साहेब! जनता के मुद्दों पर सामने आइये यूँ तो मुँह न छिपाइये!

चाहे केंद्र में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार हो या झारखंड में मोदी-शाह के इशारे पर नाचने वाले उनके लठैत रघुवर दास जी की सरकार इनका पूरा कार्यकाल केवल उन पूँजीपतियों की जी हजूरी में गुजरा है जिन्होंने इन्हें पिछले आम चुनाव में चुनावी फंड मुहैया कराया थाधरातल पर तो इन बड़बोलों ने कमीशनखोरी के अलावा और कोई काम किया ही नहीं, अगर किया होता तो इन्हें झारखंड जैसे गरीब राज्य में अपना चेहरा चमकाने के लिए 323 करोड़, 76 लाख, 81 हजार रुपये विज्ञापन पर खर्च न करने पड़ते और न ही चुनावी मौसम में वोट की फसल काटने अपने काली कारिस्तानी को छुपाने के लिए विपक्ष पर उल-जलूल बयान देकर जनता को भरमाने का प्रयास करना पड़ता।

झारखंड में पहली बार चोरी-सीनाजोरी का ऐसा उदाहरण देखा जा रहा जिसमे बाहर वाले घरवालों पर इलज़ाम लगा रहे हैं कि कैसे इन्होंने यहाँ की फलाना-ढीमकाना ज़मीन खरीदी, जैसे ये बाहरी, इस राज्य में जिस ज़मीन पर जो अपना घर बनाए हैं वह ज़मीन वे अपने पैतृक राज्य से ले कर आये थे। भूतपूर्व सीएम से बेअर्थपूर्ण सवाल पूछने के बजाय वर्तमान मुख्यमंत्री यह बताएं कि 2014 के चुनावी रैली में जब मोदीजी ने झारखंड की जनता वादा किया था कि उनके रहते यहाँ के आदिवासियों–मूलवासियों की रत्ती भर ज़मीनी नहीं छिनी जा सकती। तो फिर कैसे यहाँ की ज़मीने  अडानी व अन्य पूँजीपतियो को लूटाने से साहेब क्यों नहीं चूके? क्यों नहीं बताते इसके पीछे राज क्या है?

बहरहाल, हम पत्रकार गण आशा करते हैं कि साहेब झामुमो के द्वारा उठाये गए सवालों का शीघ्र ही मुक्कमल जवाब देंगे! साथ ही बिना मुँह छुपाए जनता के मुद्दे पर आते हुए बताएँगे कि आखिर आदिम जनजाति के लोगों को पीने का साफ़ पानी तक मुहैया क्यों नहीं करा पाए भूख से हुई मौतों की ख़बरें लगातार आती रही हैं और सरकार कैसे इस और से आँखे मूंद अरबों रुपये विज्ञापनों पर ख़र्च कर दी और अब उसे जायज़ भी ठहराने का प्रयास करती दिख रही है साहेब यह जनता के साथ धोखाधड़ी है,आप चाहते तो कम ख़र्च में अपनी बात जनता तक पहुंचा सकते थे और इतने धन में आदिम जनजाति के लोगों की पेयजल आपूर्ति की समस्या हल कर सकते थेवैसे भी भाजपा सबसे अधिक कार्यालय-कार्यकर्ता दल होने का दंभ भरने वाली इकलौती दल है!

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