झारखण्ड को ‘मुख्यमंत्री मईया सम्मान योजना’ की जरुरत क्यों?

झारखण्ड के गरीब आधी आबादी को मईया सम्मान योजना के तहत सरकारी आर्थिक मदद न केवल महिलाओं को, उनके परिवार को भी दयनीय स्थिति से बाहर निकालेगा तथा सामाजिक नजरिए में भी सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होगा.

रांची : झारखण्ड एक गरीब आदिवासी-मूलवासियों का प्रदेश जरुर है लेकिन खनिज-संपदा बाहुल्य राज्य भी है. साथ ही मानवीय पहलूयों को सहेजने जैसे सांस्कृतिक भावनाओं में रचा-बसा प्रदेश है. प्रकृतिक संतुलन के मद्देनजर इस प्रदेश की परम्परा और सांस्कृतिक ताना-बाना केवल जल, जंगल, ज़मीन के संरक्षण पर ही बल नहीं देता, आधी आबादी की सामाजिक समानता और संसाधन मुहैया करने जैसी साम्यवादी विचारधारा को जीने की प्रेरणा देता है. 

मईया सम्मान योजना की जरुरत क्यों

इस क्षेत्र का महाजनी प्रथा से ग्रसित होने का ऐतिहासिक सच रहा है और पूर्व के शासनों में इस प्रदेश में पुरुषवादी मानसिकता ने गहरी पैंठ बनाने में सफल रही. स्वतंत्रता संग्राम से लेकर झारखण्ड आन्दोलन तक महिला-पुरुष कंधे से कंधे मिलाकर संघर्ष करने वाला यह प्रदेश पुरुषवादी मानसिकता के जाल में उलझता चला गया. पूर्व के सरकारों की सामंती लूट पर आधारित नीतियों के अक्स में हुए औद्योगीकरण और बाहरी प्रभावों के प्रसार ने राज्य के जीवन शैली, इतिहास और सांस्कृतिक ताने-बाने का संतुलन बिगाड़ दिया.

नतीजतन जहां राज्य में साक्षरता का अभाव, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, भूमि अधिकारों का हनन, सामाजिक कुरीतियों का प्रसार और हिंसा और शोषण जैसी विभीषिका देखने को मिला. वहीँ दूसरी तरफ महिलाओं में सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन, लैंगिक असमानता, मानव तस्करी, स्वास्थ्य और शिक्षा, बाल विवाह और कुपोषण जैसी समस्यायें गहराती चली गई. स्थिति यहाँ तक पहुँच गई कि राज्य की बेटी भात-भात कहती भूख से मरने को विवश होना पड़ा.

मईया सम्मान योजना झारखण्ड के आधी आबादी की सशक्तिकरण में मिल का पत्थर 

झारखण्ड के हेमन्त सरकार में शुरू हुईं ‘मुख्यमंत्री मईया सम्मान योजना’ महिला सशक्तिकरण के दिशा में बेहतरीन विकल्प माना जा सकता है. राज्य की कुपोषित महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान किया जाना महिलाओं की आर्थिक समस्या दूर करेगा, उसके परिवारों को भी बेहतर जीवन यापन करने में मदद करेगा.

यही नहीं महिलाओं को उधार की जिन्दगी से बाहर निकालेग. महिलाओं की पुरुष पर निर्भरता और मोहताजपन को भी कम करेगा. नतीजतन, महिलाओं के मान साम्मान में वृद्धि होगा. जिससे पुरुषों के सर से आर्थिक बोझ कम होगा और महिलाओं के प्रति समाज का नजरिया बदलेगा. जिससे समानता पर आधारित एक स्वस्थ समाज का निर्माण संभव हो सकेगा.

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