झारखण्ड : अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर

झारखण्ड : हेमन्त सत्ता में “मेक इन झारखंड” (परचेज प्रेफरेंस) पॉलिसी- 2023 के तरफ बढ़ा. देश में पहली बार अनुसूचित जाति व जनजाति के एंटरप्रेन्योर्स के लिए पृथक इंडस्ट्रियल कॉरिडोर.

रांची : सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में झारखण्ड में “मेक इन झारखंड” (परचेज प्रेफरेंस) पॉलिसी- 2023 के तहत छोटे उद्योगों के बढ़ावा के लिए संविधानयुक्त कई बेहतरीन प्रावधान सुसंगत किये गए है. देश के इतिहास में पहली बार इंडस्ट्रियल सेक्टर में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के एंटरप्रेन्योर्स को प्राथमिकता दिया गया है. ज्ञात हो, बीजेपी शासनों के मनुवाद विचार के अक्स में एससी और एसटी की अनदेखी देश भर में हुई है, इन्हें पूरी तरह से नकारने का सच सामने है.

झारखण्ड : अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर

“मेक इन झारखंड” पॉलिसी- 2023 की समीक्षा के दौरान सीएम के द्वारा स्पष्ट कहा गया कि इस पॉलिसी के तहत अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के एंटरप्रेन्योर्स के लिए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाया जाए. जहां बिजली-पानी-सड़क जैसी सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हों. ताकि इन वर्गों के एंटरप्रेन्योर्स को बढ़ावा मिले. और महिलाएं भी उद्योग लगाने के प्रति आकर्षित हों, उन्हें होटल, रेस्टोरेंट, स्कूल ,अस्पताल आदि खोलने हेतु जमीन व अन्य सुविधाएं भी मुहैया हों.

अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए इंडस्ट्रियल कॉरिडोरों के फायदे

इंडस्ट्रियल कॉरिडोर ऐसे विनियोजित क्षेत्र होते हैं जो उद्योगिक विकास और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देते हैं. ऐसे में यह कॉरिडोर अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों के उद्यमिता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कई लाभ प्रदान करेंगे. जैसे –  

  • बुनियादी संरचना का पहुंच : हेमन्त सरकार का एससी एसटी इंडस्ट्रियल कॉरिडोर सड़क परिवहन नेटवर्क, विद्युत आपूर्ति, जल सुविधाएँ और संचार प्रणाली सहित तमाम नवाचारी संरचना के साथ धरातल पर उतारे जायेंगे. यह संरचना इन वर्गों के एंटरप्रेन्योर्स को स्थापित और उनका व्यवसाय संचालन करने में मदद करेगा.
  • कौशल विकास : हेमन्त सरकार का एससी एसटी इंडस्ट्रियल कॉरिडोर कौशल विकास केंद्र और प्रशिक्षण संस्थान से लैस होंगे. जो इन वर्गों के एंटरप्रेन्योर्स को नए कौशल प्राप्त करने और उनमें मौजूद कौशलों को निखार एक मूल्यवान अवसर प्रदान करेगा. जिसके अक्स वह विभिन्न उद्योगों और क्षेत्रों में प्रभावी रूप से भाग लेने में सक्षम होंगे.
  • रोजगार सृजन : हेमन्त सरकार का एससी एसटी इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विभिन्न उद्योगों को आकर्षित करगा, जिससे राज्य में कौशलिक और अकौशल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. इन वर्गों समेत अन्य गरीबों के लिए लाभकारी होंगे. 
  • बाजार तक पहुंच : यह इंडस्ट्रियल कॉरिडोर अपने रणनीतिक स्थान और कनेक्टिविटी के कारण बेहतर बाजार संरचना से लैस होंगे. इन वर्गों के उत्पादों और सेवाओं को बड़े बाजार तक पहुंचने में मदद मिलेगी, जिससे उनका वृहत ग्राहक बेस मिलेगा और राजस्व संभावनाएँ विस्तारित होगी.
  • वित्त पहुंच : इस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में उद्योगों और व्यवसायिक गतिविधियों की उपस्थिति के कारण, वित्तीय संस्थान, वेंचर पूंजीपतियों और एंजेल निवेशकों का कॉरिडोरों के आस-पास होने की संभावना बढ़ेगी. जिससे इन वर्गों के उद्यमिता को पूंजी प्राप्त करने के विकल्प खुलेंगे.
  • तकनीक और नवाचार : इस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में पृथक तकनीकी नवाचार और अनुसंधान के केंद्र होंगे. जिससे अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों के उद्यमिता को इन कॉरिडोरों के भीतर होने वाली कटिंग-एज तकनीकों और व्यावसायिक प्रथाओं का परिचय होगा.
  • सरकारी समर्थन : कई सरकारें अनुसूचित समुदायों में उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रोत्साहन और समर्थन प्रक्रियाएँ प्रदान करती हैं. ऐसे में इंडस्ट्रियल कॉरिडोरों को हेमन्त सरकार के अलावा अन्य सरकारों की नीतियों का समर्थन प्राप्त होगा, जिससे इन वर्गों के एंटरप्रेन्योर्स को विनियमित प्रक्रियाओं को समझने और लाभ प्राप्त करने में आसानी होगी.
  • नेटवर्किंग के अवसर : इस इंडस्ट्रियल कॉरिडोरों में व्यवसायों का जुटान विभिन्न नेटवर्किंग अवसर प्रदान करेगा. जिससे इन वर्गों के एंटरप्रेन्योर्स को अन्य व्यवसायों, संभावित सहयोगियों, आपूर्तिकर्ताओं और मेंटरों से जुड़ने का अवसर मिलेगा, जिससे ज्ञान साझा करने की संभावना बढ़ेंगे.

मसलन, सीएम हेमन्त सोरेन का अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों के उद्यमिता के लिए  इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने का फैसला राज्य के लिए मिल का पत्थर साबित होगा. राज्य में एक उपयुक्त वातावरण का निर्माण करेगा. जहां इन वर्गों के साथ अन्य वर्ग भी स्वाभिमान के साथ विकास की इतिहासिक कमियों को पार कर सकेंगे. और राज्य व् देश के आर्थिक-सामजिक विकास में अपना योगदान कर सकेंगे.

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