मुख्यमंत्री : राज्य सरकार पिछड़ों के आरक्षण के पक्ष में है, केंद्र को भेजेंगे प्रस्ताव  

भाजपा सदन में पिछड़ों के आरक्षण मुद्दे की खीज उतारी किसान मुद्दे पर. राज्य सरकार आंदोलनरत किसान के समस्याओं पर प्रस्ताव भेजना चाहते हैं केंद्र.

  • मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पिछड़ों के आरक्षण के पक्ष में खड़े, प्रस्ताव पारित कर भेजेंगे केंद्र 
  • देश के पालनहार, आंदोलनरत किसान के समस्याओं पर प्रस्ताव केंद्र को चाहते हैं भेजना
  • मुख्यमंत्री ने इन मुद्दों पर देशहित में, राज्यहित में वर्ग हित में आगे आने के लिए सभी राज्य सरकार का किया आह्वान 
  • नियोजन नीति, स्थानीय नीति – रोजगार सभी इसी कार्यकाल में लायेंगे मुख्यमंत्री  

मोदी सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार के मद्देनजर, गर्व से गिनाया गया, कहा गया कि बड़ा ऐतिहासिक बदलाव हुआ है. 27 ओबीसी को मंत्री बनाया गया हैं. बाकायदा पोस्टर, शहर दर शहर चस्पां हुए. पोस्टर-होर्डिंग में इसके लिए धन्यवाद मोदी जी लिखा गया. मोदी सत्ता में जब ओबीसी मंत्री गिने जा सकते हैं तो देश में कुल ओबीसी की संख्या क्यों नहीं गिनी जा सकती है. जब सांप्रदायिक राजनीति के लिए दूसरे धर्म की आबादी बताई जा सकती है तो उसी राजनीति के लिए जाति की संख्या क्यों नहीं मालूम की जानी चाहिए. जब मंत्री बनाने में जाति देखी जाती है तो फिर जाति की संख्या का गणना क्यों जरुर होनी चाहिए. 

राज्य सरकार पिछड़ों के आरक्षण के पक्ष में

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने मानसून सत्र के दौरान ओबीसी मुद्दे को मजबूती से उठाया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पिछड़ों के आरक्षण के पक्ष में है. और इस पक्ष में भी है कि इसका प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाना चाहिए. तथा देश हित में, राज्य हित में, वर्ग हित में राज्य सरकारों को भी इस पर पहल करना चाहिए. विधायिका के मंदिर, विधानसभा में इसपर चर्चा होनी चाहिए. हमलोग सहमत हैं. पिछड़ों को आरक्षण देने के लिए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाना चाहिए. 

आंदोलनरत किसानों के मुद्दे पर प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार भेजना चाहती है केंद्र

मुख्यमंत्री ने ज्यों ही कहा कि देश के पालनहार किसान जो लगभग साल भर से सड़कों पर है. उनके मुद्दों पर भी, क़ानून के रूप में प्रस्ताव पारित कर केंद्र की मोदी सरकार को भेजा जाना चाहिए, त्योंही भाजपा विधायक, केंद्र की मोदी सरकार के बचाव में शोर मचाने लगी. हालांकि, पिछड़ों के आरक्षण की बात भी भाजपा विचारधारा को चुभ रही थी. लेकिन मुखौटा राजनीति के अक्स में वह तिलमिला कर रह गयी. लेकिन, जैसे ही किसान का सन्दर्भ सदन में उठा उन्हें खीज निकालने का मौका मिल गया. 

नियोजन नीति, स्थानीय नीति – रोजगार सभी इसी कार्यकाल में लायेंगे मुख्यमंत्री  

हेमन्त सोरेन ने सदन को अवगत कराते हुए कहा कि जहाँ तक रोजगार की बात है, नियोजन नीति, स्थानीय नीति की बात है. सभी इसी कार्यकाल में आयेंगे. विपक्ष इसका साक्षी भी होगा और वह कुछ नहीं बोल पायेगा. मसलन, यह भाजपा मानसिकता के लिए गंभीर सवाल हो सकता है. सर्वविदित है कि झारखंड भाजपा के पास ज़मीनी मुद्दों का पहले से ही अभाव है. ऐसे में यदि हेमंत झारखण्ड की मूल समस्या के मद्देनजर तमाम विकल्पों की ओर बढ़ चली है, तो फिर राज्य में भाजपा की राजनीति का हश्र भविष्य में क्या होगा? 

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