बिरसा मुंडा की धरती पर ‘आदिवासी महोत्सव’:  देश को करेगा एकजुट

झारखण्ड: हेमन्त शासन में धरती आबा के पवित्र धरती पर ‘आदिवासी महोत्सव’ का आयोजन देश को विषम परिस्थिति में एकजुट होने का सन्देश देगा. दुनिया को देश की अखंडता का सन्देश देगा.

रांची : देश के सभी वर्गों की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व सामाजिक पहचान को हड़पने की मंशा तले बीजेपी-आरएसएस का एक धर्म का अक्स मणिपुर की वर्तमान परिस्थिति के रूप में आदिवासियों की दुर्दशा देश भर में उभार दिया है. मोदी शासन में देश का हर आदिवासी बाहुल्य राज्य आरएसएस – बीजेपी  के विनाशकारी नीतियों से त्रस्त है. झारखण्ड में वनवासी शब्द तले आरएसएस-बीजेपी का आदिवासों को जबरिया हिन्दू बनाने के प्रयास में सरना धर्म कोड बिल की अनदेखी, स्पष्ट तस्वीर है.

बिरसा मुंडा की धरती पर ‘आदिवासी महोत्सव’:  देश को करेगा एकजुट

मणिपुर से इतर चूँकि झारखण्ड में एक लोकतांत्रिक सरकार है, मसलन, उस सरकार द्वारा सामंतियों के विनाशकारी नीतियों से परे आदिवासियों की सामाजिक सुरक्षा-पहचान, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, आरक्षण, ऐतिहासिक, साहित्यिक, तथा आर्थिक सबलता को संरक्षित का प्रयास हो रहा है. ज्ञात हो, इस कड़ी में एक वर्ष पहले झारखण्ड में जनजातीय महोत्सव का आयोजन हुआ था. जिसमें सीएम हेमन्त सोरेन ने कहा था कि आदिवासी बचाओ, जंगल, जमीन, जीव-जंतु सब स्वतः ही बचेंगे.

जिसके अक्स में झारखण्ड में पेड़ लगाने की पुरानी संस्कृता का फिर उभार देखा गया. राज्य में आदिवासी समेत सभी वर्गों ने सीएम के प्रयासों का स्वागत किया, आगे बढ़ाया. ज्ञात हो, वर्तमान में भी इस दिशा में झारखण्ड में हेमन्त सरकार का यह प्रयास जारी है. इस वर्ष भी आदिवासी समुदायों की संरचना, सांस्कृतिक धरोहर, जीवनशैली और अन्य जरुरी पहलुओं के संरक्षण के उद्देश्य से  हेमन्त सरकार ‘आदिवासी महोत्सव’ और धूम-धाम से मनाने की दिशा में बढ़ चली है. 

बिरसा मुंडा जैसे आदिवासी जननेता ने देश को एकजुट हो संघर्ष करना सिखाया

झारखण्ड के पूत, धरती आबा बिरसा मुंडा बतौर आदिवासी देश का एक महान स्वतंत्रता सेनानी व जन नेता थे. उन्होंने देश के सभी मूल वर्गों के जल, जंगल, ज़मीन, जैसे अधिकारों की रक्षा व विभाजनकारी नीतियों के विरुद्ध आदिवासी समेत सभी वर्गों को एकजुट होना सिखाया और संघर्ष करना सिखाया. उन्होंने शीहीद होने तक अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया. मसलन, उन्हें न केवल आदिवासियों के द्वारा बल्कि देश के तमाम वर्गों के द्वारा महान जन नेता मान जाता है.

बाद में भगवान जैसे नाम से उनका सामन्तीकरण हुआ. लेकिन, अन्याय के खिलाफ खड़े होने की उनकी सीख ने उन्हें देश में धरती आबा बना दिया. और उनकी सीख की वह कड़ी झारखण्ड में कभी नहीं टूटी. वर्तमान में भी वह मशाल देश हित और झारखण्ड हित में सीएम हेमन्त सोरेन के रूप में गुजरात लॉबी के विभाजनकारी चालों के दौर में अडिग खड़ा देखा जा सकता है. ऐसे में झारखण्ड जैसे पवित्र धरती पर ‘आदिवासी महोत्सव’ का आयोजन देश को विषम परिस्थिति में एकजुट होने का सन्देश देगा. मसलन, महोत्सव में I.N.D.I.A. को स्वतः ऐतिहासिक भागीदारी निभानी चाहिए.

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