जब-जब चुनाव आता हैं तब-तब दिखने लगती है भाजपा और बाबूलाल में झारखंड लूट की तड़प!

किसी भी तरह सत्ता तक पहुँचना  – भाजपा और बाबूलाल मरांडी का एक मात्र ध्येय, लेकिन सत्ता पा कर करेगी क्या केवल झारखंड की संपदा-ज़मीन की लूट युवाओं के भविष्य से खिलवाड़

रांची : झारखंड में वैसे तो भाजपा सबसे अधिक, 14 बरस के शासन का इतिहास लिए खड़ा है। लेकिन, रघुवर शासन की विकलांगता के मद्देनजर, मौजूदा दौर में उस भाजपा का परिचय डूबता जहाज से अधिक नहीं है। इसलिए जब भी झारखंड में उपचुनाव का दौर आया है, मुद्दा विहीन होने की स्थित में भाजपा में अकबकाहट कि स्थिति साफ़ तौर पर देखा गया। मधुपुर उपचुनाव में भी भाजपा के नेताओं वाही अकबकाहट साफ़ देखि जा सकती है। और इस अकबकाहट में वह लोकतंत्र की भावनाओं को आहात पहुचाते हुए कोई भी बयान देने से नहीं चूकती। जबकि सच यह है कि जनता ने उसे नकार दिया है। क्योंकि काठ का हड़िया बार-बार नहीं चढ़ता है। 

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर बाबूलाल मरांडी तक कहने से नहीं चूक रहे कि 10 मई तक झारखंड में भाजपा की सरकार बन जाएगी। भाजपा नेता के ऐसे बयानों से चुनाव में उनकी विवशता साफ़ झलकती है। ज्ञात हो 2019 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के नेता “अबकी बार 65 पार” जैसे नारे देती थी। फिर दुमका और बेरमो उपचुनाव के दौर में भाजपा ने ताल ठोक कर जीतने का दावा किया। पर नतीजा क्या हुआ? झारखंड में भाजपा ने हार की हैट्रिक बनाई। और इस बार भी मधुपुर उपचुनाव में हारी तो, नया कीर्तिमान बनाएगी। जिसके आसार उसके रणनीतियों में साफ़ दीखता भी है। 

अचानक बूढ़े घोड़े व फ्यूज गैंग में भी जान आ गयी है

चूँकि भाजपा ने कहा है कि बाबूलाल मरांडी झारखंड के अगले मुख्यमंत्री होंगे। तो अचानक बूढ़े घोड़े व फ्यूज गैंग में भी जान आ गयी है।  लेकिन यह शिगूफा पहली अप्रैल के मद्देनजर उपर्युक्त प्रतीत होता है।  सालों पहले बाबूलाल मरांडी ने, जब भाजपा छोड़ी और झाविमो नाम की पार्टी का गठन किया। तो वह उस वक़्त झाविमो को झारखंडियों का सबसे बड़ा पैरोकार कहा करते थे। लेकिन सियासत के लिए जब खुद को व पार्टी बेच दी। और आदिवासी हिंदू हैं -जैसे बयान दे आदिवासी समुदाय को भी बेच दिया। तो उनकी लालसा का पर्दाफाश हुआ और जनता उनके विचारधारा से रू-ब-रू भी हुई। अब बड़ा सवाल यही है कि ऐसे शख्स पर जनता आखिर कैसे भरोसा करेगी? 

यह वाही बाबूलाल मरांडी है जिन्होंने 2019 में एक अखबार को कहा था कि भाजपा ने कभी झारखंड के इश्यू पर एड्रेस नहीं किया। तब उन्होंने भाजपा सहित दूसरी पार्टियों को लूटने वाले और ठगने वाला बताया था। पत्रवीर ने भाजपा पर अपने छह विधायकों को खरीदने का आरोप भी लगाया था। मामले पर उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से लेकर कोर्ट तक में चैलेंज किया था। अब वे उसी लूटने वाली पार्टी के झंडाबरदार हैं। वैसे यह भी सच है कि बाबूलाल मरांडी ने भी झारखंड के मुद्दे पर कभी नहीं सोचा। अगर सोचा होता तो वे आज भी इधर-उधर भटकते नहीं रहते। 

किसी भी तरह सत्ता तक पहुँचना  – भाजपा और बाबूलाल का एक मात्र ध्येय

मसलन, वर्तमान दौर में बाबूलाल का एक ही ध्येय है कैसे भी हो सत्ता मे आना। और डूबती भाजपा का भी यहीं ध्येय है। यही वह महीन रेखा है जहाँ पर एक व्यक्ति के रूप में बाबूलाल मरांडी और पार्टी के रूप में भाजपा का चारित्रिक एकाकार होता है। मधुपुर उपचुनाव में भाजपा की कमजोरी साफ दिखती है। उनके पास ऐसा कोई चेहरा नहीं था जिसे वह जनता के बीच रख सके। नतीजतन राज पलिवार को साइड कर आजसू के उधार के उम्मीदवार गंगा नारायण सिंह को टिकट दिया। लडखड़ाते हुए भाजपा मधुपुर उपचुनाव में उतर तो रही है, लेकिन लगता नहीं है कि गंगा नारायण सिंह, कोई करिश्मा दिखा पायेंगे।

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