गैस कांड को लेकर हेमंत सोरेन ने संवेदना व्यक्त की: दुखद 2020

विशाखापत्तनम गैस कांड : भोपाल गैस कांड की तरह, आज सुबह एलजी पॉलीमर, फार्मा कंपनी के प्लांट से स्टाइरीन नमक गैस का रिसाव हुआ। जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई और 5000 से अधिक बीमार हो गए।। जो अस्पताल में दाखिल हुए हैं। 100 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। 

इस गैस कांड से लगभग 3 किमी क्षेत्र प्रभावित हुआ है। एहतियात के तौर पर 6 गाँवों को खाली कराया गया है। जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (DMHO) द्वारा इसकी पुष्टि की गई है। आंखों में जलन और सांस लेने में कठिनाई के कारण वहां मौजूद लोगों को अस्पताल ले जाया गया।

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विशाखापत्तनम गैस कांड की वीडियो

झारखण्ड के मुख्यमंत्री समेत विधायकों ने गैस कांड पर दुःख जताया 

राज्य झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस घटना को लेकर दुःख जताया है। उन्होंने ट्विट कर प्रभावित लोगों की जल्द सवास्थ होने की कामना की है।

भोपाल की तरह हुई विशाखापत्तनम गैस कांड
झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ट्विट

झामुमो के विधायक सुदिब्य कुमार सोनू ने प्रार्थना की है। इस विपदा की घडी में भगवान् उन्हें दुःख सहने की क्षमता दे। 

भोपाल की तरह हुई विशाखापत्तनम गैस कांड
विधायक सुदिव्य कुमार सोनू के ट्विट

प्रधानमंत्री मोदी का ट्वीट 

मोदी का ट्वीट:  विशाखापत्तनम की स्थिति पर मेरी एमएचए और एनडीएमए के अधिकारियों से बात हुई है, और इस पर मेने अपनी नजर बनाए रखी है। मैं विपदा से प्रभावित सभी के लिए कल्याण के लिए प्रार्थना करता हूं। आंध्र प्रदेश के सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी से भी इस विषय में बात हुई है।

अमित शाह का ट्वीट: विशाखापत्तनम की घटना परेशान करने वाली है। उन्होंने एनडीएमए के अधिकारियों से बात की है। हम स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। मैं प्रार्थना करता हूं कि विशाखापत्तनम के लोग अच्छे हों।

गैस कांड में रिसने वाली स्टाइरीन गैस का प्रभाव

  • सांस लेने में परेशानी होना।
  • शरीर पर चकत्ते पड़ना
  • आंखों में जलन होती है
  • उल्टी और बेहोशी जैसे लक्षण

स्टाइरीन गैस की आक्रामकता ?

इस गैस का उपयोग प्लास्टिक, पेंट, टायर जैसी चीजों को बनाने के लिए किया जाता है। शरीर में प्रवेश करने पर, यह सीधे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। स्टाइरीन गैस बच्चों और सांस के रोगियों के लिए बहुत खतरनाक है।

सावधानी

स्टाइरीन गैस रिसाव की स्थिति में – दौड़ना नहीं चाहिए। मुंह के ऊपर एक नम कपड़ा रखना चाहिए। लेटते समय रोगी को लंबी सांस दी जानी चाहिए। यदि आप सांस नहीं ले सकते हैं, तो आपको ऑक्सीजन लेना चाहिए।

भोपाल गैस कांड विशाखापत्तनम गैस रिसाव से भी खतरनाक थी 

यह दुनिया में एक औद्योगिक त्रासदी है। जहां हजारों लोग अपनी जान गँवा चुके हैं। लाखों लोग पीड़ित हुए हैं और पीढ़ियों से लोग गैस के आनुवंशिक प्रभावों से पीड़ित हैं। जो त्रासदी से बच गए वे विकलांग हैं। नई पीढ़ी भी विकलांग पैदा हुई है।

भोपाल गैस रिसाव की जानकारी

लगभग 36 साल पहले इसी तरह की घटना भोपाल में हुई थी। यह दुर्घटना दुनिया की सबसे गंभीर औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक है। भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसका असर आज भी वहां के लोगों के बीच साफ तौर पर देखा जा सकता है। हालांकि, यूनियन कार्बाइड फ़ैक्टरी में हुई दुर्घटना विशाखापत्तनम की तुलना में बहुत अधिक भयानक और घातक थी।

मध्यप्रदेस के भोपाल गैस कांड की video

भोपाल गैस रिसाव के समय मुख्यमंत्री

1984 के भोपाल गैस कांड के समय अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। अर्जुन सिंह ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि उन्होंने भोपाल के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी को तलब किया और उन्हें एंडर्सन, केशब महेंद्र और विजय गोखले को गिरफ्तार करने के लिखित आदेश दिए।

उन्होंने भोपाल हवाई अड्डे के प्रभारी एके ख़ुराना को एक संदेश भी भेजा कि वे एंडर्सन के विमान को हवाई अड्डे पर उतरने की अनुमति न दें, जब तक कि जिला कलेक्टर और एसपी एंडर्सन को गिरफ्तार करने के लिए हवाई अड्डे पर नहीं आ जाते।

भोपाल गैस कांड का मुख्य आरोपी

वॉर्न एंडरसन पर धारा 92, 120 बी, 278, 304, 426 और 429 के तहत गैर-आपराधिक हत्याओं का मामला दर्ज हुआ था। वॉर्न एंडर्सन की गिरफ्तारी की खबर ने पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी थी। यह शायद पहली बार था जब किसी एशियाई देश ने पश्चिम के सबसे शक्तिशाली सीईओ की गिरफ्तारी की थी।

भोपाल की तरह हुई विशाखापत्तनम गैस कांड

MP भोपाल गैस कांड कब हुआ था

यह गैस कांड 2 दिसंबर, 1984 को हुआ था। विशाखापत्तनम दुर्घटना ने 36 वर्षीय भोपाल गैस त्रासदी की यादों को वापस ला दिया है। जिसमें 15,000 से अधिक लोगों ने अपनी जान गँवाई। जबकि सरकारी रजिस्ट्री में केवल 3,787 मौतें दर्ज की गई हैं।

मध्यप्रदेश : भोपाल गैस कांड में कौन सी गैस लीक हुई थी

मिथाइल आइसो-साइनाइड गैस के कारण वह दुर्घटना हुई थी. इस दुर्घटना के परिमाण से इस गैस की तीव्रता को मापा जा सकता है। अगर यह गैस 21 पीपीएम की मात्रा में हवा में हो, तो एक मिनट में हजारों लोग मारे जा सकते हैं। और भोपाल में, लगभग 40 टन  मिथाइल आइसोसाइनाइड का रिसाव हुआ था। इसके साथ, आप हवा में गैस की उपस्थिति और इसके नुकसान को माप सकते हैं। भोपाल गैस कांड के वकील : वकील राजेश चंद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में पक्ष रख रहे थे।

भोपाल गैस कांड का मुआवजा कब मिलेगा

यह सवाल वहां के लोगों के लिए एक पहेली है। पीड़ितों को तीन दशक से अधिक समय के बाद भी पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला है। जहां सरकारें आज एक घटना में एक नागरिक की मौत के लिए लाखों रुपये के मुआवज़े की घोषणा करती हैं। 

वहीं, 36 साल से मिथाइल आइसोसाइनेट के प्रकोप का सामना कर रहे पीड़ितों को केवल 25 से 50,000 रुपये का मुआवजा मिला है। उसमें भी मुआवज़े की राशि केवल 25,000 रुपये है, शेष 25,000 रुपये सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मुआवज़े के ब्याज के रूप में प्राप्त हुए।

सुप्रीम कोर्ट 28 जनवरी से भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को मुआवजा देने के मामले की सुनवाई करने वाली थी। भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक क्यूरेटिव याचिका दायर की थी। इस मामले में, गैस पीड़ितों को 7,413 अरब रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देने का निर्देश दिया जाना चाहिए। अभी तक्फेसला नहीं आया है। 

भोपाल गैस कांड के 6 शिकार की कोरोना संक्रमण से मौत

मध्य प्रदेश : भोपाल में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से छह लोगों की मौत हो गई। वह यूनियन कार्बाइड फ़ैक्टरी गैस कांड के शिकार थे। जबकि कई सामाजिक संगठनों ने सरकार को लिखा था। गैस पीड़ितों को इस संक्रमण की चपेट में आने की आशंका है।

मध्यप्रदेश,भोपाल कांड के 6 शिकार की संक्रमण से हुई मृत्यु की विस्तृत जानकारी

  1. नरेश खटीक : मृत्यु – 7 अप्रैल को, 55 वर्ष, भोपाल में नादरा बस स्टॉप क्षेत्र के निवासी थे। उसे सांस लेने में तकलीफ़ थी, अस्थमा, फेफड़ों के संक्रमण से भी पीड़ित था।
  2. जगन्नाथ मैथिल : मृत्यु – 8 अप्रैल, 80 वर्ष, अहीरपुरा के निवासी थे। दमा से पीड़ित
  3. इमरान खान : मृत्यु – 12 अप्रैल, 42 वर्ष, को मुंह का कैंसर हुआ था।
  4. राम प्रकाश यादव : मृत्यु – 11 अप्रैल, 52 वर्ष, जहाँगीराबाद में रहते थे। वह तपेदिक के रोगी थे।
  5. अशफाक नकवी : मृत्यु – 11 अप्रैल, 73 वर्ष, जहांगीराबाद के निवासी थे। उसे सांस लेने की लेन में भी समस्या थी।
  6. यूनुस खान : मृत्यु – 14 अप्रैल, 60 वर्ष।

मसलन, भोपाल गैस कांड के पीड़ीतों की तरह विशाखापत्तनम के पीड़ितों का हश्र न हो. सरकार को उस घटना से सबक लेना चाहिये। और पूरी घटना का जांच निष्पक्षता कर पीड़ितों को न्याय दिलाना चाहिए। ताकि इन्हें स्वास्थ्य सुविधा के साथ रोज़गार व मुआवजा मुहैया हो सके। 

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