महिला दिवस विशेष : वितीय वर्ष 2021-22 में योजनाओं के उपलब्धियां दर्शाती है कि हेमन्त सरकार में दलित, वंचित व महिलाएं (आधी आबादी) लाभान्वित हुए हैं. समाज में हासिये के छोर पर खड़े ऐसे वर्गों का आर्थिक, सामाजिक व मानसिक उत्थान संभव हुआ है, सशक्तिकरण हुआ है…
रांची/महिला दिवस विशेष : झारखण्ड समेत देश-दुनिया भर में 8 मार्च को ‘विश्व महिला दिवस’ अंतर्राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया गया. नारी सम्मान में कार्यक्रम आयोजित हुए. झारखण्ड में भी महिला सम्मान में महिला, बाल विकास व सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा कार्यक्रम आयोजित हुआ. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा पोषण अभियान में बेहतर कार्य करने वाली आंगनबाड़ी सेविका (दुमका की नूतन देवी एवं पश्चिमी सिंहभूम की रीता श्री पार्या) और कोविड संक्रमण काल में सराहनीय कार्य करने वाली दो महिलाओं (अमोला बास्की एवं जया बिरुली) को सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार महिलाओं के माध्यम से राज्य की तस्वीर बदलना चाहती है. हालांकि मुख्यमंत्री केवल ऐसे महिला अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय दिवस के अवसरों पर महिलाओं को सम्मानित कर महिला सशक्तिकरण के दिखावे पर भरोसा रखते. क्योंकि उनकी सरकार के 2 वर्षों के कार्यकाल में राज्य के सभी वर्गों के आधी आबादी के सम्मान में केन्द्रित 8 योजनायें, राज्य की महिलाओं का आर्थिक, सामाजिक व मानसिक उत्थान में मील का पत्थर साबित हुआ है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में इन योजनाओं की उपलब्धियों बताती है कि हेमन्त सरकार में दलित व वंचित वर्ग की महिलाएं स्वयं को जरुर सशक्त महसूस किया हैं.
हड़िया-दारु बेचने वाली 23675 महिलाओं को उपलब्ध कराया गया वैकल्पिक रोजगार
फूलो-झानों आशीर्वाद अभियान : हड़िया-दारु के निर्माण एवं बिक्री से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को चिन्हित कर इस योजना के माध्यम से उन्हें सम्मानजनक आजीविका के साधन प्रदान किया गया. सितम्बर 2020 से शुरू हुई इस योजना को दो चरणों में चलायी गई है. पहला – सितम्बर 2020 से 15 नवंबर 2021. और दूसरा – 15 नवंबर 2021 से 28 दिसम्बर 2021. दोनों चरणों में कुल 23675 (14243 और 9432) महिलाओं को रोजगार के वैकल्पिक सम्मानजनक आजीविका के साधन सरकार द्वारा उपलब्ध कराया गया. स्वरोजगार हेतु कुल 2272.6 लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया गया है.
75,558 सखी मंडलों को दिया गया है 208 करोड़ रुपये सामुदायिक निवेश निधि
झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी राज्य की ग्रामीण महिलाओं को परंपरागत काम में प्रोत्साहन हेतु हरसंभव सहायता कर रही हैं, ताकि इनका आर्थिक स्वावलंबन सुनिश्चित हो सके. ग्रामीण महिलाओं को सखी मंडल से जोड़कर सशक्त आजीविका उपलब्ध कराने का प्रयास हुआ है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 75,558 सखी मंडलों को कुल 208.69 करोड़ रुपये सामुहिक निवेश निधि उपलब्ध कराया गया है. यह राशि में तीन तरह के सखी मंडलों को दिया गया है –
- कुल 26569 सखी मंडलों को चक्रीय निधि के रूप में 15,000 प्रति सखी मंडल की दर से कुल 38.89 करोड़ रुपये.
- कुल 18956 सखी मंडलों को चक्रीय निधि के रूप में 50,000 प्रति सखी मंडल की दर से कुल 94.79 करोड रुपये.
- 30,006 सखी मंडलों को चक्रीय निधि के रूप में 25,000 प्रति सखी मंडल की दर से कुल 75.01 करोड़ रुपये.
आशा योजना से 24.58 लाख परिवारों को मिल रहा लाभ
आजीविका संवर्धन हुनर अभियान (आशा) के द्वारा राज्य की महिलाओं को कृषि आधारित आजीविका, वनोपज संग्रहण, पशुपालन, उद्यमिता समेत स्थानीय संसाधनों से जुड़े व्यवसायों को बढ़ावा दिया जा रहा है. इससे महिलाओं के स्वरोजगार के क्षेत्र में वृद्धि हो रही है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में 26 लाख अतिरिक्त परिवारों के लक्ष्य में से अबतक 24.58 लाख परिवारों को जोड़ा जा चुका है.
67,000 परिवारों को लाह की खेती से जोड़ा गया
महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के तहत 67,000 परिवारों के साथ लाह की खेती को बढ़ावा दिया गया है. लगभग 25,000 परिवार रेशम उत्पादन और अतिरिक्त 17,000 परिवार इमली प्रसंस्करण में संलिप्त है. कुल 2.5 लाख परिवारों को आजीविका के विभिन्न माध्यमों से जोड़ा गया है. इस मुहीम में भी महिला को बड़ी मात्रा मे जोड़ा गया है.
जानिये, महिला केंद्रित कुछ अन्य योजनाओं का हाल
- दीदी बाड़ी योजना के तहत मनरेगा और राज्य आजीविका मिशन (जेएसएलपीएस) के सहयोग से बड़े पैमाने में महिलाओं को जोड़ा गया है. वर्तमान में लगभग 2,84,035 दीदी बाड़ी योजना राज्य में सचालित है. इसमें ग्रामीण (विशेषकर महिलाएं) अपने बाड़ी (घर के आसपास) में परिवार के पोषण की आवश्यकतानुसार पौधा लगा सकते हैं.
- दीदी बागिया योजना में मनरेगा के तहत राज्य में विभिन्न प्रकार की नर्सरी स्थापित करने के लिए की गई है. राज्य में नर्सरी स्थापित करने के बाद लोगों को सस्ते दामों पर पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं, एवं बेरोजगार महिलाओं को नर्सरी में सहायक बनाया जा रहा है. दीदी बागिया की कुल 412 योजनाएं शुरू की गयी है.
- पलाश ब्रांड : राज्य की ग्रामीण महिलाओं के द्वारा निर्मित उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने एवं उनके श्रम का समुचित लाभ उन तक पहुंचाने के उद्देश्य से पलाश ब्रांड का शुभारंभ किया गया है. पलाश ब्रांड संग्रहण एवं पैकेजिंग कार्य में अब तक 10,000 से अधिक महिलाएं जुड़ी है. वहीं करीब 1.10 लाख महिलाएं पूरे राज्य में पलाश ब्रांड के विभिन्न कार्यों से जुड़ कर अपनी आजीविका को सशक्त बना रही हैं.
- डायन प्रथा से मुक्त करने और डायन बिसाही से चिन्हित महिलाओं को समाज की मुख्य धारा में जोड़ने के लिए गरिमा परियोजना वित्तीय वर्ष 2019-20 से 3 वर्षों के लिए शुरू की गयी है.
- सेतु शिक्षा पाठ्यक्रम राज्य के 17 जिलों में शुरू हो रहा है. इसके तहत स्कूल से दूर 8वीं से 10वीं तक की शिक्षा से 14 से 20 वर्ष की बालिकाओं को जोड़ने का लक्ष्य है.