झारखण्ड : सीएम सोरेन जानते हैं, राज्य का आधिकांश आबादी आदिवासी, दलित, पिछड़ा व गरीब हैं और यह केवल शिक्षा से ही सशक्त हो सकते है और सामंतियों से अपना हक ले सकते हैं. मसलन, सीएम ने शिक्षा के आसरे इन्हें सशक्त करने की लड़ाई छेड़ दी है.
रांची : सीएम हेमन्त सोरेन को भली भांति ज्ञात है कि झारखण्ड एक आदिवासी, दलित, पिछड़ा व गरीब राज्य है. और यही आबादी उनके वोटर भी हैं. और यह आबादी शिक्षा के अभाव में अपने अधिकार से अभिज्ञ हैं. नतीजतन, भ्रम राजनीति के आसरे मुट्ठी भर सामंती पिछले 20 वर्षों से झारखंडियों व राज्य का दोहन कर रहा है. नतीजतन, सीएम सोरेन शिक्षा के आसरे इस बड़ी आबादी को सशक्त करने व अधिकार सुनिश्चित करने की लड़ाई मजबूती से छेड़ दी है.
जाहिर है, मालाई लूट पर आंच आता देख सामन्ती राजनीति बौखलाई हुई है. जिससे वह बाहरी कार्यकर्ताओं, केन्द्रीय सत्ता-संस्थान, कोलिजियम सिस्टम, विभीषण जैसे हथियारों के बल पर सीएम के राहों को रोकने का सच प्रत्यक्ष देखा जा रहा है. लेकिन, विपक्ष या सामंत राजनीति का दुर्भाग्य है कि इस दफा उसके समक्ष एक सच्चा झारखंडी व कुशल लोकतंत्र के नायक के रूप में आ खड़ा हुआ है. जिससे विपक्ष के दाव उलटे पड़ रहे हैं और झारखंडियों की संभावनाए बढ़ चली है.
अवरोधों से परे सीएम सोरेन मस्त-मालग अपने एजेंडा पर बढ़े जा रहे हैं
जहाँ एक तरफ विपक्ष कभी अपने ही घव्रोधों टाले को हेमन्त सरकार का घोटाला बताने का प्रयास कर रहा है तो कभी अपनी ही बनाई नीति को 60-40 के आसरे गलत बताने का प्रयास कर रहा है. लेकिन, विपक्ष के सभी प्रोपगेंडा या अवरोधों से परे सीएम सोरेन मस्त-मालग अपने एजेंडा पर बढ़े जा रहे हैं. उनके द्वारा रिक्त पदों पर नियुक्तियों का विगुल फोंक दिया गया है. तो दूसरी तरफ स्कूल, मेडिकल-इंजीनियरिंग कॉलेज, यूनिवर्सिटी व ट्रेनिंग सेंटर खोलने की गति उनके द्वारा बढ़ा दी गई है.
सीएम के राज्य भ्रमण के आंकड़े बढ़ चले हैं. राज्य के ग्रामीण अर्थवयवस्था के मजबूतीकरण में न केवल लगातार फैसले लिए जा रहे है. इसके लिए व्यवस्थायें भी धराताल पर उतारे जा रहे हैं. अमर शहीद सिदो-कान्हू की पवित्र भूमि से राज्य सहकारी संघ के तहत पैक्स-लैम्प्स से सदस्यों को जोड़ने के महाअभियान का शुभारम्भ हुआ है. तो वहीं सीएम स्वयं जनता के बीच पहुँच जन समस्यायें सुन रहे हैं और उसका निपटारा भी कर रहे हैं.