रघुबर दास का दंभी रवैय्या
झारखण्ड स्थापना दिवस के काले अध्याय के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने, अपने क्रियाकलापों, व्यवहारों तथा निम्नस्तरीय वक्तव्यों से पूरे राज्य में भाजपा की जो छवि गढ़ी है, उससे भाजपा के नेताओं को जाड़े में पसीने छूटने लगे हैं। जनता इनके व्यवहार से इतनी नाराज है कि रघुवर दास के मंत्रियों को इस पर विवेचना करने के लिए मजबूर हो गये हैं। पार्टी को यह आभास हो चुका है कि इनके मनमतंगी रवैये से राजस्थान जैसा हाल झारखंड में भाजपा हो गया है।
स्थापना दिवस के मौके पर हुए पारा शिक्षकों पर बर्बरता के बाद भी रघुबर दास की अभद्र भाषा, अहंकारी रवैय्या और खुले आम धमकी देने की वजह से इनके मंत्रिमंडल में हाहाकार मची हुई है। अब पार्टी के विधायक और सांसद मुख्यमंत्री के मनमानी को बर्दाश्त करने की मूड में नहीं दिख रही है। हालांकि अभी भी भाजपा के कुछ मंत्री चुप्पी साधे इस मुद्दे पर तमाशबीन बनी बैठी है, वहीं कुछ इस पर खुलकर टिप्पणी करना शुरू दिए हैं। मंगलवार को राज्य में हुए मंत्रिपरिषद के बैठक में पारा शिक्षको का मामला गरमाया, जिसमे दस में से पांच मंत्रियों ने इसकी भर्त्सना की। खुले तौर पर नसीहत देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को उस अप्रिय स्थिति से यथासंभव बचने का प्रयास करना चाहिए था। साथ-साथ रघुबर दास को पारा शिक्षकों से काम पर लौटने की अपील करने की सलाह तक देदी। वहीं दूसरी ओर इस मामले से हटकर शिक्षकों की नियुक्ति में बाहरियों की बहाली को लेकर सांसदों ने रघुबर दास की खबर लेनी शुरू कर दी है।
खैर भाजपा के नेताओं को सद्बुद्धि आने में देर हो गयी, अब इनलोगों ने पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री रघुवर दास का खुला विरोध करना शुरू कर दिया है। क्योंकि जिस तरह इन दिनों मुख्यमंत्री महोदय बेलगाम घोड़े की तरह अपने आपको झारखंडवासियों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं, इनके नेताओं को डर सताने लगा है कि अपने साथ-साथ ये पूरी भाजपा को ले डूबेंगे। कुल मिलाकर देखा जाए तो इन्होंने अपनी हरकतों से राहू काल को आमंत्रित कर दिया है। हाल ये हो गया है कि जनता, विपक्षी दलों के साथ-साथ अब इनके अपने भी इनको फटकार लगाने से नहीं चूक रहे।