खनन नहीं पर्यटन झारखंड का उदेश्य है, भाजपा को डराने लगी। उसके सारे मंसूबों पर पानी फेरने लगी है। अब लोटा-पानी ले कर आये लोगों को नहीं बल्कि झारखंडियों को मिलेगा हक। शायद इसी डर और घबराहट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर हुआ है हमला!
झारखंड में यदि अपने 14 वर्ष के शासन में, भाजपा ने प्रतिभाओं को जीते-जी दफनाना न होता, तो आज बिकाऊ अमर बाउरी जैसे नेता को वे जरूर अपने शब्दों में समझाते कि झारखंडी का काम पर्यटकों को झारखंड दर्शन कराना है, न कि लोटा-पानी लेकर आये बाहर के लोगों द्वारा खुद झारखंड दर्शन करना। वे ऐसे नेताओं को जरूर समझाते कि जो वह कर रहे हैं उसे झारखंड की दलाली करना कहते है न कि उपलब्धि।
एक गरीब माता-पिता है। उनको खुद न अपने खाने-पीने का ठिकाना है, न पहनने-ओढ़ने का। उनके घर में एक असाधारण प्रतिभाशाली बालक पैदा होता है। लड़कपन से ही उसे भेड़-बकरियाँ चराकर पेट पालने के लिए मजबूर होना पड़ता है। माँ-बाप जानते तक नहीं कि लड़के को पढ़ाना-लिखाना भी उनका कर्तव्य है। यदि वे जानते भी हैं, तो न उसके पास फीस देने के लिए पैसा है, न किताब के लिए दाम।
इन 19 वर्षों में लड़का बड़ा होता है और नौकरी की आस में बुढापे की ओर अग्रसर हो जाता है। और अपने साथ प्रतिभा को लिए जाता है जिसके द्वारा वह देश को एक चाणक्य, एक कालीदास, एक आर्यभट्ट, एक रवीन्द्र, एक रमन दे सकता था। लेकिन, उम्र बीत जाने की अवस्था में वह लड़का, वह महान प्रतिभा केवल कोल्हू का बैल बन कर रह जाता है। और जो थोडा बहुत दिमाग चला सकता था उसे भाजपा अपना दलाल बन कर खरीद लेती है। क्योंकि कि खनन की लूट व पर्यटन की ठेकेदारी तो लोटा-पानी लेकर आये लोगों के लिए जो थी।
भाजपा का ज़मीनी आन्दोलन ! घरवाले को बनाया पर्यटक और पर्यटक को बना डाला घरवाला
क्या मजेदार बात है, जिस पर्यटन क्षेत्र में झारखंडियों को रोजगार व मालिकान हक मिलना उसका हक था, वहां लोटा-पानी लेकर आये लोगों को मालिक बना दिया गया और मूलवासियों को उसके ही घर में पर्यटक करार दे दिया गया। उसके गरीबी व अशिक्षित होने का फायदा उठा कर चाकर बनने पर मजबूर कर दिया।
हेमंत सरकार द्वारा नीतियों में ज़मीनी बदलाव व विस्तृत कर नारा दिया जाना – खनन नहीं पर्यटन झारखंड का उदेश्य है, भाजपा को डराने लगी। उसके सारे मंसूबों पर पानी फेरने लगी। जाहिर है इससे दलित-आदिवासी-मूलवासी और यहाँ के गरीब अब अपने राज्य में मालिक होंगे और खनन के लूट पर लगाम लगेगी। शायद इसी घबराहट में 4 फरवरी 2021 को मुख्यमंत्री पर हमला हुआ। जब भाजपा का साजिश का पर्दाफास हो गया है, तो खुद को पाक-साफ़ बताने के लिए दल में इम्पोर्ट किये गए आदिवासी-दलित नेताओं के कंधे पर बंधुक रख कर लगात चला रही है।