झारखण्ड कृषि क्षेत्र : पूर्व भाजपा शासन के 20 वर्ष बनाम हेमन्त शासन के 5 महीना

झारखण्ड : केसीसी के तहत 1313 करोड़ की स्वीकृति, झारखण्ड के पिछले 20 सालों में मात्र 400 करोड़ रुपए की तुलना में हेमन्त सरकार में 900 करोड़ रुपए की किसान ऋण माफी की स्वीकृति, दर्शाता है कि 20 वर्षों के शासन पर हेमन्त शासन के 5 महीना भारी

रांची : झारखण्ड के इतिहास में पहली बार हेमन्त साकार में बिरसा किसानों की आय को दोगुना करने की बात धरातल पर उतरती दिखती है. राज्य में कृषि क्षेत्र में सरकार द्वारा कृषि उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाना. कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने हेतु नवीन तकनीकों, नवाचार और आधुनिक उपकरणों को प्रश्रय दिया जाना. किसानों को पूंजी पूँजी उपलब्ध कराने की दिशा में महज 5 माह में ही केसीसी के तहत 1313 करोड़ रुपए की स्वीकृति दिया जाना, जिससे तहत करीब 1 लाख 25 हज़ार बिरसा किसानों का लाभान्वित होना, तथ्य की पुष्टि करता है कि पूर्व भाजपा शासन के 20 वर्षों के इतिहास पर हेमन्त सरकार के 5 महीना भारी पड़ता है.

ज्ञात हो, किसान क्रेडिट कार्ड से खाद, बीज आदि के लिए कर्ज आसानी से मिलता है. मसलन, राज्य में केसीसी को किसानों की सुरक्षा कवच बनाने की दिशा में सरकार बढ़ चली है. राज्य में करीब 25.56 लाख किसान हैं, लेकिन अबतक करीब 13 लाख किसानों को ही केसीसी कार्ड की सुविधा प्राप्त थी. 12.55 लाख किसान केसीसी कार्ड की सुविधा से वंचित रहे. इस भेद-भाव को दूर करने के दिशा में, हेमन्त सरकार में बिरसा किसान को किसान क्रेडिट कार्ड योजना (केसीसी) को युद्ध स्तर पर लागू कर लाभान्वित करने का प्रयास हो रहा है. जो स्पष्ट रूप से पूर्व के शासन की निरंकुशता को मुंह चिढाती है.

हेमन्त सरकार में किसानों की ऋण माफ़ी हेतु 900 करोड़ रुपए की स्वीकृति 

ज्ञात हो, अलग झारखण्ड के इतिहास में, राज्य बनने के बाद झारखण्ड में पिछले 20 वर्षों में, जिसमे अधिकाँश भाजपा आइडियोलॉजी का शासन रहा है, मात्र 400 करोड़ रुपए के ही किसानी ऋण माफी हुई. लेकिन, हेमन्त सरकार में, कोरोना महामारी से आर्थिक संकट का दंश झेलते हुए भी राज्य के गरीब बिरसा किसानों के 900 करोड़ रुपए की ऋण माफी की स्वीकृति मिलना, साथ ही उन्हें फिर से केसीसी का लाभ दिया जाना, दर्शाता है कि हेमन्त सरकार न केवल कृषि को लेकर, किसानों को लेकर भी गंभीर है. जो झारखण्ड के इतिहास में पहली बार देखा जा रहा है.

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