झारखण्ड : 14 वर्षों का भाजपा शासनकाल JPSC के लिए कोढ़ 

बाहरियों की बैसाखी की चिंता में भाजपा विभीषणों को आगे कर सुनियोजित तौर साध रही है JPSC पर निशाना. शोर-शराबे के बीच आज का सत्र स्थगित, …जबकि वह चाहती तो स्वस्थ बहस कर सकती थी. लेकिन मनुवाद विचारधारा को मूल युवाओं के भविष्य की क्या चिंता…! 

रांची : अलग झारखण्ड के इतिहास में भाजपा का 14 वर्षों का शासनकाल JPSC के लिए कोढ़ बनकर उभरी. झारखण्ड में भाजपा के तमाम शासन काल में JPSC केवल राजनीति का विषय रहा. और बाहरियो की दसों उंगलियां घी में रही. जिसके अक्स में झारखण्ड के मूल युवा अधिकारों से वंचित रहे. बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा झारखंडी मूल युवा के अहित में नेतरहाट कैबिनेट में लिये गए फैसले तथ्य की पुष्टि कर सकती हैं. उस सत्ता की बानगी देखिए 20 वर्ष के कालखण्ड में JPSC की परीक्षा अपने छठी सफ़र से आगे बढ़ ही नहीं पाई. 6th JPSC भी चुनाव के आनन-फानन में हुई जिसकी नियुक्ति परक्रिया पर ग्रहण लगा. जिस पर बाद में भाजपा द्वारा ही राजनीतिक रोटी सेकी गयी.

फरवरी 2018, नेतरहाट कैबिनेट की बैठक में सीएम रघुवर दास ने 6th JPSC को लेकर एक बड़ा फैसला लिया. नियमों को ताक पर रख प्रारंभिक परीक्षा में कुल 34,000 परीक्षार्थियों के रिजल्ट जारी करने का निर्देश दिया. पूर्व में जो रिजल्ट मात्र 6,000 के करीब था. रिजल्ट जारी करने के लिए पीटी में सामान्य वर्ग के लिए 40%, पिछड़ा वर्ग के लिए 36.5%, अति पिछड़ा वर्ग के लिए 34%, एससी, एसटी व महिलाओं के लिए 32% अंक को आधार बनाया गया. ईमानदारी से पढाई करने वाले छात्रों ने नाराज़गी जाहिर की. और जनवरी 2019 में छात्रों ने आंदोलन किया. बीजेपी की सरकार से न्याय न मिलने पर छात्रों ने हाईकोर्ट का सहारा लिया था.

हेमंत कैबिनेट ने ‘झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विसेज परीक्षा रूल्स-2021’ के प्रस्ताव को मंजूरी दी

आगे चल भाजपा सत्ता से बेदखल हुए. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जेपीएससी परीक्षा में, 20 सालों से चल रहे विवादों के जड़ में रही समस्याओं को खत्म करने की दिशा में ऐतिहासिक पहल की. हेमंत कैबिनेट ने ‘झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विसेज परीक्षा रूल्स-2021’ के प्रस्ताव को मंजूरी दी. नए नियम में रिजर्व कैटेगरी को अनरिजर्व्ड कैटेगरी से वापस रिजर्व कैटेगरी में लाने की पहल हुई. यानी रिजर्व कैटेगरी को मनपंसद सेवा में लौटने की सुविधा मिली. 

कैंडिडेट की न्यूनतम उम्र सीमा 21 वर्ष और शैक्षणिक योग्यता स्नातक निर्धारित की गयी है. नियमावली में रिजर्व कैटेगरी के कैडिटेडों की संख्या 15 गुना करने का प्रावधान किया गया है. हेमंत सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि भाषा की परीक्षा में मिले अंक को मेरिट लिस्ट में नहीं जोड़ा जायेगा. मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन द्वारा युवाओं के रोजगार पर ध्यान दिया जाने लगा. कोरोना काल होने के बावजूद उन्होंने 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया. पहली बार जेपीएससी के परीक्षा संचालन को लेकर नियमावली का गठन किया गया. और एक साथ तमाम परीक्षाएं आयोजित हुई.

JPSC के नियमों में हुए बदलाव 

  • जेपीएससी की चार सालों की लंबित परीक्षा 19 सितम्बर 2021 को एक साथ ली गई. 
  • हेमन्त सरकार में जेपीएससी की नियमावली बनाने में ध्यान रखा गया कि पूर्व की विसंगतियों को खत्म किया जाये. 
  • JPSC परीक्षा फीस 600 रुपए थी जिसमे में भरी कटौती कर मात्र 100 रुपए ली गई. 

बहरहाल, भाजपा को उसकी राजनीतिक ज़मीन खिसकती साफ़ नजर आने लगी. चूँकि अब बाहरी की आशाएं राज्य के सरकारी नौकरियों में ख़त्म होने लगी थी तो जाहिर है भाजपा को अपनी बैसाखी की चिंता करनी होगी. और वह वर्त्तमान राजनीतिक परिवेश में सामने से कुछ कर नहीं पा रही थी. ऐसे में भाजपा अब विभीषणों को आगे कर फिर से JPSC को मुद्दा बना राजनीति करने का प्रयास करने से नहीं चुक रही है. और राज्य के युवाओं को दक्ष बनाने के मद्देनजर हेमन्त सरकार के बढ़ते कदम को रोकने का अथक प्रयास कर रही है.

आज के सत्र की तस्वीरें तो यही बयान करती है, ऐसा ही देखा गया. राज्य के युवाओं के भविष्य पर मुद्दे पर स्वस्थ बहस हो सकती थी, लेकिन भाजपा ने एक बार फिर मनुवादी विचारधारा का परिचय दिया. नियोजित ढंग शोर-शराबे को अंजाम दिया. नतीजतन आज का सत्र स्थगित हुआ.

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