झारखण्ड राज्य में अवैध जमीन हस्तांतरण मामले की जांच हेतु मुख्यमन्त्री विधानसभा की समिति चाहते हैं, लेकिन बाहरियों की बैसाखी पर खड़ी भाजपा इस मुद्दे पर चुप
रांची : राज्य में सीएनटी – एसपीटी जैसे कड़े कानूनों के रहते हुए भी आदिवासी मूलवासियों की लूट जारी रही है. शहरों में आदिवासियों की जमीने अब बहुत कम बची हैं. आदिवासी मूलवासी लगातार इसके खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. पूर्व की भाजपा सरकारों ने इस पर राजनीति तो खूब की पर बाहरियों की बैसाखी पर खड़ी भाजपा आदिवासी मूलवासियों की जमीन वापस लौटाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा पायी. अब मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन ने सदन में मामले को गंभीरता से उठाया है.
सड़कों के किनारें आदिवासियों की जमीने अब नहीं बची है -प्रदीप यादव
दरअसल, विधानसभा में चर्चा के दौरान राज्य में जमीन का अवैध हस्तांतरण का मुद्दा भी उठा. स्टीफन मरांडी, लोबिन हेम्ब्रम और प्रदीप यादव द्वारा इस मुद्दे को उठाया गया. स्टीफन मरांडी ने कहा कि जमीन का अवैध हस्तांतरण धड़ल्ले से जारी है. इंदर सिंह नामधारी के समय में एक स्टडी कमेटी बनी थी जिसमें काफी बातें सामने आई थी. लोबिन हेम्ब्रम का कहना है कि यह राज्य आदिवासी मूलवासी को बचाने के लिए बना था और आज उसकी जमीनों पर कब्जा हो रहा है. प्रदीप यादव ने कहा कि सड़कों के किनारें आदिवासियों की जमीने अब नहीं बची है.
राज्य की आदिवासी मूलवासी जनता के जमीन हस्तांतरण से जुड़े सवालों भाजपा क्यों है चुप?
इस मामले में जवाब देते हुए मुख्यमन्त्री ने कहा कि राज्य में जमीन हस्तांतरण की जानकारी सरकार को है. उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मामला है. उन्होंने कहा कि इस मामले पर विधानसभा की जांच कमेटी बननी चाहिए. मुख्यमन्त्री ने अपने जवाब में जता दिया है कि सरकार जमीन हस्तांतरण से जुड़े मामले को गंभीरता से ले रही है और इस पर निकट भविष्य में कार्रवाई भी होगी.
मुख्यमन्त्री ने यह भी कहा कि जमीन हस्तांतरण के प्रावधान है, लेकिन प्रावधानों का उल्लंघन कर भी लोग जमीन के अवैध हस्तांतरण कर रहे हैं. मुख्यमन्त्री के इस बयान के बाद अब राज्य की मूल जनता को उम्मीद है कि उनके साथ न्याय होगा. पर राज्य की आदिवासी मूलवासी जनता से जुड़े इन सवालों पर भाजपा नेताओं की चुप्पी उनके इरादों की पोल खोलती नजर आती है.