ओछी राजनीति से उपर कब उठेगी झारखण्ड भाजपा, क्या पीएम केयर्स फंड भाजपा नेताओं व प्रधानमंत्री-गृहमंत्री के गाढ़ी कमाई के चंदे से अस्तित्व में आयी है?
रांची : ढपोरशंखी भाजपा नेताओं का बस चले तो वह गैर भाजपा शासित राज्य के सरकारों की उपलब्धियों पर भी केन्द्रीय भाजपा सत्ता का ठप्पा लगाने से नहीं चुकेंगे. दूसरों की उपलब्धियों को अपनी देवी-देवताओं की मायावाद से जोड़ने की पुरानी ब्राह्मणवाद की बीमारी, मौजूदा दौर में झारखंड के भाजपा नेताओं में साफ़ दिखती है. झारखण्ड के निठल्ले भाजपा नेताओं की गाल-बजाने की लत इतनी गंभीर हो चली है कि अब वह प्रदेश में हेमन्त सरकार की अथक प्रयासों को केन्द्रीय भाजपा से जोड़ने की जुगत में हैं.
ऐसा माहौल बनाने का प्रयास है कि प्रदेश में खीची जा रही हर नवीन रेखाएं भाजपा या मौजूदा केंद्र सरकार की माया या मनुवाद के विज्ञान से ही संभव हो रहा है. और देश में जनहित के तहत कुछ भी करने के लिए भाजपा या केंद्र सरकार से पूछना होगा. मौजूदा दौर में राज्य में मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन के द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरन के मद्देनजर सेंट्रल लैब, सीटी स्कैन मशीन, कोबास जांच मशीन और पीएसए प्लांट के उद्घाटन पर प्रदेश भाजपा के नेताओं की राजनीति से ऐसा ही प्रतीत होता है.
क्या पीएम केयर्स फंड भाजपा नेताओं की गाढ़ी कमाई के चंदे से अस्तित्व में आयी है ?
ज्ञात हो, उद्घाटन समारोह में सांसद संजय सेठ सहित अन्य भाजपा नेताओं को राज्य सरकार द्वारा आमंत्रित किया गया था. लेकिन, खबर है कि भाजपा नेताओं ने समारोह में शिरकत करने से न केवल इंकार कर दिया, बल्कि सांसद संजय सेठ ने पीएम केयर्स फंड से बने पीएसए प्लांट का उद्घाटन करना प्रधानमन्त्री का अपमान बता दिया. कहा कि केंद्र की सहायता से बने प्लांट का उदघाटन सीएम को करने का हक नहीं है. इससे पहले भी देवघर एम्स के ओपीडी के उद्घाटन में भी भाजपा व केंद्र सरकार का यही रवैया दिखा था.
तमाम परिस्थितियों के अक्स में सांसद संजय सेठ से बताना चाहेंगे कि क्या पीएम केयर्स फंड प्रधानमन्त्री का निजी निधि नहीं है. या फिर भाजपा नेताओं की गाढ़ी कमाई है. या फिर पीएम केयर्स फंड भाजपा के नेताओं के चंदे से अस्तित्व में आयी है. या फिर यह फंड देश की आम जनता की गाढ़ी कमाई से खड़ी हुई है. निसंदेह इस फंड में झारखंड के नागरिकों का भी योगदान दिया है. ऐसे में स्वास्थ्य सुविधाएं जनता के लिए उपलब्ध हो रही है, तो राज्य के मुखिया की हैसियत से मुख्य़मन्त्री का हक बनता है कि वे जनता को उसे समर्पित करें. और न जाने भाजपा नेताओं में यह कैसी बीमारी है कि वह जनता की कमाई को अपना बताने से नहीं चुकती.