दीपक प्रकाश ने ऑक्सीजन से हुई मौत पर बयान दे अपनी राजनीतिक मानसिकता पर उठाया सवाल 

स्वास्थ्य सेवाओं के खस्ता हालत को लेकर भारत का अनुभव कोरोना महामारी के पहले ही दयनीय थी. जहाँ गरीबों के लिए इलाज किसी हादसे से कम नहीं थे और संस्थानों की मौत के मद्देनजर देश नयी बीमारी को लेकर कोई सुरक्षात्मक कदम उठाने के स्थिति में बिलकुल नहीं था. और मोदी सत्ता के चुनावी शंखनाद के बीच देश के लिए कोरोना सक्रमण से बच पाना असंभव था. इसी में दौर में गैर भाजपा शासित राज्यों में, घर बैठ भाजपा इकाइयों द्वारा सरकारों को अस्थिर करने की साजिश रची जा रही थी. यह वही दौर था ऑक्सीजन कमी के मद्देनजर, भाजपा की केंद्रीय सत्ता को नागरिकों की जान की चिंता से अधिक अपनी छवि संवारने की पड़ी थी.  

रवि प्रकाश के ट्विट में हेमंत सरकार के प्रति झलकी भावना  

मोदी सत्ता की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति ऐतिहासिक वीभत्स्य

यह वहीं दौर था जब पत्रकार रवि प्रकाश के ट्विट में भावना झलकी कि राज्य का सौभाग्य है कि झारखंड में इस दौरान भाजपा का शासन नहीं था. वर्तमान मुख्यमंत्री ने अपनी क्षमता से बढ़कर काम किया. जिससे न केवल राज्य की स्थिति संभली. अन्य राज्यों को मदद मुहैया भी हुई. रवि प्रकाश ने अपने ट्विट में लिखा कि संक्रमण के दौरान झारखंड सरकार पल-पल साथ खड़ी रही. जिससे संक्रमण से लड़ने में उन्हें मानसिक ताकत मिली. 

झारखंड ने अपने संसाधनों पर ऑक्सीजन उपक्रमों को दुरुस्त किया, पहले पायदान पर खड़ा हो देश को ऑक्सीजन मुहैया कराया

यह वहीं दौर था जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से देश के समक्ष केंद्र सरकार के मंशे को लेकर गंभीर सवाल खड़े हुए. मोदी सत्ता जवाब न दे पाने की बौखलाहट में तमाम विफलताओं का ठीकरा राज्यों के मत्थे मढ़ने के प्रयास किया. फेक आंकड़ों की बदौलत राज्यों को बदनाम करने का प्रयास किया. राज्यों पर संघीय ढांचे के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. महत्वपूर्ण यह नहीं है, महत्वपूर्ण है कि ऐसे दौर में भी झारखंड जैसे गरीब राज्य ने अपने संसाधनों पर ऑक्सीजन उपक्रमों को ना केवल दुरुस्त किया, बल्कि पहले पायदान पर खड़ा हो देश को ऑक्सीजन मुहैया कराया. 

झारखंड हाईकोर्ट ने केंद्र की नीतियों पर किया था गंभीर सवाल खड़ा 

यह वही दौर था जब सुप्रीम कोर्ट के वैक्सीन से जुड़े सवाल यथावत थे. झारखंड हाईकोर्ट ने केंद्र की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े किए. हाईकोर्ट ने पूछा है कि केंद्र सरकार ने झारखंड पर विदेशों से ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीद को लेकर क्यों रोक लगाई है? यह वही दौर था जब न्यायालय के एक फैसले ने केंद्र की वैक्सीन नीति को पूरी तरह से “तर्कहीन और आधारहीन” बताया. जिससे वैक्सीन को लेकर, बाबूलाल जी के तमाम बयान सफेद झूठ साबित है.

केंद्र ने आर्थिक स्थिति का बेबुनियाद तर्क दे कोरोना पीड़ितों को आर्थिक मदद देने से किया इनकार

यह वहीं दौर था जब केंद्र ने आर्थिक स्थिति का बेबुनियाद तर्क देकर कोरोना पीड़ितों को आर्थिक मदद देने से इनकार कर दिया. देश भर में ऑक्सीजन प्लांट नहीं लगाया. लेकिन मोदी सरकार ने महज दो ठाठशाही योजनाओं के लिए अरबों रुपये  के खर्च को नहीं रोका. जीएसटी के नाम पर राज्यों से ली जा रही अरबों रुपये का क्षतिपूर्ति भुगतान तक केंद्र ने नहीं किया. यह वहीं दौर था जब उच्चतम नयायालय ने ऑक्सीजन मुहैया न करा पाने पर केन्द्र सरकार को खरी-खोटी सुनाया था. 

दीपक प्रकाश की राजनीतिक नैतिकता पर सवालिया निशान 

ऐसे में देश के किसी भी भाजपा शासित राज्य में बिहार व उत्तरप्रदेश तक में ऑक्सीजन के अभाव में मौत न हो बताना, हास्यास्पद हो सकता है. और झारखंड में दीपक प्रकाश जैसे भाजपा नेता का ऑक्सीजन नहीं मिलने से किसी मरीज की मौत पर राज्य सरकार को जिम्मेवार ठहराना, उनकी राजनीतिक नैतिकता के पतन को दर्शाता है. जहां वह मोदी सरकार पर ऊँगली उठाने का हिम्मत तो नहीं दिखा पाते. लेकिन, सारा ठीकरा हेमंत सरकार के मत्थे मढ़, विपक्ष होने का खानापूर्ति कर अपने आकाओं को खुश करते जरुर दिखते हैं.

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