प्रथम पायदान पर खड़ा हो देश को 35% ऑक्सीजन मुहैया करा झारखंड ने मज़बूती से निभाया है संघीय धर्म

देश को 35% ऑक्सीजन मुहैया कराने के बावजूद केंद्र द्वारा सिलेंडरों की खरीद पर रोक लगाया जाना, जहाँ झारखंड के प्रयासों को धूमिल करने के कोशिश है, तो वहीं वह जन-जीवन के स्वास्थ्य को खतरे में भी डाल रही है…

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रांची : कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने देश के समक्ष जीने के अधिकार को लेकर, केंद्र सरकार के मंशे पर गंभीर सवाल खड़े किये है. लेकिन सवालों के जवाब देने के बजाय केंद्र सरकार बौखलाहट में तमाम विफलताओं का ठीकरा राज्यों के मत्थे मढ़ने के प्रयास में दिखती है. किसी पर फेक आंकड़ों के बदौलत वैक्सीन वेस्ट का आरोप लगाती है, तो कहीं राज्यों पर संघीय ढांचे के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप भी लगा देती है. महत्वपूर्ण यह नहीं है, महत्वपूर्ण यह है कि क्या भागने भर से नरसंहार का पाप धुल जाएगा. क्या इतिहास के पन्नों पर दर्ज अक्षर के मायने बदल जायेंगे.

पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के वैक्सीन से जुड़े सवाल यथावत थे. अब झारखंड हाईकोर्ट ने भी केंद्र की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. हाईकोर्ट ने पूछा है कि केंद्र सरकार ने झारखंड पर विदेशों से ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीद को लेकर क्यों रोक लगाई है? हाईकोर्ट का कहना है कि जब रेडक्रॉस और अन्य निजी संस्थाएं विदेशों से ऑक्सीजन सिलेंडर की ख़रीददारी कर सकती हैं तो राज्य सरकार ऐसी पर रोक क्यों? जीवन रक्षा के मातहत कोर्ट के जवाब तत्काल देना केंद्र के लिए महत्वपूर्ण नहीं है. बल्कि, झारखंड पर संघीय ढांचे को कमजोर करने का आरोप लगाना ज्यादा महत्वपूर्ण क्यों है. समझना कोई रॉकेट विज्ञान तो नहीं!

ऑक्सीजन आपूर्ति के मामले में झारखंड, देश का नंबर वन राज्य रहने के बावजूद केंद्र का व्यवहार रुखा क्यों ?

गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन आपूर्ति के मामले में झारखंड, देश का नंबर वन राज्य रहा. राज्य ने देश भर में कुल आपूर्ति का 35% ऑक्सीजन सप्लाई किया है. यह रेल मंत्रालय भारत सरकार का आंकड़ा है. इस आंकड़े के अनुसार ऑक्सीजन सप्लाई के मामले में झारखंड के बाद दूसरे नंबर पर ओडिशा 27% और फिर गुजरात 20% है. झारखंड ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों को ऑक्सीजन की सप्लाई की. जिससे महामारी में लोगों की जानें बचाई जा सकी. राष्ट्रीय स्तर पर झारखंड का यह योगदान उसकी महान परंपरा को दर्शाता है.

लेकिन, विडंबना है कि दूसरे राज्यों को ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाले झारखंड को जब अपनी जनता की जीवन रक्षा के लिए सिलेंडरों की खरीदारी की आवश्यकता है. तो केंद्र सरकार की नीतियों का जनहित के आड़े आना, झारखंड को लेकर क्या उसके कु-मंशे को उजागर नहीं करती? क्योंकि भाजपा शासित राज्यों से इतर झारखंड की उपलब्धि को केंद्र बर्दाश्त करने की मानसिक स्थिति में नहीं है. और महज जलन वश वह झारखंड के जन-जीवन को खतरे में डालने से नहीं चूक रहा.

बहरहाल, हाईकोर्ट के जो सवाल हैं वे राज्य की आम जनता के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल हैं. चाहे केंद्र झारखंड पर जितने आरोप लगाए, देर सबेर ही सही लेकिन सवालों के जवाब तो उसे देने ही होंगे.

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