शिक्षा व्यवस्था से ड्रॉप आउट की समस्या की खात्मे पर अडिग सीएम हेमन्त सोरेन. ड्रॉप आउट जैसे गंभीर समस्या के खात्मे में हेमन्त सरकार में लिए गए कई अहम निर्णय…
रांची : भारतीय शिक्षा व्यवस्था में ड्रॉप आउट एक गंभीर समस्या है. बच्चों का असमय विद्यालय छोड़ना, भारतीय समाज के विकास में ग्रहण बन कर उभरा है. यह समस्या न केवल बच्चों को शिक्षा से दूर ले रही है, देश के भविष्य को भी खतरे में डाल रही है. ऐसे में ड्रॉप आउट की समस्या झारखण्ड जैसे आदिवासी-मूलवासी व गरीब बाहुल्य राज्य के लिए कितना खतरनाक है, समझा जा सकता है. हालांकि, मनुवादी व्यवस्था के मद्देनजर इस समस्या को झारखण्ड में पूर्व की सत्ता में साजिशन प्रत्यारोपित किया गया. ताकि अशिक्षित झारखण्ड के अक्स में संसाधनों की लूट बदस्तूर जारी रहे.
झारखण्ड में यह समस्या शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है. नतीजतन, ग्रामीण इलाकों के हजारों बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. ऐसे में ड्रॉप आउट की समस्या को झारखण्ड में जड़ से खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का कमर कसना दर्शाता हैं कि वह झारखण्ड के भविष्य के लिए चिंतित हैं. मसलन, समस्या के खात्मे के मद्देनजर हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में लिये गये कई अहम निर्णय न केवल सार्थक प्रयास माना जा सकता है, उनके व्यक्तित्व को ड्रॉप आउट की समस्या के समक्ष अडिग बनाता है.
बच्चों का बीच में स्कूल छोड़ने के कई अहम कारण
बता दें कि बच्चों का बीच में स्कूल छोड़ने के कई कारण हैं, जिनमें प्रमुख कारण रहे हैं –
- जागरूकता की कमी.
- विद्यालय में आधारभूत संरचना की कमी.
- शिक्षकों की कमी.
- लोगों के मन में सरकारी स्कूलों के प्रति नकारात्मक भावना.
- ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात की सुविधा का अभाव.
- विद्यालय से दूरी भी स्कूल ड्रॉपआउट की एक प्रमुख वजह है.
आधारभूत समस्या को दूर करने के लिए मॉडल स्कूल की संकल्पना पर तेजी से हो रहा काम
हेमन्त सरकार में झारखण्ड के विद्यालयों में आधारभूत संरचना की कमी को दूर करने हेतु लीडर और मॉडल स्कूल बनाने का फैसला किया गया है. प्रथम चरण में राज्य के 80 स्कूलों को अपग्रेड कर मॉडल लीडर स्कूल बनाया जा रहा है. मॉडल स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तक पढ़या ही जायेग, उनकी समझ क्षमता को बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा. बच्चों की स्पोकन इंग्लिश (अंग्रेजी बोलने) की क्षमता को विकसित करने पर शुरूआती काल से जोर दिया जाएगा.
इस उद्देश्य हेतु शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं और एनसीइआरटी, एनइआइपी जैसे संस्थानों का सहयोग प्राप्त किया जायेगा. स्कूलों में लैंग्वेज लैब की स्थापना के साथ स्पोकेन इंग्लिश कोर्स का संचालन भी विद्यालयों में ही होगा. इसके अलावा स्कूलों में कंप्यूटर लैब, प्रोजेक्टर, लाइव क्लासेस जैसी स्मार्ट सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी. ताकि सरकारी स्कूलों में पढने वाली बच्चे देश-दुनिया के साथ बराबर क्षमता के साथ आगे बढ़े.
नुक्कड़-नाटक सहित कई माध्यमों से शिक्षा के अधिकारों पर दिया जा रहा जोर
जागरूकता की कमी को देखते हुए सभी जिलों के डीसी को निर्देश दिया है कि नुक्कड़-नाटक के जरिये लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाए. ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सभी बच्चों के नामांकन और स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति पर ध्यान दिया जा रहा है. 6 से 14 वर्ष तक के बच्चें के लिए अनिवार्य निःशुल्क एवं गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार, नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक एवं मध्याह्न भोजन, प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने तक बच्चे को कक्षा से निष्कासित नहीं करने जैसे सार्थक पहल पर जोर दिया जा रहा है.
शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए हेमन्त सरकार द्वारा लिये गये हैं कई फैसले
- सरकारी स्कूलों के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने, उनके बीच शैक्षणिक सामग्री पहुंचाने तथा उनका नामांकन सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी स्वयंसेवकों (वालेंटियर) को दी गयी है. इसके तहत स्वयंसेवक पोषक क्षेत्र के 6 से 18 वर्ष आयु वर्ग के ड्राप आउट बच्चों तथा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का स्कूलों में नामांकन कराएंगे.
- पारा शिक्षकों को सहायक अध्यापक का दर्जा देकर उनकी सेवा 60 वर्ष तक के लिए सुनिश्चित कर दी गयी है.
- शिक्षकों की बड़े पैमाने पर बहाली करने जा रही है. पहली बार मॉडल कस्तूरबा आवासीय विद्यालयों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति का फैसला हुआ है. प्लस टू में 510 प्राचार्यों और 189 स्कूलों में स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों के पदों को सृजित किया गया है.
- स्कूल ड्रॉपआउट की प्रमुख वजहों में शामिल विद्यालय से घरों की दूरी को देखते हुए हेमंत सरकार ने बच्चों को निःशुल्क साइकिल देने का फैसला किया है. वर्तमान में यह साइकिल आठवीं और नवीं के बच्चों को दिया जाएगा.
ड्रॉप आउट की समस्या को दूर करने के लिए हेमन्त सरकार द्वारा चलाया जा रहा है सेतु गाइड विशेष शिक्षण अभियान
ज्ञात हो, राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले तथा ऑनलाइन शिक्षा से वंचित लगभग 62 लाख बच्चों को राज्य सरकार ने ड्रॉप आउट माना है. इन बच्चों की छूटी हुई पढ़ाई की भरपाई के लिए हेमन्त सरकार सेतु गाइड विशेष शिक्षण अभियान चल रही है. सेतु गाइड के रूप में चयनित युवा बच्चों को पढ़ाया जा रहा हैं.