तमिलनाडु से हुई बेटियों की वापसी -पलायन व मानव तस्करी से झारखण्ड को मिल रहा है निजात

संघी मानसिकता के कैनवास तले भाजपा शासन में, झारखण्ड में कोढ़ बन चुकी पलायन व मानव तस्करी जैसी समस्या से हेमन्त सरकार में राज्य को मिल रहा है निजात…

  • तमिलनाडु से पश्चिमी सिंहभूम की 10 युवतियों की हुई घर वापसी
  • मुख्यमन्त्री के निर्देश पर युवतियों को काम के बकाया पैसे भी मिले

रांची : भाजपा के 14 वर्षों के शासन के बावजूद झारखंड मानव तस्करी व पलायन जैसे समस्या से त्रस्त रहा. इसकी बानगी हेमन्त सरकार में बेटियां समेत झारखंडियों की घर वापसी से समझा जा सकता है. राज्य गठन से आशा जगी थी कि झारखंड को पलायन व मानव तस्करी जैसी समस्या से जल्द मुक्ति मिलेगा. लेकिन, उस संघी मानसिकता के कैनवास में, भाजपा शासन ने इस समस्या को राज्य का कोढ़ बना दिया. सिवाय एक विदेशी लुटेरे के सामान प्रदेश के संसाधन लूट से ही उस मानसिकता  को मतलब रहा.

गरीबी वश हजारों की संख्या में झारखंडियों का पलायन हुआ, बच्चे विशेष कर राज्य की बेटियां मानव-तस्करी की शिकार हुई. लम्बे समय बाद, मनुवादी भ्रामिक माया को पार कर जब झारखंडी मानसिकता सत्ता पर काबिज हुई, और आतुरता से हिसाब लेने लगी, तब झारखंड के असल समस्याओं का पता चल पाया है. 

4 अगस्त, 2020 को हेमन्त सरकार ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के गठन को दिया था मंजूरी 

हेमन्त सरकार ने मानव तस्करी से झारखण्ड को निजात दिलाने के लिए सख्त कदम उठाते हुए, 24 अगस्त, 2020 को एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के गठन को मंजूरी दिया. एएचटीयू के गठन से मानव तस्करी के शिकार की रक्षा एवं उससे जुड़े मामलों की जाँच और अपराध एवं अपराधियों/ गिरोहों से संबंधित पूरा ब्योरा तैयार किया जाना संभव हुआ. ज्ञात हो, केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत राज्य के सभी जिलों में एएचटीयू का गठन किया जाना था, लेकिन उस डबल इंजन की सत्ता को इससे कहाँ मतलब था. हेमंत सरकार में उसे जिन्दा किया गया, अन्य 12 जिलों में भी इसे खोलने की प्रक्रिया पर तेजी से काम चल रहा है. जो मौजूदा दौर में झारखंडियों को इस त्रासदी से बाहर निकाल रहा है.

पश्चिमी सिंहभूम की 10 बेटियां तमिलनाडु के त्रिपुर से वापस लौटी झारखंड 

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद, पश्चिमी सिंहभूम की 10 युवतियां, तमिलनाडु के त्रिपुर से वापस झारखंड लौट आई हैं. सभी त्रिपुर में केपीआर 3 कंपनी में काम करने गई थीं, लेकिन वहां भाषा की समस्य़ा होने पर उन्हें काम करने में परेशानी होने लगी. इसके बाद युवतियों ने वापस आने के लिए श्रम विभाग के अन्तर्गत राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष से मदद मांगी. मामले की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमन्त्री ने श्रम विभाग और नियंत्रण कक्ष को युवतियों को वापस लाने का निर्देश दिया. 

नियंत्रण कक्ष ने केपीआर 3 कंपनी के मैनेजर से बात कर युवतियों की वापसी की व्यवस्था कराई. 3 अक्तूबर को युवतियां त्रिपुर से झारखंड के लिए रवाना हुई. सभी 5 अक्तूबर को वापस झारखंड के चक्रधरपुर सुरक्षित पहुंचीं. युवतियों ने जितने दिन त्रिपुर में काम किया था, उसका मेहनताना कुल 90200 रुपये का भुगतान भी उन्हें किया गया. 

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