नेतरहाट कैबिनेट में रघुवर जी के गलत फैसले से 6th JPSC मामला पहुँचा था कोर्ट

नेतरहाट कैबिनेट में रघुवर जी द्वारा लिए गए एक गलत फैसले से 6th JPSC मामला पहुँचा हाईकोर्ट, जबकि हेमंत सरकार ने विवाद सुलझाया

रिजल्ट में आरक्षण रोस्टर का पालन न करने वाली रघुवर सरकार अब हेमंत सरकार पर लगा रहे आरोप

रांची। बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास एक बार फिर अपने एक गलत निर्णय को झारखंड की वर्तमान हेमंत सरकार पर थोप भ्रम फैला रही है। उनकी शासन में विवादित रही 6th JPSC मामले में हुई फाइनल नियुक्ति प्रकिया को लेकर पूर्व सीएम ने बयान दिया है कि इसमें सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों की अवहेलना हुई है। लगता है रघुवर जी नेतरहाट कैबिनेट में अपने लिये फैसले को भूल चुके हैं। जहाँ नियमों और परीक्षा के विज्ञापन को ताक पर रखकर उन्होंने आरक्षण प्रणाली की अवहेलना की थी।

 प्रारम्भिक परीक्षा के रिजल्ट जारी करने का निर्देश से ईमानदारी से पढ़ाई कर अफसर बनने का सपना देख रहे अभ्यर्थियों में काफी गुस्सा भी देखा गया था। गुस्सा इतना भयानक था कि उन्होंने न्याय के लिए हाईकोर्ट का सहारा लिया था। शायद नेतरहाट कैबिनेट के रघवर द्वारा लिए गए एक फैसले ने झारखंडी छात्र-छात्राओं को झकझोर दिया था, शायद उसी का परिणाम है कि जनता ने उन्हें  सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया। जबकि हेमंत सरकार ने सत्ता में आते ही इस विवाद को सुलझाया। 

नियमों को ताक पर रखकर नेतरहाट कैबिनेट में लिया गया था फैसला 

ज्ञात हो कि फरवरी 2018 में  नेतरहाट कैबिनेट की बैठक में बतौर सीएम रघुवर दास ने 6th JPSC को लेकर एक बड़ा फैसला लिया था। फैसले के तहत नियमों को ताक पर रख तत्कालीन बीजेपी सरकार ने प्रारंभिक परीक्षा में कुल 34,000 परीक्षार्थियों के रिजल्ट जारी करने का निर्देश दिया था। पूर्व में यह रिजल्ट मात्र 6,000 के करीब था।

रिजल्ट जारी करने के लिए पीटी में सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 36.5, अति पिछड़ा वर्ग के लिए 34 प्रतिशत, एससी, एसटी व महिलाओं के लिए 32 प्रतिशत अंक को आधार बनाया गया था। इससे ईमानदारी से पढ़ रहे छात्रों को काफी नाराज़गी हुई। नाराज़गी का यह आलम जनवरी 2019 को छात्रों के एक बड़े आंदोलन के रूप में सामने आया। बीजेपी की रघुवर सरकार से न्याय नहीं मिलने की उम्मीद देख छात्रों ने न्याय के लिए हाईकोर्ट का सहारा लिया था।

उस दौर में गुस्साएं छात्र-छात्राओं ने किया था उग्र आंदोलन 

केंद्र के इशारे पर रघुवर सरकार की बाहारियों के प्रति उदारवादी गलत नीतियों से परेशान छात्रों ने उग्र आंदोलन का रास्ता अपनाया था। छात्रों का कहना था कि प्रारंभिक परीक्षा के पहले ही रिजल्ट में आरक्षण का पालन नहीं किया गया था। उसके बाद नेतरहाट कैबिनेट में रघुवर दास के एक फैसले ने पूरी परीक्षा प्रक्रिया को ही खत्म कर दिया। विज्ञापन के निर्देशानुसार रिजल्ट जारी करना था 15 गुणा। रघुवर सरकार की गलती से रिजल्ट जारी हो गया 104 गुणा। इसी से नाराज़ छात्रों ने हाईकोर्ट जाने का रास्ता अपनाया।

सैकड़ों झारखंडी छात्र-छात्राओं को हेमंत सरकार ने दिया रोज़गार

परीक्षा परिणाम को पूरी तरह विवादित कर चुके पूर्व सीएम को अभी भी अपनी गलती का एहसास नहीं है। और राज्य में भ्रम की राजनीति करने से नहीं चुक रहे। साहेब के एक गलत निर्णय ने हजारों छात्रों का भविष्य को दांव पर लगा दिया था। हाईकोर्ट में मामला जाने का विशेष कारण उस सरकार द्वारा ली गयी गलत निर्णय थे। जबकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सत्ता में आने के बाद मामले को प्राथमिकता देते हुए इस विवादित परीक्षा को खत्म किया। निष्पक्षता से उन्होंने सैकड़ों झारखंडी छात्र-छात्राओं को रोज़गार दिया।

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