हेमन्त सरकार द्वारा राज्य में 5500 किलोमीटर बिजली तार बिछाया जाना खोलती है रघुवर सरकार की ढपोरशंखी वादे की पोल
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नयी शुरुआत में पक्ष-विपक्ष नहीं बल्कि जन मुद्दों की है प्राथमिकता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रथम आम चुनाव प्रचार 2014, जो झारखंड की जनता में रांची के शहीद मैदान से, हुंकार भर राज्य को बिजली से रौशन करने का सपना जगाये। और उसी ढपोरशंखी वादे के अक्स तले छोटा अनुज भरत, रघुवर साहेब विधानसभा चुनाव प्रचार में हर घर तक बिजली पहुंचाने का दंभ भरे, और मौजूदा दौर में हेमंत सरकार के सामने 5500 किलोमीटर बिजली का तार बिछाने की परिस्थिति बने, तो झारखंड के कैनवास पर भाजपा राजनीति के लिए गंभीर सवाल हो सकते हैं।
जब भाजपा की डबल इंजन सरकार के मायने राज्यवासियों को चौबीस घंटे बिजली मुहैया करने से जा जुड़े, जिसका मतलब राज्य का स्वाभिमान हो। और उस स्वाभिमान को साज़िशन राज्य की गरिमा हरण के मद्देनज़र त्रिपक्षीय समझौते को अंजाम दे पतन किया जाए। जहाँ केंद्र संकट काल में अपनी ही सरकार के बिजली बकाया बिना वर्तमान सरकार की सहमती के काटने की परिस्थिति पैदा करे, तो फिर भाजपा की निष्ठा झारखंड भावना से कैसे जुड़ सकता है?
बावजूद इसके राज्यवासियों को बिजली समस्याओं से जूझना पड़े। तो तमाम परिस्थियाँ जनता में निश्चित रूप से लूट संस्कृति के समझ को पैदा करेगी ही। जहाँ वह भाजपा को अपने गरीब प्रदेश के आर्थिक शक्ति को कमजोर बनाने की समझ से आंकेगी।
बरहेट में 132/33 केवी पावर ग्रिड सब-स्टेशन व लिलो संचरण लाइन का हुआ शिलान्यास
पूर्व सत्ता का विकसित झारखंड यदि मौजूदा दौर के सरकार को मंगल की धरती की तरह मिले, जिसमे लूट-खसोट घोटाला के अक्स तले खाली खजाने के साथ कर्जदार झारखण्ड मिले तो, उसे नयी शुरुआत तो सीमित संसाधनों के बीच करनी ही पड़ेगी। झारखंड के जख्मों पर मरहम लगानी ही पड़ेगी।
मसलन, राज्य की हेमन्त सरकार ने बरहेट में 132/33 केवी पावर ग्रिड सब-स्टेशन तथा राजमहल-पाकुड़ लिलो संचरण लाइन का शिलान्यास किया। जिसके तहत 5500 किलोमीटर बिजली तार का जाल बिछाया जाना है। जिसका मकसद न केवल राज्य के क्षेत्रों को रौशन करना है बल्कि पर्यटन के चिन्हित केंद्रों तक में मूल भूत सुविधाए पहुंचाना है। साथ ही घरों से लेकर किसानों के खेत तक यह प्रयास पानी पहुंचा सकती है।
मसलन, झारखंड को बिजली देने के आड़ में यदि भाजपा की डबल इंजन सरकार प्रधानमंत्री मोदी-अडानी के यारी के मद्देनजर दबंगई से पावर प्लांट झारखंड में लागाये। और जिस सपने के तहत गरीब झारखंडी को, रोजी-रोटी का एक मात्र जरिया उसकी ज़मीन गवानी पड़े। और उसे बिजली बजाय पीठ पर पुलिसिया लाठी की मार का जलन महसूस हो, तो ऐसे जनता के सरकार को क्या कहा जाए। आप जैसे मर्ज़ी इस जुल्म को समझे लेकिन, इसे झारखंड की भक्ति से इतर झारखंड से गद्दारी ही कहा जा सकता है।