जेटीडीएस : हेमन्त सरकार के प्रयास बदल रही है साहेबगंज के किसान धर्मेंद्र उरांव जैसों की जिंदगी

-जेटीडीएस से मिले प्रशिक्षण के बाद राज्य के किसान पलायन छोड़ अब गांव में ही उन्नत खेती कर बना रहे अपने जीवन को समृद्ध

रांची : हेमन्त सरकार के प्रयास से पलायन पर अंकुश लगाकर गांवों में ही किसानों की जिंदगी बदली जा रही है. इसका एक उदाहरण धर्मेंद्र उरांव हो सकते है. धर्मेंद्र उरांव, साहेबगंज के बोरियो प्रखंड के छोटा तेतरिया गांव के निवासी हैं. गांव में कृषि ही लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत है. लेकिन उपज अच्छी नहीं होने की स्थिति में ग्रामीण को काम की तलाश में बाहर पलायन करना मजबूरी थी. धर्मेंद्र उरांव भी कुछ साल पहले तक काम की तलाश में मैंगलोर जाया करते थें. लेकिन वहां उन्हे ना ढंग का काम मिलता और ना ही पैसे. अंतत: धर्मेंद्र ने गांव में ही रह कर खेती में हाथ आजमाने का फैसला लिया. 

जेटीडीएस के मदद से किसान समझ रहे हैं फसल चक्र का विज्ञान 

इसी दौरान धर्मेंद्र उरांव को झारखंड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसायटी (जेटीडीएस) के प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ने का अवसर मिला. जेटीडीएस की ओर से गांव में कृषि से संबंधित कई तरह के प्रशिक्षण लेने से धर्मेंद्र को खेती की उन्नत तकनीक को समझने का मौका मिला. जिससे उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई. धर्मेंद्र ने अपनी 2.3 एकड जमीन में अलग-अलग तरह के अनाज, दालें और सब्जियों की खेती की शुरुआत की. जेटीडीएस के विशेषज्ञों से मिले प्रशिक्षण और सहायता के बाद धर्मेंद्र को खेती में आशातीत सफलता मिली. 

धर्मेंद्र उरांव कहते हैं कि अब मैं साल भर अपनी परिवार की जरूरत का अनाज, दाल व सब्जियां उपजा पाता हूं. और हर सीजन में अतिरिक्त फसल को बाजार में बेचकर 15,000 से 20,000 की कमाई भी कर लेता हूँ. धर्मेंद्र अब खेती में नये प्रयोग भी कर पा रहे हैं. आर्गेनिक खेती की विधियां, क्रमबद्ध तरीके से बुवाई, एक फसल के बीच में दूसरी फसल लगाने और फसल चक्र को समझने से उन्हें काफी फायदा हुआ है. 

सरकार ग्रामीणों की जिंदगी में आमूलचूल परिवर्तन लाने में हो रही है सफल 

धर्मेंद्र ने चार डिसमिल जमीन पर एक छोटी पोषण वाटिका भी लगाई है. यहां पर वे आर्गेनिक विधि से सब्जियों की खेती कर रहे हैं. इसके उसे अच्छे परिणाम मिल रहे हैं. इस काम में उनके माता-पिता भी सहयोग करते हैं. धर्मेंद्र के परिवार की सिर्फ माली हालत ही नहीं सेहत में भी सुधार आया है. उनका कहना है कि यह अच्छे और पोषणयुक्त भोजन की उपलब्धता से ही संभव हो पाया है. उन्होंने इसके लिए सरकार की एजेंसी जेटीडीएस से मिले प्रशिक्षण को श्रेय दिया. 

धर्मेंद्र अब कृषि के साथ मुर्गी पालन और सूकर पालन की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं. उन्हें अब इतनी आय हो पाती है जिससे वह अपनी बेटी की शिक्षा के लिए बचत कर पाते हैं. जेटीडीएस के माध्यम से सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की जिंदगी में आमूलचूल परिवर्तन लाने में सफल हो रही है.

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