राष्ट्रीय खेल दिवस का डोर देश के सम्मान व आपसी प्रेम से जुड़ा 

राष्ट्रीय खेल दिवस का डोर देश के सम्मान, स्वास्थ व सामाजिक प्रेम से जुड़ा है. भले ही मोदी सत्ता में खिलाड़ियों के दुर्दशा के आसरे खेल भावना को धूमिल करने का प्रयास हुआ, लेकिन सीएम हेमन्त ने झारखण्ड में इस डोर को मज़बूती दी है.

रांची : भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस 29 अगस्त, महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है. ध्यानचंद “हॉकी के जादूगर” थे. उन्होंने भारत को 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक दिलाया. राष्ट्रीय खेल दिवस देश में खेलों और खिलाड़ियों के महत्व को समझने में प्रोत्साहित करता है. देश में खेल से संबंधित उत्कृष्ट खिलाड़ियों को राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार व ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है. 

राष्ट्रीय खेल दिवस का डोर देश के सम्मान व आपसी प्रेम से जुड़ा 

राष्ट्रीय खेल दिवस का उदेश्य न केवल खेलों को देश के सम्मान से जोड़ने भर का है, स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने और समाज में आपसी प्रेम सम्बन्ध को प्रगाढ़ करने के लिए प्रेरित करना भी है. लेकिन, वर्तमान की मोदी सरकार में हो रहे खिलाड़ियों की दुर्दशा के अक्स में न केवल खेल भावना धूमिल हुई है, आपसी  सामाजिक प्रेम के ताना-बाना को भी तोड़ने का प्रयास हुआ है. लेकिन वहीं झारखण्ड की हेमन्त सरकार में खेल और खिलाड़ियों को बुनियादी स्तर पर प्राथमिकता मिली है.   

22 वर्षों के बाद झारखण्ड को मिला sports policy (खेल नीति -2022) 

सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में झारखण्ड राज्य को तकरीबन 22 वर्षों के बाद खेल नीति -2022 मिला है. ज्ञात हो, सीएम के द्वारा यह कदम राज्य के युवाओं में खेल भावना को देखते हुए उठाया गया है. जिसके अक्स में खेल गतिविधियों के ग्राफ में जबरदस्त उठान देखा गया. और देश को भी सम्मान मिला. यह खेल नीति राज्य के खिलाड़ियों, कोच, प्रशिक्षकों, खेल सम्बंधित उद्योग, पर्यटन के प्रति समर्पित तो है ही, राज्य वासियों के स्वास्थ और सामाजिक प्रेम को मजबूती देने का भी मादा रखता है.  

इस नीति के तहत राज्य में पंचायत, प्रखंड और शहर के स्तर पर स्टेडियम और राज्य स्तर पर खेल यूनिवर्सिटी बनाए जा रहे हैं. खले के क्षेत्र में नियुक्तियां हो रही है.  राज्य के बेटे-बेटियों को खले शिक्षा से जोड़ने का प्रयास हुआ है. राज्य में पंचायत स्तर से लेकर राज्य स्तर कर खेल प्रतियोगिताएं आयोजित हो रहे हैं. साथ ही, राज्य के खिलाड़ियों को अनुभव व आत्मविश्वास को मजबूती देने के दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर भी खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन लगातार हो रहे हैं. 

 झारखण्ड प्रदेश प्रकृति पूजक ही नहीं खेल प्रेमी भी

भारत देश में झारखण्ड प्रदेश केवल प्रकृति पूजक के रूप ही नहीं जाना जाता, खेल प्रेमियों के प्रदेश के रूप में भी जाना जाता है. ज्ञात हो, पूर्व की सामन्ती सत्ताओं के शाजिसों के बावजूद इस प्रदेश के नसों में खेल व कला प्रेम का विचरण मंद नहीं पड़ा. इसकी पुष्टि झारखण्ड के मौजूदा सीएम हेमन्त सोरेन के कार्यप्रणालीमें दिखा है. ज्ञात होई, हेमन्त सोरेन सीएम बनते ही राज्य में खेल-खिलाड़ियों की न केवल सूद ली. मूलवासियों के हित में खेल व्यवस्था को बुनियादी स्तर तक पहुंचा बी रहे हैं. 

जिसके अक्स में राज्य के युवाओं में दबी खेल भावना ने फिर से नई अंगड़ाई ली है. यही नहीं सीएम हेमन्त ने खेल के माध्यम से राज्य में नक्सल जैसी समस्या का हल निकालने का प्रयास किया है. ज्ञात हो, पूर्व की सरकारों के नीतियों के अक्स में राज्य के कई जिलों में नक्सल समस्या गहराई है. लेकिन, हेमन्त सरकार ने सहाय योजना के माध्यम से नक्सल क्षेत्रों में युवाओं के भटकाव को रोकने में सफलता पाई है. इन क्षत्रों में युवा अब बंधुक नहीं खेल को गले से लगा रहे है.

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