युवा पार्टी है झामुमो : हेमंत ‘काकोरी’ याद करो सारे साजिश नाकाम करो

झामुमो झारखंड का सबसे अधिक युवा विधायकों ( नौजवानों ) वाली युवा पार्टी 

देश के आज़ादी आन्दोलन के इतिहास में ‘काकोरी एक्शन’ एक महत्वपूर्ण घटना है। 9 अगस्त 1925 के दिन 10 नौजवानों ने काकोरी नामक जगह पर चलती रेल से अंग्रेजी खजाना लूट अंजाम दिया था। इन नायकों के नाम रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक़ उल्ला खान, रोशन सिंह और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी थे। भारत में लूट, शोषण और दमन पर टिके अंग्रेजी साम्राज्य के मुँह पर ‘काकोरी एक्शन’ एक करारा तमाचा था। चन्द्रशेखर आज़ाद इसके ‘कमाण्डर इन चीफ़’ थे। यही जुझारूपन झारखंड आन्दोलन के वक़्त युवा शिबू सोरेन के नेतृत्व में दिखा था। और अब ठीक वही जूनून युवा हेमंत सोरेन और इनके तमाम नौजवान विधायकों में दिख रहा है।  इन नौजवानों (हेमंत सोरेन, अमित महतो, जयप्रकाश भाई पटेल, कुनाल षाडंगी, दसरथ गगरई) ने अपने जूनून से एक विधायक का बलि दे झारखंड के रक्षा कवच सीएनटी/एसपीटी एक्ट को संशोधन होने से बचाकर वही तमाचा रसीद किया है ।

उस वक़्त भी अंग्रेज आज हीं की तरह हिन्दू और मुस्लिम साम्प्रदायिकता को लगातार बढ़ावा दे रहे थे। इसी दौर में तबलीगी जमात, हिन्दू महासभा, मुस्लिम लीग और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसों के नेतृत्व में धर्म के नाम पर लोगों को बाँटने की शुरुआत हुई थी जो आज तक कायम है। उसी समय के क्रान्तिकारी की भांति झारखंड के इन नौजवानों ने भी “झारखंड संघर्ष यात्रा” को आन्दोलन में बदल कर पूरे राज्य में ग़दर मचा दी है। अपने जीवन से मिसालें कायम कर रहे हैं। ‘गदर’ आन्दोलन के क्रान्तिकारियों की तरह इनका भी स्पष्ट मानना है कि धर्म एक व्यक्तिगत मसला है और उसका राज्य मशीनरी व राजनीति में इस्तेमाल बिलकुल भी नहीं होना चाहिए।

समानता तो देखिये झामुमो ( युवा पार्टी )के 19 विधायको में 13 विधायक नौजवान हैं और इन नौजवानों ने झारखंड को बचाने के साथ-साथ संवारने की भी ठानी है। सत्य भी है युवाओं ने जब-जब ठाना है बड़े तख़्त भी उलट पड़े हैं। बहरहाल, वर्तमान में झामुमो ( युवा पार्टी ) पूरी तरह संस्कारिक युवा पार्टी है। यह अन्य दलों की तरह अपने बुजुर्गो का अपमान करने के बजाय उनके आशीर्वाद और अनुभव समागम कर चलने में विश्वास रखती है। संक्षेप में यह कह सकते हैं झारखंड में अगली सरकार युवाओं की आने वाली है।

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