पढ़े लिखे ग्रेजुएट युवाओं को भी झारखंड में नौकरी नहीं मिलेगी: रघुवर दास 

झारखंड में अब पढ़े लिखे ग्रेजुएट डिग्रीधारियों को नौकरी की उम्मीद छोड़ देनी होगी, ऐसा झारखंड खबर नहीं बल्कि झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास का कहना है दरअसल आशीर्वाद यात्रा के दौरान चौपाल कार्यक्रम में एक झारखंडी महिला ने जब उनसे सवाल किया कि उनके घर में पीजी, बीएड व ग्रैजुएट किये लोग हैं, जब उन्हें नौकरी नहीं दे पा रहे हैं तो अनपढ़ लोगों को कैसे नौकरी देंगे? जवाब में मुख्यमंत्री जी ने अल्हड़ता के साथ दो टूक कह दिया कि अब यहाँ डिग्री लेकर घूमने वालों को नौकरी नहीं मिलेगी। उनका साफ़ मानना है कि यहाँ के पढ़े-लिखे लोग अयोग्य हैं, उन्हें भाजपा की सदस्यता लेकर पहले स्किल्ड होना पड़ेगा। मुख्यमंत्री जी को सीधा कहना चाहिए था कि इस राज्य में नौकरी लेने के लिए बाहरी होना आवश्यक है। 

जबकि मोदीजी की महत्वाकांक्षी कौशल विकास योजना की सच्चाई झारखंड में यह है कि यह महज एक मज़ाक बन कर रह गया है। इन्हीं महाशय ने जनवरी में युवा दिवस के मौके पर 25 हजार युवाओं को रोज़गार देने का लक्ष्य रखा था, लेकिन रोज़गार के लिए इंटरव्यू लैपटॉप और इमरजेंसी लाइट की रोशनी में लिये गए। हाथों में आवेदन लेकर अभ्यर्थी साक्षात्कार बोर्ड के पास गए तो ज़रूर, लेकिन न नौकरी देने वाले और न ही नौकरी लेने वाले ने, एक-दूसरे के चेहरे को ठीक से देख पाया। दरअसल, इस ड्रामे में केवल फ़र्ज़ी आंकड़ा जुटाने की कोशिश कि जा रही थी। इसी का जीता जागता सुबूत था राजधानी में आयोजित रोज़गार मेला। 

मसलन, झारखंड राज्य में रघुवर सरकार आने के बाद से ही बेरोज़गारी का संकट बढ़ता ही चला गया है। आबादी के अनुपात में रोज़गार बढ़ना तो दूर उल्टा घटते चले गये। सरकारी नौकरियाँ राज्य में नाम मात्र ही निकली, उसे भी सरकार ने गलत स्थानीय नीति परिभाषित कर बाहरियों को भेंट कर दी। अब तो स्थिति यह है कि मंदी की वजह से लाखों लोग जो नौकरी कर रहे थे वे भी बेरोजगार हो गए। वहीँ दूसरी तरफ सार्वजनिक क्षेत्रों की बर्बादी युद्ध स्तर पर जारी है। भर्तियों को लटकाकर रखा गया है, सरकार भर्तियों की परीक्षाएँ करने के बाद भी उत्तीर्ण उम्मीदवारों को नियुक्त ही नहीं की! सरकार के कितने गुण गिनाएँ जाए। हमारे पैसों पर अय्याशी करने वाले ये नेता अब हम ही को बेहयाई से कह रहे हैं कि हमें नौकरी नहीं मिलेगी!

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