पत्थलगड़ी आंदोलनकारियों के बाद अब जेलों में बंद पारा शिक्षकों को मिलेगा राहत

हेमंत का न्याय, पत्थलगड़ी आंदोलनकारियों के बाद अब जेलों में बंद पारा शिक्षकों को राहत

राँची : रघुवर जुल्म का एक अध्याय अब भी पारा शिक्षक के रूप जेलों में बंद है। झारखंड की हेमंत सरकार द्वारा जेलों में बंद उन शिक्षकों की सुध लेना फिर एक बार सिद्ध कर सकता है कि हेमंत की सरकार झारखंडी मानसिकता की सरकार है। झारखंडी जनता की सरकार है। 

पहले भी सरकार राज्य के दबे-कुचले लोगों के लिए कई योजनायें लाई है। जिसका लाभ झारखंडी जनता को संकट काल में भी लगातार मिला है। लेकिन, मुख्यमंत्री की नजर पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के जुल्मों का दंश झेल रहे लोगों पर होना और उन्हें न्याय दिलाने की उनकी कवायद, निस्संदेह दर्शाता है कि उनके हृदय में अपने झारखंडी भाइयो-बहनों के प्रति अपार स्नेह है।

सीएम का मानना है कि ऐसे लोगों को पहले न्याय मिलना जरूरी है, जो निर्दोष होते हुए सजा भुगतने को मजबूर हैं। ज्ञात हो कि पत्थलगड़ी प्रकरण में आन्दोलनकारियों पर दर्ज मामले वापस लेने, आजीवन कारावास की सजा काटने वाले 139 कैदियों की रिहाई और बुजुर्ग कैदियों के लिए पेंशन शुरू करने का निर्देश सीएम ने पहले ही दिया है। और अब इस सरकार द्वारा पारा शिक्षकों पर दर्ज मुक़द्दमों को वापस लेने की पहल झारखंडियत मानसिकता का एक सटीक उदाहरण पेश करता है। 

पत्थलगड़ी प्रकरण में दर्ज मामलों को वापस लेने से नामजद 172 आरोपियों समेत हजारों बेकसूर लोगों को मिली राहत

पारा शिक्षकों

ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद चंद घंटों में हेमंत सोरेन ने पहली कैबिनेट की बैठक बुलाकर कई अहम फैसले लिये थे। इस बैठक में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) एवं संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी एक्ट) में संशोधन के विरोध में हुए पत्थलगड़ी आन्दोलन में, जिन आन्दोलनकारियों को मुकदमे दर्ज कर जेलों में बंद किया गया था, उनकी रिहाई के लिए दर्ज केस को वापस लेने के फैसले लिए गए थे। 

बता दें कि तत्कालीन बीजेपी सरकार में झारखंडियों के हक अधिकार के लड़ाई (पत्थलगड़ी) को अलगाववाद के पहलुओं से जोड़ते हुए 19 मामलों में राजद्रोह की धाराओं के तह मुकदमे दर्ज हुए थे। हेमंत सरकार के फैसले ने आंदोलन से जुड़े कुल 172 नामजद आरोपियों समेत हज़ारों लोगों को सीधी राहत प्रदान किया है। इससे पूरे राज्य में सीधा संदेश गया था कि हेमंत सरकार आदिवासी-मूलवासी समेत तमाम झारखंडियों के अधिकारों के लिए हर मोर्चे पर मज़बूती से खड़ा रहेगी। 

आजीवन सजा काट रहे 139 कैदियों के रिहाई का फैसला 

इसी वर्ष के 19 जून को ‘झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण परिषद’ की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री श्री सोरेन के सहमति व निर्देशन पर 139 कैदियों के रिहाई संभव हुई। सभी बंदी आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। ये तमाम बंदी हत्या के जुर्म में 14 साल की सजा की मियाद पूरी कर चुके थे और आजीवन कारावास की सजा काटने को मजबूर थे। इस दरम्यान उनका आचरण भी जेल में बेहतर रहा था।

सीएम का मानना है कि रिहा होने बाद सभी कैदी नए सिरे से अपनी जिंदगी को शुरू कर सकते हैं। और  देश, राज्य, समाज और अपने परिवार के प्रति ज़िम्मेदारियों का निर्वहन अब भी कर सकते हैं। 

हेमंत सरकार में बुजुर्ग कैदियों को पेंशन देने की पहल

बीते 18 जुलाई को सीएम ने राज्य में बुजुर्ग बंदियों को पेंशन देने की बात कहीं। उन्होंने इस बाबत संबंधित अधिकारियों को राज्य की विभिन्न जेलों में बंद वृद्ध कैदियों को पेंशन योजना से जोड़ने की दिशा में नीति निर्माण करने को निर्देश दिये थे। 

सीएम व सरकार का मानना है कि इस नीति से वृद्धावस्था में उन्हें व उनके आश्रितों को आर्थिक मदद मिल सकेगी। इसके अलावा सीएम ने जेलों में बंद अनुसूचित जाति और जनजाति बंदियों के अपराध प्रकृति की भी सूची तैयार करने का निर्देश दिया था,  जिससे सरकार उनके लिए भी कुछ कर सके।

500 पारा शिक्षकों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की तैयारी, इस सम्बन्ध में शिक्षा मंत्री ने भी मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

पारा शिक्षकों

चर्चा है कि, पिछले सरकार में आंदोलनरत पारा शिक्षकों पर दर्ज मुक़दमे इस सरकार में वापस लिए जा सकते हैं। इस संदर्भ में शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने सीएम हेमंत सोरेन को पत्र भी लिखा है। ख़बर है कि झारखंडी मानसिकता से ताल्लुक रखने वाली हेमंत सरकार शिक्षा मंत्री के सुझाओं पर प्रमुखता से विचार कर रही है। सरकार द्वारा यह फैसला लिए जाने पर राज्य के करीब 500 पारा शिक्षकों को सीधा फायदा होगा। 

ज्ञात हो कि वर्ष 2018 में राज्य के पारा शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर शानदार आंदोलन किया था। पूर्ववर्ती तानाशाही रघुवर सरकार ने उन्हें उनका हक देने के बजाय 792 पारा शिक्षकों पर मुकदमा दर्ज कर दिया था। जिसमे राँची के 36 महिला पारा शिक्षक समेत 292 और राज्य भर में करीब 500 अतिरिक्त पारा शिक्षकों पर मामले दर्ज हुए थे। पारा शिक्षक संघ के कई जुझारू नेता जेल गये थे। आंदोलन समाप्त होने के बावजूद वे कचहरी के जटिलताओं में अब तक उलझे हैं। ऐसे में निस्संदेह हेमंत सरकार का यह ऐतिहासिक कदम उन्हें कई परेशानियों से मुक्ति देगा ।

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