झारखंड में उपचुनावों के नतीजे, 2015 के बाद से भाजपा के लिए शर्मनाक रहा

पिछले पांच सालों में, झारखंड में उपचुनावों के नतीजे दिलचस्प रहे हैं। जहाँ 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद से भाजपा को लगातार जनता द्वारा नकारा गया है।

रांची :  पिछले पांच सालों में, झारखंड में उपचुनावों के नतीजे दिलचस्प रहे हैं। दरअसल 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही प्रदेश में, भाजपा को लगातार जनता द्वारा नकारा गया है। वजहें उसकी जन विरोधी नीतियांयुवाओं के भविष्य के साथ किया गया खिलवाड़ ही मुख्य वजह हो सकती है। आंकड़े बताते हैं उपचुनावों में एक-एक कर भाजपा को 8 हार का भार झेलना पड़ा है। हार भी ऐसी जहाँ भाजपा मुकाबले में भी नहीं दिखी। 2016 के गोड्डा उपचुनाव केवल अपवाद है। उसके जीत पीछे अलग राजनीतिक कारण रहे हैं। ये महज आंकड़े भर नहीं है, जनता के मिजाज और रूझान दर्शाते हैं। 

दूसरे शब्दों में कहे तो उपचुनावों में झारखंड की जनता ने भाजपा को लगातार खारिज किया है। और जनता के उस मिजाज के अनुरूप इस बार भी भाजपा मधुपुर उपचुनाव में एक और बड़ी हार के रिकार्ड बनाने के मुहाने पर खड़ी है। पिछले साल, 2020 में भी दुमका और बेरमो में हुए उपचुनावों में भी भाजपा नेताओं के दावों के बावजूद उन्हें बड़े अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा था। और भाजपा नेता मीडिया से मुंह छिपाते फिर रहे थे। दुमका में झामुमो के दमदार प्रत्याशी बसंत सोरेन ने भाजपा के दिग्गज नेत्रि लुईस मरांडी को हराया। जो रघुवर सरकार में मंत्री भी रह चुकी थी। हालांकि उन्हें आत्मविश्वास था कि वह सीट जीत लेगी लेकिन जनता की इच्छा कुछ और थी। 

भाजपा के सालों के शासनकाल में जनता उसकी राजनीतिक शैली के हर रूप देख चुकी है

दरअसल, भाजपा के सालों के शासनकाल में झारखंडी जनता भाजपा के राजनीतिक शैली के हर वह रूप देख चुकी है, जो उसके भविष्य को निर्धारित करती है। राज्य और उपराजधानी दुमका की दुर्गति वह जनता देख चुकी थी। और अपने भविष्य के नयी उम्मीद को वह काम करने का मौका देना चाहती थी। ऐसा ही नजारा 2020 में ही हुई बेरमो उपचुनाव में भी देखा गया। जहाँ कांग्रेस के कुमार जयमंगल ने भाजपा के योगेश्वर महतो बाटुल को पटखनी देते हुए जीत दर्ज की। उससे पहले के उपचुनावों की बात करें तो –

  • 2015 के लोहरदगा उपचुनाव में भी भाजपा को करारी हार हाथ लगी। 
  • 2016 में गोड्डा उपचुनाव में भाजपा ने एकमात्र जीत हासिल की। 
  • फिर 2017 के लिट्टीपाड़ा उपचुनाव में झामुमो के साइमन मरांडी ने जीत हासिल की।
  • 2018 में कोलेबिरा, गोमिया और सिल्ली में उपचुनाव हुए। इन तीनों सीटों में झामुमो गठबंधन विजयी रहा। 

मसलन, भाजपा को हार के आंकड़ों से सीख लेना चाहिए। और जनता के मिजाज को समझते हुए बाद लोकतांत्रिक बयान देने से उन्हें बचना चाहिए। क्योंकि, सत्ता और नेतृत्व कितनी भी तानाशाह क्यों ना हो जाए आखिरकार उसका हर पैंतरा जनता के दहलीज पर दम तोड़ ही देता है। और ऐसा ही कुछ मिजाज मधुपुर उपचुनाव के रुझानों में देखने को मिल रहा है। जहाँ भजपा एक बार फिर साफ़ तौर पर हारती दिख रही है।

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