कोरोना वैक्सीन के सहारे सहयोगियों को मदद पहुँचाती मोदी सरकार, प्राइवेट अस्पतालों की तय कीमतें से हुआ पुख्ता

35,000 करोड़ के बजटीय प्रावधान के बावजूद महामारी में केंद्र ने मद से खर्च किये महज 12.87 % राशि. वहीं वैक्सीन के नाम पर कंपनियों ने राज्यों से कमाये अरबों रुपये 

प्राइवेट अस्पतालों को 25% वैक्सीन डोज देने से देश का 25% आबादी इन पर निर्भर 

रांची: राज्यों को निःशुल्क वैक्सीन देने के निर्णय के साथ ही, मोदी सरकार ने प्राइवेट हॉस्पिटल के हित में अहम निर्णय लिया है. पीएम ने घोषणा किया कि देश में बन रही वैक्सीन का 25% हिस्सा प्राइवेट अस्पताल सीधे तौर पर ले पाने की व्यवस्था जारी रहेगी. पीएम ने कहा है कि प्राइवेट हॉस्पिटल, वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज पर अधिकतम 150 रुपये ही सर्विस चार्ज ले सकेंगे.

केंद्र सरकार दावा कर रही है कि इस पहल से प्राइवेट हॉस्पिटल की मनमानी पर रोक लगेगी. लेकिन पीएम ने निःशुल्क वैक्सीन देने की घोषणा करते वक़्त मामले में कुछ नहीं कहना संदेह पैदा करता है. ज्ञात हो, घोषण करते वक़्त यह नहीं बताया गया था कि प्राइवेट हॉस्पिटल वैक्सीन का कितना चार्ज लेंगे. लेकिन निजी अस्पतालों का वैक्सीन का दर तय किये जाने पर मामला प्रकाश में आया.

यह पुख्ता करता है कि मोदी सरकार एक बार फिर प्राइवेट हॉस्पिटल के बहाने अपने सहयोगियों को मदद पहुंचाने का काम कर रही है. क्योंकि इस फैसले से देश का 25% जनसंख्या वैक्सीन के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल पर ही आश्रित होगी. वहीं वैक्सीन का दर महामारी से जूझ रहे सामान्य जनता पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालेगी. 

जानिए, प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन की तय कीमतें 

केंद्र के घोषणा के बाद ही प्राइवेट अस्पतालों ने कोरोना वैक्सीतन की कीमत तय कर दी है. इसके तहत प्राइवेट हॉस्पिटल कोविशील्ड  के लिए 780 रुपये और कोवैक्सिन की कीमत 1,410 रुपये तय की गई है. जबकि स्पूतनिक – V के लिए 1,145 रुपये की कीमत फिक्स किया गया है. को-विन पोर्टल पर कोरोना वैक्सीन का रेट अपडेट किया जाएगा.

वैक्सीनकीमतब्रेक-अप
कोविशील्ड780 रुपये600 रुपये वैक्सीन +5 % जीएसटी + सर्विस चार्ज 150 रुपये
कोवैक्सिन1410 रुपये1200 रुपये वैक्सीन + 60 रुपये जीएसटी + सर्विस चार्ज 150 रुपये
स्पूतनिक – V 1145 रुपये948 रुपये वैक्सीन + 47 रुपये जीएसटी + 150 रुपये सर्विस चार्ज

35,000 करोड़ के बजटीय प्रावधान होने के बावजूद वैक्सीन के नाम पर राज्य सरकारों से ली गयी बड़ी राशि से पड़ा है राज्यों परे अतिरिक्त बोझ

ज्ञात हो, कोरोना महामारी से लड़ाई के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में केंद्र सरकार ने बजट में वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. इसके बावजूद बीते 7 अप्रैल से लेकर 7 जून तक वैक्सीन आपूर्ति करने के नाम पर, केवल दो कंपनी सीरम इस्टस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने राज्यों से अरबों रूपये की वसूली की है. गैर बीजेपी शासित राज्य, खासकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मोदी सरकार की इस मनमानी नीति पर सवाल उठाते रहे हैं. उनका कहना है कि जब बजटीय प्रावधान में 35,000 करोड़ का प्रावधान केवल वैक्सीन के लिए किया गया है, तो आखिर क्यों इस आपदा की घड़ी में वैक्सीन के नाम पर राज्यों पर अतिरिक्त बोझ डाला गया. 

आश्चर्य, पिछले 35,000 करोड़ के मद से तीन माह में केवल 4488 करोड़ (12.87 प्रतिशत) ही खर्च कर पायी मोदी सरकार

एक आरटीआई जवाब में खुलासा हुआ है कि केंद्र सरकार ने टीके खरीद के 35,000 करोड़ रुपये के बजट में से सिर्फ 4,488.75 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को पेश बजट में कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के लिए 35,000 करोड़ रुपये के प्रावधान की घोषणा की थी. आरटीआई के जवाब में सामने आया है कि वैक्सीनेशन के बजटीय प्रावधान का 13 % से कम पैसा ही खर्च हो पाया है. अभी 87.18 प्रतिशत शेष राशि खर्च नहीं किया गया है. ऐसे में राज्यों से वैक्सीन के नाम अतिरिक्त बोझ डालना सवाल खड़े करते हैं.

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