भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का ऑनलाइन उद्घाटन 

प्रधानमंत्री ने राजधानी रांची स्थित भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का किया ऑनलाइन उद्घाटन – कहा “धरती आबा” की जयंती दिवस राष्ट्रीय आस्था का अवसर, लेकिन झारखण्ड स्थित केन्द्रीय प्रतिष्ठानों में इस अवसर पर अवकास नहीं! माननीय प्रधानमंत्री को भगवान् बिरसा मुंडा जी के लिए ‘प्राणों की आहुति’ के जगह ‘शहीद’ शब्द का भी इस्तेमाल करना चाहिए था, झारखण्ड वासियों को ज्यादा भाता…

“धरती आबा” की जयंती दिवस राष्ट्रीय आस्था का अवसर

जनजातीय परंपराओं एवं शौर्य गाथाओं को देश अब और भव्य पहचान देगा

नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत

भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय प्रेरणा का केंद्र

आज का दिन ऐतिहासिक…

हेमन्त सोरेन, मुख्यमंत्री, झारखंड

भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह संग्रहालय परिसर, रांची : प्रधानमंत्री ने 2014 में दिए भाषण की भांति आज भी कहा कि आज़ादी के इस अमृतकाल में देश ने तय किया है कि भारत की जनजातीय परम्पराओं और इसकी शौर्य गाथाओं को भव्य पहचान मिलेगा. इस ऐतिहासिक अवसर पर देशवासियों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया है कि आज से हर वर्ष देश 15 नवम्बर अर्थात भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाएगा. हालांकि, उनके द्वारा झारखण्ड के केन्द्रीय प्रतिष्ठानों में आज के दिन कोई अकास घोषित नहीं किया गया.

‘धरती आबा’ की लड़ाई उस सोच के खिलाफ थी जो भारत के जनजातीय समाज की पहचान मिटाना चाहती थी

प्रधानमंत्री ने देश के जनजातीय समाज, भारत के प्रत्येक नागरिक को भगवान बिरसा मुंडा स्मारक उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा, “ये संग्रहालय, स्वाधीनता संग्राम में जनजातीय नायक-नायिकाओं के योगदान का, विविधताओं से भरी हमारी जनजातीय संस्कृति का जीवंत अधिष्ठान बनेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम का उद्देश्य भारत की सत्ता, भारत के लिए निर्णय लेने की अधिकार-शक्ति भारतीयों के हाथों में स्थानांतरित करना है. इसके अलावा ‘धरती आबा’ की लड़ाई उस सोच के खिलाफ थी जो भारत के जनजातीय समाज की पहचान मिटाना चाहती थी.

भगवान बिरसा मुंडा ने छोटे से कालखंड के जीवन में देश के लिए एक ऐसा पूरा इतिहास लिखा

प्रधानमंत्री ने कहा कि “भगवान बिरसा ने समाज, संस्कृति और देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. (हालांकि उन्हें ‘शहीद’ शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए था.) इसलिए, वे आज भी हमारी आस्था में, हमारी भावना में हमारे भगवान के रूप में उपस्थित हैं.” प्रधानमंत्री ने कहा कि धरती आबा बहुत लंबे समय तक इस धरती पर नहीं रहे, लेकिन उन्होंने छोटे से कालखंड के जीवन में देश के लिए एक ऐसा पूरा इतिहास लिखा और भारत की आनेवाली पीढ़ियों को दिशा देगी. 

आज का दिन झारखण्ड के लिए ऐतिहासिक –मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन 

झारखण्ड के मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है. 15 नवंबर को हम “धरती आबा” भगवान बिरसा मुंडा की जयंती मनाते आ रहे हैं, इसलिए आज का दिन महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है. राजधानी रांची के पुराने जेल परिसर में “भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय” का उद्घाटन निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ी बीते वक्त के इतिहास से अवगत करेगी. इस परिसर को नया रूप राज्य एवं केंद्र सरकार के प्रयास से मिला है. सरकार ने परिसर को एक ऐतिहासिक चिन्ह बनाते हुए राज्य के कई आंदोलनकारी, स्वतंत्रता सेनानियों व समाज के अगुआओं का एक संग्रहण तैयार किया है, जो आने वाली पीढ़ी को झारखंडी इतिहास से अवगत होगी.

देश में झारखंड राज्य का अलग इतिहास और पहचान

मुख्यमंत्री – देश में कई राज्य हैं. इन राज्यों में झारखंड भी एक छोटा सा किन्तु सुन्दर राज्य है. जिसकी अपनी एक अलग इतिहास और स्थान है. देश की आजादी का सपना देखने से पहले यहां के लोग जल, जंगल और जमीन की लड़ाई लड़े. झारखंड के वीर सपूतों ने अपने देश और राज्य की अस्मिता की लड़ाई बिना डरे लड़े. उनका संघर्ष सदैव जारी रहा और अगली पीढ़ी तक पहुँचाया. झारखंड वीर भूमि के रूप में जाना जाता है. इस राज्य के संथाल परगना, कोल्हान, उत्तरी छोटानागपुर, दक्षिणी छोटानागपुर तथा पलामू प्रमंडलों के कोने-कोने में वीर सपूतों ने जन्म लिया. जिन्होंने अपनी पीढ़ी को सुरक्षित करने तथा प्रकृति को संरक्षित करने की लड़ाईयां लड़ी.

आदिवासी वर्ग ने सदैव सभी को एक समान और एक रूप में देखा है 

मुख्यमंत्री – आज भौतिकवादी युग में हम चांद पर पहुंच चुके हैं और उससे भी आगे जाने की तैयारी में हैं. लेकिन, यह भी आवश्यक है कि भौतिकवादी युग के साथ-साथ हम अपने अतीत का इतिहास को जाने और समझे. हम अपनी भाषा-संस्कृति को सहेज कर रखें. झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है और यहां का आदिवासी समुदाय किसी के साथ कोई भेद-भाव, ऊंच-नीच, गुरुर या द्वेष भाव कभी नहीं रखता है. हमारे आदिवासी वर्ग के लोगों ने सभी को एक समान और एक रूप में देखने का काम किया है.

भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय प्रेरणा का केंद्र

मुख्यमंत्री – आज के शुभ दिन हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम इन वीर सपूतों के दिखाए रास्ते को अपनाकर राज्य के सर्वांगीण विकास में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सामूहिक रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री जी भी उपस्थित हैं. मैं माननीय का तहे दिल से आभार व्यक्त करता हूं. आज केंद्र एवं राज्य सरकार के समन्वय और सहयोग से रांची स्थित भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन कार्यक्रम संपन्न हुआ है. यह संग्रहालय आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का केंद्र बनेगा. 

हम सभी का यह प्रयास होना चाहिए कि हमारे राज्य में और भी ऐसे वीर सपूत हैं, जिनकी संघर्षमय जीवनी को आने वाले समय में इस संग्रहालय में जोड़ें ताकि आने वाली पीढ़ियों को हमारे वीर सपूतों के जीवनकाल जानकारी से प्रेरणा मिले. कार्यक्रम में उपस्थित केंद्रीय जनजातीय कार्य मामले मंत्री अर्जुन मुंडा ने धन्यवाद संबोधन में रांची स्थित भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह संग्रहालय की परिकल्पना, उद्देश्य, केंद्र एवं राज्य सरकार का समन्वय तथा सहयोग से संबंधित विषयों पर विस्तृत जानकारी साझा की.

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