रघुवर सरकार के ‘ मोमेंटम झारखण्ड ’ का पर्दाफाश…

झारखण्ड में रघुवर सरकार द्वारा आयोजित ‘ मोमेंटम झारखण्ड ’ के तहत दावा किया गया था कि तीन लाख करोड़ रुपये के निवेश इस प्रदेश में होगा। लेकिन परिणाम के तौर पर कहा जा सकता है कि सरकार की यह योजना पूरी तरह विफल रही। सिर्फ विफल ही नहीं बल्कि सरकार ही कटघरे में खड़ी दिखती है। अब यह बात की पुष्टि हो रही है कि इस सरकार ने सिर्फ अपनी ढपोरशंखी वादों को अमली जामा पहनाने के लिए आनन-फानन में बिना जाँच के कई ऐसे कम्पनियों के साथ एमओयू साईन किया। ऐसा प्रतीत होता है कि यह कंपनियां केवल एमओयू साईन करने के लिए ही अस्तित्व में आयी, क्योकि इसके अंतर्गत कई ऐसी कंपनिया हैं जिसका रजिस्ट्रेशन महज चंद दिनों या चंद सप्ताह पहले ही हुआ है। जबकि झारखण्ड विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में भी इस बात का खुलासा हुआ है।

मोमेंटम झारखण्ड एमओयू से कुछ दिन पहले बनी कंपनी

• मेसर्स कॉन्टेक निर्माण इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, ग्राउंड फ्लोर पशुपतिनाथ अपार्टमेंट, मनोरम नगर, एलसी रोड, धनबाद का रजिस्ट्रेशन फ़ूड प्रोसेसर के नाम पर मोमेंटम झारखण्ड कार्यक्रम के महज दो दिनों पहले हुआ है।
• पार्सा एग्रो प्राइवेट लिमिटेड ने 1900 करोड़ का एमओयू फरवरी 2017 में साईन किया जबकि इस कंपनी का भी रजिस्ट्रेशन फरवरी माह में ही हुआ है। साथ ही उस समय इस कंपनी की कुल जमापूंजी महज एक लाख की थी।.

ऐसी कई और कम्पनियां है, जिसके साथ सरकार ने एमओयू साईन किया है जिसकी आर्थिक हैसियत, उत्पादन या कार्य अनुभव नग्न मात्र है। झारखण्ड खबर झारखण्ड की जनता के प्रति प्रतिबद्ध है और आगे भी जनता के समक्ष इस सन्दर्भ में सामग्री मुहैया करवाना जारी रखेगी।

बहरहाल, कुल मिलाकर सारांश यह है कि यह सरकार ऐसा सिर्फ जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए कर रही है और यहाँ की जनता का लैंडबैंक में पड़ी ज़मीनों को लूटाने के लिए मोमेंटम झारखण्ड के नाम से स्वांग रची थी जिसक पर्दाफाश अब धीरे-धीरे होने लगा है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर क्यों यह सरकार बिना जाँच किए इन नवीन कंपनियों को जिसके पास काम का कोई अनुभव नहीं, उन्हें ज़मीन देने का क्या अर्थ हो सकता है। आप विचार करें और कमेन्ट कर अपनी प्रतिक्रिया भी ज़रूर दें।

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