जन सुझावों के मद्देनजर झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि और 5 वर्षों के लिए बढाने की मजबूत अभिव्यक्ति कोविड-19 से क्षतिग्रस्त देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा…
रांची : कोविड-19 महामारी में देश-दुनिया की अर्थव्यवस्थ गभीर रूप से प्रभावित हुआ है. भारत देश भी इस त्रासदी से अछूता नहीं है. ज्ञात हो जीएसटी के मद्देनज़र देश की अर्थव्यवस्थ पहले से ही चरमराई हुई थी. तमाम राज्य जीएसटी क्षतिपूर्ति समय पर न मिलने की समस्या से त्राहिमाम रही है. ऐसे में जब जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि समाप्त होने के कगार पर आ खड़ी हो. तो त्रासदी का भयानक असर झारखण्ड-बिहार जैसे ग़रीब राज्यों में किस हद तक तबाही मचा सकता है समझा जा सकता है.
चूँकि बिहार राज्य भाजपा शासित राज्यों में से एक है, आका के समक्ष उसके चुप्पी का अर्थ समझा जा सकता है. ऐसे में, फिर एक बार मुआवजा की व्यवस्था की अवधि और पांच साल बढ़ाने हेतु आवाज़ झारखण्ड राज्य से गूँजी है. निसंदेह, जनता के सुझावों के मद्देनज़र जन कल्याण में, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की यह आवाज़ फिर एक बार ऐसे गंभीर स्थिति में मजबूत अभिव्यक्ति के रूप में देश के पटल पर दस्तक दी है.
जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि और 5 वर्ष बढाने की झारखण्ड से उठी
ज्ञात हो, वित्त विभाग की ओर केंद्र सरकार को भेजे गए सुझाव में लिखा गया है कि राज्यों को राजस्व, जो पहले जीएसटी के लागू होने के बाद प्रभावित हुआ था, कोविड-19 महामारी के अक्स में गभीर त्रासदी के रूप में उभरा है. हम वायरस के प्रकोप से राजस्व में होनेवाली हानि के कारण बजटीय खर्च की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है. ऐसे में यदि अगले वर्ष जीएसटी मुआवजा समाप्त हो जाता है, तो राज्य को राजस्व की और कमी का सामना करना पड़ेगा. झारखण्ड सरकार के वित्त मंत्रालय की ओर से केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि मुआवजा की व्यवस्था को पांच साल के लिए और बढ़ाया जाए.
मसलन, यह विस्तार अवधि राज्यों को राजस्व हानि से उबरने में पर्याप्त समय देगा. झारखण्ड सरकार द्वारा केंद्रीय बजट 2022-23 के लिए राज्य की ज़रूरतों के मद्देनज़र जीएसटी क्षतिपूर्ति अवधी को बढाए जाने की मांग सुझाव के रूप में भेजा जाना झारखण्ड समेत देश भर के राज्यों की अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान करेगा.