कोरोना से लोग मर रहे हैं, अर्थव्यवस्था लगातार गिर रही है, नौकरियां छीन रही है और भाजपाइयों को ट्विटर पर ब्लू टिक की चिंता ज्यादा

बीते दिनों भाजपा के शीर्ष नेता, मोहन भागवत के अलावा दूसरे तमाम RSS नेताओं के ब्लू टिक हटने से भाजपाईयों ने मचाया बवाल 

9 मई को शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी 11.72 प्रतिशत तो ग्रामीण में पहुंची 7.29, प्रवासी मजदूरों के घर लौटते देख यह दर और बढ़ने की संभावना 

रांची। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को बड़ी मुश्किल से रोक पाया गया है। लेकिन इस संक्रमण का असर देश की अर्थव्यवस्था पर जैसा पड़ रहा है, उससे उभर पाना अगले कई सालों तक संभव नहीं। पिछले चार दशक में पहली बार अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है। मोदी सरकार में तो वैसे ही युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा, ऊपर से अब लॉकडाउन के कारण लोगों की नौकरियों तक जा रही हैं। लेकिन लगता है. मोदी सरकार और भाजपा नेताओं को देशवासियों से ज्यादा चिंता अपने नेताओं के ट्विटर से ब्लू टिक हटाने की है। यही कारण है कि बीते दिनों जब यह घटना घटी, तो भाजपा नेताओं ने इस विवाद को ऐसा उठाया, मानो इससे देश में इन दिनों फैली समस्याओं का तत्काल निदान हो जाएगा। कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने तो मोदी सरकार की नीतियों पर ही सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ब्लू टिक के लिए लड़ रही है, जबकि देश में ऐसे हालात हैं, जिसकी चिंता नहीं के बराबर हैं।

भाजपाइयों ने बवाल तो मचाया लेकिन ट्विटर के दलील पर नहीं ध्यान देना समझ से परे 

बता दें कि केंद्र सरकार के नई आईटी नियमों के बाद ट्विटर और केंद्र सरकार के विवाद खुलकर सामने आ गया है। बीते दिनों जब ट्विटर ने भाजपा के कई नेताओं और आरएसएस नेताओं के अकाउंट से ब्लू टिक का हटा दिया, तो भाजपा नेता काफी हंगामा मचाने लगे। ब्लू टिक हटाने वालों में भाजपा के दिग्गज नेता रहे और वर्तमान में देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, RSS के कई नेताओं (मोहन भागवत प्रमुखता से शामिल हैं) के अकाउंट से ब्लू टिक का हटाना शामिल हैं। हालांकि बाद में केंद्र के क़ड़े रुख को देख सभी के अकाउंट में ब्लू टिक फिर से बहाल कर दिया गया। लेकिन ट्विटर की तरफ दी गयी सफाई पर केंद्र का ध्यान नहीं देना समझ से परे हैं। ट्विटर ने कहा था कि उप राष्ट्रपति की तरफ से उनके उनके अकाउंट को लंबे समय से लॉग इन नहीं किया गया, उसी वजह से उनका ब्लू टिक हटा दिया गया।

देश को अभी वैक्सीन, रोजगार सहित गिरती अर्थव्यवस्था पर लगाम लगाने की ज्यादा है जरूरत 

केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा नेताओं के विरोध सोच से परे हैं। देश को अभी ब्लू टिक से ज्यादा कोरोना वैक्सीन, रोजगार और गिरती अर्थव्यवस्था से उभरने की जरूरत है न ही इस तरह के विवाद को तूल देने की। वैसे भी अगर ट्विटर की दलील को मानें, तो उपराष्ट्रपति के अकाउंट को काफी लंबे समय से लॉग इन नहीं किया गया था। कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ने भी देश की हालत पर चिंता जताते हुए कहा था कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ब्लू टिक के लिए लड़ रही है और कोविड-19 रोधी टीके हासिल करने के लिए लोगों को आत्मनिर्भर हो जाने की जरूरत है। 

मई में बेरोजगारी 19 सप्ताह के टॉप पर, अर्थव्यवस्था नहीं पैदा कर पा रही नौकरियां 

बता दें कि संक्रमण की दूसरी लहर के बीच बीते मई माह में ही देश में बेरोजगारी 19 सप्ताह के टॉप पर पहुंच चुकी थी। 9 मई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान देश में बेरोजगारी दर 8.67 प्रतिशत पर पहुंच गई। इससे साफ पता चलता है कि देश की अर्थव्यवस्था आज नौकरियों को पैदा करने में नाकाम हो रही है। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक शहरों और महानगरों में बेरोजगारी दर ज्यादा है। 9 मई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान बेरोजगारी दर 11.72 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। इससे पहले जनवरी में बेरोजगारी दर 6.52, फरवरी में यह 6.89, मार्च में 6.5 और अप्रैल में बढ़कर 7.97 प्रतिशत हो गयी थी। वहीं शहरी के साथ ग्रामीण इलाकों में भी बेरोजगारी लगातार बढ़ रही हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक ग्रामीण इलाके में 9 मई को खत्म हुए सप्ताह में बेरोजगारी दर 7.29 प्रतिशत आ गयी थी, जो अप्रैल में 8.58 प्रतिशत थी। 

संक्रमण और बचाव के लिए लगे लॉकडाउन ने तो तोड़ दी है अर्थव्यवस्था की कमर 

इसी तरह देश की लगातार गिर रही अर्थव्यवस्था और लोगों को कोरोना वैक्सीनेशन देने की काफी धीमी गति देश के लिए चिंता का विषय है। पिछले दिनों राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने जो आंकड़ें जारी किये थे, वह साफ बताता है कि कोरोना ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली (23.9 प्रतिशत गिरावट) और दूसरी तिमाही (7.5 प्रतिशत की गिरावट) का असर यह हुआ है कि पूरे वित्त वर्ष (2020-21) में जीडीपी ग्रोथ रेट -7.3 फीसदी दर्ज की गई. इस आंकड़े ने देश की अर्थव्यवस्था के पिछले करीब 41 साल की रिकॉर्ड तोड़ दी, जब 1979-80 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर की रफ्तार -5.24 फीसदी रही थी. 

चिंता तो वैक्सीन की धीमी गति पर होनी चाहिए, अब तक केवल 25 करोड़ डोज ही दी गयी है 

इसके अलावा देशवासियों को काफी धीमी गति से लग रही कोरोना वैक्सीन भी एक चिंता का विषय़ है। जानकारी के मुताबिक अभी तक देश के करीब अभी तक 25 करोड़ के करीब ही डोज दी गयी है। यानी अभी भी करीब 75 प्रतिशत आबादी वैक्सीन से महरूम ही है। इसी धीमी गति व गलत नीति के कारण सुप्रीम कोर्ट ने भी नरेन्द्र मोदी सरकार की वैक्सीन नीति पर सवाल उठाया था। हालांकि केंद्र ने अब राज्यों को निःशुल्क वैक्सीन देने की घोषणा कर कुछ राहत दी हैं, लेकिन साफ है यह निर्णय भी राजनीति हित में लिया गया है। बता दें कि अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है।

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