दिल्ली में झारखण्ड भवन का निर्माण-उद्घाटन झारखण्ड का एक और बड़ी उपलब्धि. सीएम – झारखंडी जनता का चिकित्सा समेत अन्य जरुरी कार्यों से दिल्ली आना होता है. उनके लिए यह भवन मददगार साबित होगा. ऐसे जनहित कार्यों में भी विपक्ष का नेगेटिव रवैया अचंभित करता है.
रांची : दिल्ली में 65 कमरों का झारखण्ड भवन का निर्माण और उद्घाटन सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में झारखण्ड राज्य की एक और बड़ी उपलब्धि है. सीएम का स्वयं कहना कि राज्य की जनता का चिकित्सा समेत कई जरुरी कार्यों से देश की राजधानी दिल्ली आना होता है. ऐसे में यह झारखण्ड भवन कई मायने अपनी अहम भूमिका निभाता दिखेगा, इसकी महत्ता को दर्शाता है. यह भवन न केवल राज्य का प्रतिनिधित्व करता है, राज्य के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
यह भवन राज्य के जनता और सरकार के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करता है. साथ ही दिल्ली में राज्य का एक स्थायी प्रतिनिधित्व है जिससे केंद्र सरकार और अन्य राज्यों के साथ संपर्क और सहयोग को सरल बनाता है. यह भवन झारखण्ड की संस्कृति, कला और इतिहास को मंच प्रदान कर राज्य की पहचान सुनिश्चित करता है. झारखण्ड के लोगों को सरकारी कामकाज हेतु एक सेण्टर के रूप सहायता प्रदान करता है. जिससे उनकी समय और संसाधनों की बचत होती है.
यह भवन राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं और नीतियों के बारे में जानकारी प्रदान करने का एक केंद्र बन जाता है. राज्य के पर्यटन बढ़ावा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह झारखण्ड की संस्कृतिक विरासत को जानने का अवसर प्रदान करता है, साथ ही निवेशकों को झारखण्ड में निवेश करने हेतु आकर्षित करता है. राज्य के लोगों में गौरव की भावना उत्पन्न कर उन्हें अपनी संस्कृति और विरासत से जोड़ता है. और सामाजिक जुड़ाव को मंच प्रदान करता है.
जनहित कार्यों में भी विपक्ष का नेगेटिव रवैया करता है अचंभित
ज्ञात हो राज्य के विपक्ष को केंद्र में सरकार संचालन के कई मौके मिले हैं. और वह अपने इस मौके को आलिशान 5 स्टार बीजेपी कार्यालय बनाने में भुनाया है. जिसपर कई सामाजिक संस्थाओं और विपक्ष ने सवाल उठाये हैं. लेकिन, एक एसटी सीएम को जब झारखण्ड जैसे गरीब राज्य में सरकार बनाने का मौक़ा मिला है तो वह जनहित और राज्यहित में झारखण्ड भवन के रूप में जनता भवन का निर्माण कर अपनी लोकतांत्रिक मंशा का एक और बड़ा सबूत दिया है.
ऐसे में राज्य के विपक्ष का ऐसे जनहित कार्यों में भी सरकार की पीठ थपथपाने के बजाय नेगेटिव अप्रोच दिखाना, राज्य को अचंभित कर रहा है. राज्य में विपक्ष के रणनीति को देख कर यकीन हो चला है कि विनाशकाले विपरीत बुद्धि जैसी कहावत ऐसे कि परिस्थिति में रची गई होगी. एक तरफ वह मुख्यमंत्री मईया सम्मान योजना के खिलाफ याचिका दायर होना और दूसरी तरफ जनहित कार्यों में नेगेटिव अप्रोच, क्या चुनाव के मद्देनजर यह विपक्ष का आत्मघाती कदम नहीं?