मुख्यमन्त्री ने मंदिर मुद्दे पर कहा कि खामखां जान देने की जरूरत नहीं है. सरकार की इस पर नजर है. पंडा समाज की हमें भी चिंता है
सत्र के दौरान मजेदार पल भी होते है. ज्ञात हो, कल ही मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने मंत्री बन्ना गुप्ता के आवेदन को स्वीकार किया था. पंडों की समस्या को देखते हुए उन्होंने आश्वासन दिया था कि, वह मंदिरों को खुलवाने हेतु फैसला लेंगे. ऐसे में मंदिर का मुद्दा हो और भाजपा पीछे रह जाए -असंभव है. मसलन, इस मुद्दे पर भाजपा नेताओं द्वारा सवाल सदन के पटल पर रखा गया. दरअसल भाजपा नेता का अंतिम मुद्दा बंद मंदिर व पंडा समाज की हालत की दुहाई रह गया था. भाजपा विधायक ने नौटंकी में यहाँ तक कह दिया कि वह आमरण अनशन करने जा रहे हैं.
वासुकी नाथ सहित तमाम मंदिर खोलने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने भाजपा नेता को करारा जवाब देते हुए कहा कि मंदिर की चिंता केवल भाजपाइयों को नहीं, राज्य सरकार को भी है. दरअसल, भाजपा नेता परिस्थिति से उत्पन्न ऐसे सामाजिक मुद्दों के आड़ भर में सरकार को घेरना चाहती थी. लेकिन मुख्यमन्त्री के जवाब ने भाजपाइयों के चेहरे से मुखौटा एक बार फिर उतार दिया. और उनसे इस मामले में आगे और कुछ कहते नहीं बना.
हमें भी है पंडा समाज की भी चिंता – मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन
मुख्यमन्त्री ने मंदिर मुद्दे पर कहा कि खामखां जान देने की जरूरत नहीं है. सरकार की इस पर नजर है. पंडा समाज की हमें भी चिंता है. भगवान पर हमारी भी आस्था है. जल्दी ही आपदा प्रबंधन विभाग से बैठककर इस संबंध में निर्णय लिया जायेगा कि किस किस जिले में हम और क्या-क्या छूट दे सकते हैं. मुख्यमन्त्री का जवाब साबित करती है कि धर्म और मंदिर भाजपा की बपौती नहीं है. और जीवन रक्षा के मद्देनजर समझ-बूझ के आधार पर ही फैसले लिए जाने चाहिए.
अभी भी संक्रामक वायरस के नये-नये वैरियेंट आ रहे हैं सामने
मुख्यमन्त्री ने सदन में कहा कि मंदिर, मस्जिद क्यों बंद हैं? उद्योग धंधे क्यों बंद है? हम सब अपने अपने अपने घरों में क्यों बंद हुए? यह बतलाने की आवश्यकता नहीं है. दुनिया एक वैश्विक महामारी से गुजर रही है. अभी भी संक्रामक वायरस के नये-नये वैरियेंट आ रहे हैं. लेकिन इसके बीच जीवन सामान्य करने की कोशिश की जा रही है. मुख्यमन्त्री ने कहा कि कई चीजें खुली है. लोग भूख से न मरे इसके लिए भी हमलोगों ने रोजगार के रास्ते खोले हैं. जब सबकुछ बंद था तब भी राज्य ने खुद खाना बनवाकर लोगों को खिलाने का काम किया है.
मसलन, मुख्यमन्त्री ने एक कड़वी हकीकत की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि इनके समय में तो सामान्य दिनों में भी लोग राशन कार्ड लेकर लाइन में ही मर जाते थें. भाजपाई शायद इस कड़वी हकीकत को स्वीकार न कर सकें. पर यह सवाल तो उनके समक्ष हमेशा उठेगा.