्ड के विकास से जोड़ा गया था. और विजन डॉक्यूमेंट के रूप में लागू किया था. दावा किया गया था कि गुजरात की आर्थिक नीति झारखण्डियों के लिए बेहतर होगा. गुजरात मॉडल के बखान में 13 और 14 दिसंबर 2015 को कांके स्थित कोयला प्रबंधन संस्थान में चिंतन शिविर का भी आयोजन किया जाएगा.

तत्कालीन सीएम रघुवर दास से लेकर सरकार के सभी मंत्री, विधायक, विभाग के सचिव और वरीय अधिकारियों की उपस्थिति रही. इस शिविर में विभिन्न एजेंडों पर दो दिनों तक मंथन कर विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया गया. मोमेंटम झारखण्ड का आयोजन हुआ. मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों ने विदेशों का दौरा किया. बाद में इसका सच न केवल खाली खजाने, आकंठ कर्ज में डूबने और घोटाले के रूप में सामने आया था.

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