PM Address To Nation: तालाबंदी की विफलता में झूठ व जुमले की अर्थहीन तुकबन्‍दी

तालाबंदी के बीच प्रधानमंत्री ने 12 मई को छठा संबोधन (PM Address To Nation) दिया। भाषण में, जनता के लिए कुछ भी ठोस और प्रभावी नहीं था। पहले ताली-थाली, दीया-बाती, फूल-पत्तियां जैसे कीवर्ड थे। इस बार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के शब्दों में पोलिश ‘आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था’ मुख्य कीवर्ड है।

अनियोजित लॉकडाउन ने लोगों को भुखमरी में धकेल दिया

अनियोजित लॉकडाउन ने देश भर में लाखों लोगों को भुखमरी और असहायता की ओर धकेल दिया है। व्यापक परीक्षण, लॉकडाउ और उपचार की कमी ने उन्हें संक्रमण के प्रति असहाय बना दिया है। जिसके कारण तालाबंदी का उद्देश्य पूरी तरह से हार गया है।

PM Address To Nation तालाबंदी

लाखों प्रवासी श्रमिक अपने जीवन को जोखिम में डालकर सड़कों को पैदल ही नाप रहे हैं, लेकिन मोदी जी (PM Address To Nation) के “आत्मनिर्भरता” के परिभाषा में वह नहीं थे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि तालाबंदी के पूरे उद्देश्य को केंद्र ने अर्थहीन बना दिया है। 

PM Address To Nation : मोदी सरकार हारे योद्धा की तरह दिखी 

भारत में कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी को सामने आया था, लेकिन सरकार ने एक योजनारहित तालाबंदी को छोड़कर अन्य कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। कोरोना संकट में मोदी सरकार की स्थिति हारे योद्धा की तरह प्रतीत होती है।

इस समय केंद्र सरकार पर पूरे पूँजीपति वर्ग का दबाव है कि वह लॉकडाउन उठा दे। क्योंकि मूल्य श्रम से उत्पन्न होता है। यदि श्रम प्रक्रिया और उत्पादन दोनों ही रुक जाता है, तो न तो नया मूल्य निर्धारण होगा और न ही अधिशेष मूल्य। जिसके मायने लाभ कमाना असंभव है।

तालाबंदी से संकट को नियंत्रित करना चाहता था केंद्र

केंद्र सरकार केवल तालाबंदी के साथ कोरोना को नियंत्रित करना चाहता था! विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुभव के दौरान, दुनिया के सभी वैज्ञानिकों ने संकेत दिया था कि ताला लगाना एकमात्र समाधान नहीं है। 

इसे पूरी तैयारी और योजना के साथ लागू किया जाना चाहिए था। और इस समय के दौरान, परीक्षण और उपचार बड़े पैमाने पर आयोजित किए जाने चाहिए थे। लेकिन, राज्यों के मुख्यमंत्री किट की मदद मांगते रहे – नहीं मिला।

विश्व अनुभव ने पहले ही दिखाया है कि यदि लॉकडाउन के समय व्यापक परीक्षण, संगरोध और उपचार नहीं किया जाता है। तो यह कोरोना संक्रमण के प्रसार की दर में अंतर नहीं किया जा सकता है, बस इससे उसे फैलने में देरी हो सकती है।

कथित आंकड़ों के अनुसार, भारत में कोरोना के 74,281 मामले सामने हैं और 2,415 लोगों की मौत हो चुकी है। वास्तविक संख्या के बारे में कोई सुराग नहीं है। अनियोजित तालाबंदी के कारण दुर्घटनाओं और भुखमरी से मरने वालों की संख्या अलग है। 

पूँजीपति वर्ग मंदी से त्रस्त है

अब, लॉकडाउन के लगभग 50 दिन बीत चुके हैं, केंद्र समझ नहीं पा रहा कि वह क्या करे। पूँजीपति वर्ग मंदी से त्रस्त हो चुका है। ऐसी स्थिति में, दबाव में विस्तृत परीक्षण और उपचार के बिना, एक बार फिर लॉकडाउन से बाहर निकलने का एक अनियोजित प्रयास भर था, 12 मई का  संबोधन’।

मोदी के संबोधन ने कई सवालों को जन्म दिया है। अगर ‘वायरस के साथ जीना सीखना’ था, तो फिर लॉकडाउन क्या था? फिर गरीब लोगों पर अनियोजित तालाबंदी क्यों की गई? जब अंत में उन्हें व्यापक परीक्षण के बिना असुरक्षित छोड़ना ही था, तो इतना तामझाम क्यों?

PM Address To Nation तालाबंदी

इस अनियोजित बंदी ने पहले से चल रहे आर्थिक संकट को और गहरा कर दिया है। वैश्विक एजेंसियाँ भारत की आर्थिक विकास दर शून्य से नीचे जाने की उम्मीद कर रही हैं। आर्थिक विकास दर लाभ की सही दर को नहीं दर्शाती है, लेकिन यह लाभ की दर का प्रतिबिंब ज़रुर है। मसलन, कोविद -19 संकट ने आर्थिक संकट को तबाही में बदल दिया है।

PM Address To Nation :  conclusion – अंत में,

परिणामस्वरूप, पूंजीपति वर्ग किसी भी कीमत पर उत्पादन शुरू करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव डाल रही है। यही कारण है कि सभी श्रम कानूनों को संशोधन करने के प्रयास हो रहे हैं। आदेश को असंवैधानिक बनाकर न केवल श्रमिकों के श्रम अधिकारों, बल्कि मानव अधिकारों पर भी हमला करने की तैयारी चल रही है।

हालाँकि, इस बार भी प्रधानमंत्री ने ‘खाया-पिया कुछ नहीं, गिलास तोड़ा बारह आना’। और हरजाना, लोगों से भरवाने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। अपनी विफलता को छिपाने के लिए, भाषण में 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है। पिछले सभी पैकेजों की तरह, इस बार भी  पैकेज बिचौलियों को फायदा पहुंचाने वाला है, क्योंकि साहेब ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इससे जनता के साथ-साथ कॉरपोरेट घरानों, मध्यम पूंजीवादी वर्ग, व्यापारी वर्ग सभी को राहत मिलेगी।

क्योंकि, सार्वजनिक वितरण प्रणाली से भोजन राशन और सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रणाली की सुविधा प्रदान किए बिना, किसी भी राहत पैकेज की बात केवल जुमला ही हो सकती है। आत्मनिर्भरता (PM Address To Nation) के नाम पर तालाबंदी में एक बार फिर जुमलेबाजी की गई है। मोदी सरकार के पुराने ट्रैक रिकॉर्ड को देखकर कोई भी अनुमान लगा सकता है।

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