झारखण्ड में विद्युत समस्या गठन काल से है – रघुवर काल में स्थिति और गहराई. DVC बकाया बढ़ा

झारखण्ड विद्युत समस्या : मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आज डीवीसी के साथ बैठक संपन्न. कमांड एरिया के सात ज़िलों में डीवीसी को वितरण, अनुरक्षण और राजस्व संग्रहण का कार्य दिए जाने पर सहमति बनी. अतिरिक्त 50 मेगावाट बिजली खरीदेगा जेबीवीएनएल

रांची : झारखण्ड में विद्युत समस्या कोई नयी नहीं बल्कि झारखण्ड गठन के शुरूआती दौर से है. मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के दौर से ही केन्द्रीय विद्युत संस्थान झारखण्ड का दोहन करती रही और बदले में बिलजी की अधिकता के जगह विस्थापन जैसी त्रासदी विरासत में देती रही है. चुकी शुरूआती दौर में राज्य खड़ा हो रहा था मसलन, बाबूलाल जी के दौर में ग़लतियाँ नज़रअंदाज़ हुई. मोदी सत्ता के नीतियों के दौर में यह समस्या और विकट हो गई. रघुवर सरकार को अपने इशारे पर नचाती रही और रघुवर सरकार में झारखण्ड में विद्युत समस्या गहराता चला गया. 

ज्ञात हो, आज डीवीसी के जिस बकाया राशि को लेकर केंद्र सरकार हेमन्त सरकार पर प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल खेल रही है, उसका एक मात्र कारण पूर्व की रघुवर सरकार है. बिजली विभाग के अनुसार जेबीवीएनएल द्वारा 31 मार्च 2017 को 4780 करोड़ रुपये डीवीसी को दिया गया था. जिससे डीवीसी का बकाया लगभग शून्य हो गया था. लेकिन 31 मार्च 2017 के बाद रघुवर सरकार में 250-300 करोड़ के बिजली बिल के एवज में केवल 150-200 करोड़ रूपये ही डीवीसी को भुगतान हुआ. जेबीवीएनएल का यह सिलसिला जारी रहा और बकाया राशि में इज़ाफा हुआ. और रघुवर सरकार की गलती की सजा झारखण्डवासी और हेमन्त सरकार को भुगतना पड़ा है.

झारखण्ड विद्युत समस्या : रघुवर काल में शिक्षक समारोह अँधेरे में मनाया गया जिसमे तत्कालीन शिक्षामंत्री भी मौजूद थी 

झारखण्ड में रघुवर काल में जीरो कट बिजली का जूमला कई बार उछाला गया, लेकिन विद्युत् समस्या और विकराल होती गई. विभाग में व्याप्त मुनाफ़ाख़ोरी, भाजपा के चहेते पूँजीपतियों के पक्ष में जनता के ख़िलाफ़ अपनायी गई नीतियों के कारण DVC पर निर्भरता व करोड़ों रुपया का बिल बकाया एवं मज़दूरों की कमी इसके प्रमुख कारण रहे थे. जनता की पेट की भूख तक मिटाने को तैयार नहीं रहने वाले रघुबर दास कैसे जनता के फ़ायदे के लिए निर्बाध बिजली की पूर्ति कर सकती थी.

राज्य में बिजली की स्थिति इतनी लचर हो चली थी कि रघुवर सरकार लोगों के घरों में बिजली दे पाना तो दूर घंटे भर के सरकारी कार्यक्रम में भी बिजली उपलब्ध नहीं करा पा रही थी. राज्य के मंत्री तक को मोमबत्ती व मोबाइल की रौशनी में कार्यक्रम करना पड़ा था. जी हाँ आपने बिलकुल ठीक पढ़ा, नामकुम स्थित जैक परिसर में शिक्षक दिवस के अवसर पर राज स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह को इसी त्रासदी से गुजरना पड़ा था. ज्ञात हो उस कार्यक्रम में तत्कालीन शिक्षा मंत्री डॉ. नीरा यादव भी मौजूद थीं.

झारखण्ड विद्युत समस्या : झारखण्ड में 24 घंटे बिजली नहीं मिल पाने की वजह रघुवर शासन में साहेब ने कांग्रेस को बताया था 

रघुवर दास द्वारा 31 दिसम्बर 2017 को ‘सौभाग्य योजना’ का शुभारंभ के दौरान कहा गया था कि वह योजना दिसंबर 2018 तक राज्य के सभी 29,376 गाँवों तक बिजली पहुंचाएगी. और राज्य की जनता को जीरो कट बिजली मुहैया होगी. लेकिन रघुवर दास चंद महीनों में ही वायदा भूल गए और आशीर्वाद यात्रा के दौरान कोल्हान में कहा – राज्य को 24 घंटे बिजली नहीं मिल पाने की वजह कांग्रेस थी. उस दौर में राज्य की जनता ने उनके मानसिक स्थिति पर प्रश्न उठाया था. ऐसे में गंभीर सवाल है कि मौजूदा दौर में भाजपा कैसे हेमन्त सरकार पर उंगली उठा सकती है. जबकि हेमन्त सरकार उसके बकाया तक को चुका रही है.

ज्ञात हो, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा झारखण्ड सरकार को डीवीसी से खरीदी गयी बिजली के एवज में बकाया 5608.32 करोड़ रुपये को लेकर एक नोटिस भेजा गया था. नोटिस में कहा गया था कि अगले 15 दिन में भुगतान नहीं करने पर केंद्र राज्य सरकार के आरबीआइ खाते से इस बकाये रकम को 4 किस्तों में काटेगा. किस्त की पहली राशि 1417.50 करोड़ रुपये होगी, जो कि अक्तूबर माह से ली जायेगी. लेकिन उस नोटिस में झारखण्ड के 42,500 करोड़ रूपये बाकाया राशि जो कोल इंडिया और जीएसटी क्षतिपूर्ति के संबंधित था कोई जिक्र नहीं था. और एकतरफा कार्यवाही के मद्देनज़र झारखण्ड के खाते से राशि काटी गई.

देश भर में जारी बिजली संकट के बीच झारखंड में भी बिजली संकट उत्पन्न हुई है. तो भाजपा इसे मुद्दा बना रही है

लेकिन मुख्यमंत्री के नेतृत्व में हेमन्त सरकार ने सस्याओं को पीठ नहीं दिखाया. बल्कि एक तरफ राज्य में पॉवर ग्रिडों का जाल बिछाया जा रहा है तो दूसरी तरफ उर्जा के अन्य स्रोतों के तरफ भी कदम बढ़ाया गया है. आज जब देशभर में जारी बिजली संकट के बीच झारखण्ड में भी बिजली संकट उत्पन्न हुई है. तो भाजपा इसे मुद्दा बना रही है. ज्ञात हो, राज्य में बिजली से निबटने के लिए जेबीवीएनएल को अतिरिक्त बिजली खरीदने के लिए राशि स्वीकृत की गई है. कैबिनेट में झारखण्ड बिजली वितरण निगम को सब्सिडी के रूप में राज्य सरकार द्वारा 1690 करोड़ रुपये दी गयी. जेबीवीएनएल द्वारा लोडशेडिंग को भी रिशिड्यूल किया गया है. 

डिमांड के अनुरूप बिजली उपलब्ध हो, यह प्रयास किया जा रहा है- सीएम

सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि मौजूदा गर्मी कहर बरपा रही है. इससे बिजली की मांग अचानक बढ़ी है. बिजली की समस्या देश के अन्य राज्यों में भी है. बिजली की उपलब्धता में पूरे देश में कमी आयी है. वह बाजार से भी बिजली खरीदना चाहते हैं, तो बिजली उपलब्ध नहीं है. कई बार दर काफी अधिक हो जाती है. इन सबके बावजूद अतिरिक्त बिजली खरीदने की जरूरत पड़े, तो इसके लिए विभाग को राशि उपलब्ध करा दी गयी है. डिमांड के अनुरूप बिजली उपलब्ध हो, यह प्रयास विभाग के स्तर से किया जा रहा है.

डीवीसी से अतिरिक्त 50 मेगावाट बिजली लेगा

डीवीसी अपने कमांड एरिया में 600 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करता है. कमांड एरिया से बाहर के लिए डीवीसी से अतिरिक्त 50 मेगावाट बिजली जेबीवीएनएल खरीदेगा. ऊर्जा विभाग ने बताया कि यह बिजली मंगलवार की रात से ही खरीदी जायेगी. सरकार ने राशि स्वीकृत कर दी है. अतिरिक्त बिजली भी खरीदने की व्यवस्था हो रही है. उन्होंने कहा कि पूरे देश में बिजली की भारी कमी है.

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में DVC के साथ बैठक संपन्न 

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में आज डीवीसी के साथ बैठक संपन्न हुई. इस बैठक जिसमें डीवीसी के अध्यक्ष रामनरेश सिंह , ऊर्जा सचिव अविनाश कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे व गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार की उपस्थिति में कमांड एरिया के सात जिलों में डीवीसी को वितरण, अनुरक्षण और राजस्व संग्रहण का कार्य दिए जाने पर सैद्धान्तिक सहमति हो गई है. तीन महीने में विस्तृत सर्वेक्षण कर डीवीसी द्वारा राज्य सरकार को प्रस्ताव सौंपा जाएगा और प्रायोगिक तौर पर सर्वप्रथम गिरीडीह ज़िला से ही कार्य आरम्भ होगा.

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