न्याय के मद्देनज़र हेमन्त दौर में आम जन के लिए मुख्यमंत्री आवास के खुले दरवाज़े, आसामाजिक घटना के रोक-थाम में सुव्यवस्थित व्यवस्था, न केवल राजनीतिक-सामाजिक तौर पर हेमन्त सत्ता को भाजपा सत्ता से पृथक करती है. झारखण्ड आन्दोलन के संघर्षीय भावना को अर्थ देने की कवायद करती भी दिखती है.
रांची : यदि अलग झारखण्ड की अलख की बुनियाद न्याय व अधिकार न मिलने का अक्स हो. और झारखण्ड गठन के बाद राज्य की प्रथम भाजपा सरकार अपने ही मुख्यमंत्री के बेटे के हत्यारे को न्याय न दिला पाने का सच लिए हो. बुजुर्ग योगी के साथ हुए मोब लिंचिंग में न्याय न दिला पाने का सच लिए हो. मजबूर बाप को बेटी के लिए न्याय मांगने पर अपमानित करने का सच लिए हो. बकोरिया कांड, बास्के प्रकरण जैसी घटना निर्दोषों के मौत के भार का सच लिए हो. भाजपा का लम्बा शासन काल लोगों में न्याय प्रणाली से उठते विश्वास का सच लिए हो.
तो मौजूदा दौर में हेमन्त सत्ता की आसामाजिक घटनाओं के प्रति न्यायिक-प्रशासनिक व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन करना ज़रुरी हो जाता है. न्याय के मद्देनज़र मौजूदा दौर में आम जन के लिए मुख्यमंत्री आवास के खुले दरवाज़े, आसामाजिक घटना के रोक-थाम में सुव्यवस्थित व्यवस्था, न केवल राजनीतिक, सामाजिक तौर पर भी मौजूदा हेमन्त सत्ता को भाजपा सत्ता की व्यवस्था से पृथक करती है. झारखण्ड आन्दोलन की संघर्षीय भावना को उसके अर्थ तक पहुंचाने की कवायद भी करती दिखती है. जो लोकतंत्र के मजबूतीकरण में भी सराहनीय व ठोस प्रयास हो सकता है.
बरही मामले में सरकार ने राज्य को जलने से बचाने की प्रक्रिया को दी पहली प्राथमिकता
बरही, रुपेश पांडे हत्याकांड के मामले में हेमन्त सरकार द्वारा सूझ-बुझ से कदम उठाया गया. सरकार द्वारा इस आसामाजिक घटना के रोक-थाम में सुव्यवस्थित व्यवस्था का उदाहरण पेश किया गया. राजनीति से परे सरकार द्वारा सबसे पहले राज्य को जलने से बचाने की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी गयी. घटना के रोक-थाम में प्रशासन को तमाम एहतियात कदम उठाने के आदेश तत्काल दिए गए. शान्ति व्यवस्था कायम होने बाद न्याय दिलाने के मद्देनज़र घटना के दोषियों को हिरासत में लेने की दिशा में सरकार बढ़ चली है. हालांकि, राज्य का विपक्ष एक बार फिर राजनीतिक रोटी सकने में विफल हुए है.
ज्ञात हो, रुपेश पांडे हत्याकांड के मामले में सरकार द्वारा 5 सदस्यीय एक डेलिगेशन मृतक के परिजनों से मिलने, 14 फरवरी 2022 को बरही भेजा गया. डेलीगेशन में सरकार के 3 मंत्री – बादल पत्रलेख, सत्यानंद भोक्ता, मिथिलेश ठाकुर एवं 2 विधायक – अंबा प्रसाद व सुदिव्य कुमार शामिल थे. सरकार का संदेश लेकर डेलीगेशन मृतक रूपेश पांडे के पैतृक गांव करियातपुर पहुँच उसके माता-पिता व समस्त परिजनों से मिले, दुख व्यक्त किया, ढाढस बंधाया. साथ ही सरकार का सन्देश कि सरकार इस दुःख की घड़ी में उनके साथ खड़ी है, साझा किया.
मृतक रूपेश पांडे के परिजनों ने मुख्यमंत्री से मिलने की बात कही
डेलीगेशन द्वारा परिजनों को बताया गया कि झारखण्ड सरकार पूर्ण रूप से उनके साथ हैं और न्याय के लिए जो भी तर्कसंगत मांग परिजन करेंगे, जिससे उन्हें संतुष्टि मिले, उसे अमल में लाया जाएगा. हेमन्त सरकार में किसी भी हाल में दोषी बख्शे नही जायेंगे. उन्हें कठोर सजा दी जाएगी. सभी मंत्रियों द्वारा 1-1 लाख रुपये की सहायता राशि तत्काल पीड़ित परिवार को दी गयी.
परिजनों ने श्राद्ध कर्म पूरी होने के बाद मुख्यमंत्री से मिलने की इच्छा प्रकट की. डेलीगेशन ने तत्काल जिला डीसी एवं एसपी को आदेश दिया गया है कि जब भी परिजन मुख्यमंत्री से मिलना चाहे, समय लेकर शिष्टमंडल प्रशासन की सुरक्षा में मुख्यमंत्री से मिलने का प्रबंध किया जाए. यात्रा की पूरी व्यवस्था हेमन्त सरकार करेगी.
मामले में सरकार की व्यवस्था दर्शाता कि राज्य के प्रशासनिक व्यवस्था में स्वस्थ बदलाव हो रहे है
मसलन, मृतक के परिजनों की मांग, जितने भी बाकी नामजद अभियुक्त हैं सब की गिरफ्तारी जल्दी हो और उन्हें न्याय मिले, को मानते हुए मुख्यमंत्री द्वारा अपराधियों को पकड़ने के लिए स्पेशल टीम बनाने के निर्देश दिया जाना, मौजूदा हेमन्त सरकार की गंभीरता दर्शाता है. सरकार द्वारा परिजनों की भावना -कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाए और निर्दोष कोई फंसे नहीं, का स्वागत किया जाना व उचित एवं अधिकतम सरकारी मुआवजा तथा अन्य सरकारी लाभ पर भी जल्द निर्णय लेने की बात कहा जाना दर्शाता है कि राज्य के प्रशासनिक व्यवस्था में स्वस्थ बदलाव हो रहे है.